Tuesday, August 31, 2010

Today i reached the deptt at 9 am and take the class but after that student disscuss some prb.  i took sec classs 12 pm. i take third class 2 pm. today i study some other metter. but today performance i am not satisfied because i want to use more and more time use. so in these days sometime my mobile also switch off.

Monday, August 30, 2010

daily diary 30 aug

Today i reached univ. at 9 am and take the research class. after that i take another class bmc 2 at 12pm. today blog is short reason my laptop not properly work otther laptop battery down

Saturday, August 28, 2010

today 9 am  i took ma final research class. after that i opened my social networking orkut. after that i study.

Friday, August 27, 2010

meeting

today sir take a meeting . today firstly 9 am i take a class ma final in research. nearly 11 am i fill up the form.

Wednesday, August 11, 2010

सूचना का महत्व

            प्रथम अध्याय
परिचय
सूचना का महत्व
मनुष्य को अपना निरंतर विकास करने के लिए किसी की सहायता की जरूरत पड़ती है। बगैर किसी की सहायता के वह अपना विकास नहीं कर सकता और आगे नहीं बढ़ सकता है। ठीक इसी प्रकार समाज के विकास के लिए जनसंचार की जरूरत पड़ती है। अर्थात जनसंचार माध्यम में वे सभी गुण विद्यमान होते है जोे मनुष्य वह समाज के विकास के लिए चाहिए होते है। बगैर जनसंचार माध्यम के किसी भी समाज के विकास की कल्पना करना सम्भव नहीं है। समाज का विकास एक सामाजिक सम्बंधों का ताना बाना है। बगैर इस ताने बाने के समाज का विकास नहीं हो सकता। यह सब कुछ बगैर जनसंचार के सम्भव नहीं है। जनसंचार साधनों से सदा से ही यह अपेक्षा की जाती है कि वे जो समाज में घटित हो रहा है उससे परिचित कराए व हर एक को जागृत व शिक्षित करे। हर जन की अभिरुचियों का पता लगाते हुए अपने दायित्व को निभाएं व लोगों को जागरुक करे। आज जनसंचार माध्यमों की वजह से ही सामाजिक कुरीतियों, बुराइयों पर लगाम लगाई जा सकी है तथा लोग इन अंधविश्वासों के प्रति जागरूक हो रहे है। आज जनसंचार माध्यमों की वजह से ही पूरा विश्व एक गांव बन गया है तथा हर छोटी व बड़ी घटना पल झपकते ही हमारे सामने होती है। इन्हीं साधनों की वजह से ही हम घर बैठे बैैठे दुनिया के किसी भी कोने से अपना संपर्क स्थापित कर सकते है। इस से यह पता चल सकता है कि मनुष्य को अपने विकास के लिए वह समाज को आगे ले जाने केे लिए हर समय जनसंचार माध्यमों की आवष्यकता पड़ती है वह इनके बगैर अपना तथा समाज का विकास नहीं कर सकता।
सृष्टि के प्रारंभ से ही मनुष्य जनसंचार माध्यमों से किसी न किसी रुप में जुड़ा हुआ था। इस कड़ी में देव ऋषि नारद को प्रथम संचारक की संज्ञा दी जाती है वे समय दुनिया में भ्रमण करके संदेश को पहुंचाया करते थे। ऐसा ही महाभारत युद्व में संजय ने किया जिन्होंने  नेत्रहीन धृतराष्ट्र को युद्व का सारा आंखों देखा हाल सुनाया। पुराने समय में मनुष्य अपना संदेश भेजने हेतु कबूतरों व घोड़ों जैसे परम्परागत साधनों का प्रयोग करता था। सम्राट अशोक के समय में संचार, चित्र लिपि प्रतीकों के द्वारा किया जाता था और इस काम में उनके पुत्र महेंद्र ने उनकी बड़ी सहायता की। परंतु आज इन परम्परागत साधनों का स्थान आधुनिक साधनों ने ले लिया है। रेडियो टेलीविजन के  प्रयोग ने संचार की परिभाषा ही बदल दी है। इन सभी की बदौलत आज इंटरनेट, कम्प्यूटर मोबाइल व इंटरनेट साधनों ने सीधा मनुष्य का संपर्क संसार के हर कोने से करा दिया है। आज के युग को अगर हम सूचना का युग कहे तो कुछ गलत नहीं होगा। तभी तो अगर यह पता चलता है कि बराक ओबामा अमेरिका में चुनाव जीत गए है तो यह सूचना पलक झपकते ही सारे विष्व में फैल जाती है और सभी इस बात पर पर चर्चा आरंभ कर देते है कि इसका अमेरिका और विष्व पर क्या असर पड़ेगा। यह बगैर संचार माध्यमों के संभव नहीं हैं। संचार का अर्थ ही संचरण यानी फैलाव है और आज के समय यह अपने अर्थ को पूर्ण रुप से सार्थक कर रहा हैं। संचार के बिना मनुष्य अपनी कल्पना भी नहीं कर सकता है। धरती के हर हिस्से में संचार व्याप्त है। चाहे वह पक्षियों का चहचहाना हो या कुछ और हो। संचार रूपी प्रभावी प्रक्रिया द्वारा संप्रेक्षक को प्रापक के मध्य सांमजस्य तथा जागरूकता पैदा की जाती हैं। जिसकी आधारशिला जनंसचार माध्यमों द्वारा तैयार की जाती है। जो समाज में नवीन चेतना या नए ज्ञान को जागृत करता है। अंत संचार माध्यमों का मुख्य कार्य समाज में संदेश और नई नई जानकारियां देकर जाग्रत करना है। सामाजिक मूल्यों और संस्कृति का ज्ञान देकर उसे सजग रखना है ताकि उसमें नए ज्ञान का संचार हो सके। प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन का अधिकतर समय संचार करने यानी की बोलने, देखने व पढ़ने में लगाता है। बिना संचार किए मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है। अगर हम यह कहे कि जनसंचार माध्यम मनुष्य के जीवन में आक्सीजन का काम करते है तो कुछ गलत नहीं होगा।
संचार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा स्त्रोत से श्रोता तक संदेश पहुंचता है। बिल्बर श्रैम
 वे सभी तरीके जिनके द्वारा एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को प्रभावित कर सके संचार है। बीवर
सूचना का एक सशक्त माध्यम समाचार पत्र है। देश का पहला समाचार पत्र बंगाल गजट था जो 1780 में निकला था । उसके बाद समय समय पर अनेक समाचार पत्रों ने उस युग में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजा राम मोहनराय के संवाद कौमुदी व मिरातुल समाचार पत्र ने तो उस समय की सामाजिक बुराइयों को उखाड़ने के लिए जोरदार प्रयास किए। तिलक के केसरी ने स्वराज्य की आवाज बुलंद की। इन्ही समाचार पत्रों की बदौलत ही आजादी का संदेश घर घर तक पहंुचा। हिंदी समाचार पत्रों की संख्या सन 1961 से लेकर 1990 तक 12 गुणा बढी है। मीडिया आज हर व्यक्ति तक पहुंच बना चुका है। मीडिया को समाज का दर्पण कहा जाता है। क्योंकि यह समाज मेें होने वाली घटनाओं को दिन प्रतिदिन व बड़ी तेजी से पहुंचाता है। सन 2001 के अनुसार 45974 समाचार पत्र भारत में प्रकाशित होते हैं। इनमें से 20589 समाचार पत्र हिंदी में प्रकाशित होते है।  हिंदी के प्रतिदिन प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों का प्रतिदिन सकुर्लेशन 2 करोड 30 लाख है। भारत में 40 से ज्यादा न्यूज एजेंसिया है। हरियाणा में समाचार पत्रों की संख्या व सामग्री में क्रांतिकारी परिवर्तन तब आया जब 2000 में भास्कर समूह ने हरियाणा का सबसे बड़ा सर्वे किया इस सर्वे ने दूसरे समाचार पत्रों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया और उन्होंने भी अपनी सामग्री में बहुत ज्यादा परिवर्तन करने पडे। इसी का परिणाम था कि समाचार पत्र शहरों के साथ साथ गांवों में भी पहुंचा व इसने नए पाठकों को जोडा। समाचार  पत्र मीडिया का एक महत्वपूर्ण एवं सशक्त माध्यम है। भारत में मीडिया के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन 1990 के बाद आया है। समाचार पत्र आज देश के लगभग हर शहर व गांव में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। जिसके द्वारा व्यक्ति देश दुनिया में घटित होने वाली कोई घटना आसानी से समझ लेता है। यह व्यक्ति की दिशा एवं दशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाता हैं । लेकिन समाज के कुछ वर्गों का प्राय यह मानना होता है कि समाचार पत्रों में  पर्याप्त विविधता नहीं है। समाचार पत्र की जो सामग्री है उसमें पर्याप्त विविधता है या नहीं है यह देखना महत्वपूर्ण है साथ ही जो मीडियाकर्मी काम करते है उनका समाजषास्त्र जानना भी महत्वपूर्ण है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या समाज के सभी वर्गों का इसमें उचित प्रतिनिधित्व है। इसी उदृदेश्य को ध्यान में रखकर यह शाोध किया गया है।ै इसके साथ ही यह जानने का भी प्रयास किया जा रहा है कि मीडियाकर्मियों की षैक्षणिक योग्यता क्या है तथा वो कहां रहते है।
समाजषास्त्र रू
समाजषास्त्र समाज का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करता है। समाजषास्त्र षब्द सोषलोजी षब्द का हिंदी रूपांतर है। जो दो षब्दों के योग से बना है। सोषियो व लोगस से मिलकर बना है। सोषियो षब्द लेटिन भाषा से लिया गया है। जिसका अर्थ है समाज व लोग षब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है। जिसका अर्थ है षास्त्र या विज्ञान। इस प्रकार समाजषास्त्र से हमारा अभिप्राय समाज के विज्ञान से है। मीडियाकर्मी भी समाज का ही अंग है इसलिए उनका समाजषास्त्र जानना बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि मीडिया ही एकमात्र ऐसा साधन है जो पूरे समाज में सूचनाओं का आदान प्रदान करता है। यह देखना भी महत्वपूर्ण होता है कि जिस प्रकार हमारे समाज की रचना है क्या उसी प्रकार हमारे मीडिया की भी रचना है । इसके लिए मीडियाकर्मियों का समाजषास्त्र जानना बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है।
सोषलोजी विषय की षुरुआत 1837 में फ्रांस में हुई। इसके पितामह अगस्त काम्टे है। उस समय उन्होंने इसका नाम सामाजिक भौतिकी रखा। क्योंकि वे समाजषास्त्र को प्राकृतिक विज्ञानों की तरह ही एक वस्तुनिष्ठ विज्ञान बनाना चाहते थे। लेकिन ठीक उसी समय प्राकृतिक विज्ञान के एक विषय का नाम भी सामाजिक भौतिकी था।  जिसके पितामह क्वटल्ंोट थे। इसलिए इन  दोनों विषयों के नाम में समानता होने की वजह से यह पता नहीं लग पाता था कि यह सामाजिक विज्ञान वाला सामाजिक भौतिकी है या प्राकृतिक विज्ञान वाला। इसलिए सन 1838 में इन्होंने इसका नाम सामाजिक भौतिकी से बदलकर समाजषास्त्र रखा है। जिसमें समाज का  वैज्ञानिक तरीके  से अध्ययन किया जाता था और सामाजिक घटनाओं के निरीक्षण परीक्षण वर्गीकरण सारणीयन निष्कर्ष के आधार पर अध्ययन किया जाता था।
भारत में समाजषास्त्र विषय व इसके बारे में दार्षनिकों के विचार
अगस्त काम्टे के अनुसार समाजषास्त्र समाज की व्यवस्था एवं प्रगति का विज्ञान है।
दुर्खिम के अनुसार समाजषास्त्र सामूहिक प्रतिनिधित्व का वैज्ञानिक अध्ययन करता है।
मैक्स बैबर के अनुसार समाजषास्त्र में सामाजिक क्रियाओं का निर्वाचनात्मक अध्ययन किया जाता है। एलेक्स इंकल के अनुसार समाजषास्त्र समाज का सामान्य विज्ञान है।
एल एफ वार्ड के अनुसार समाजषास्त्र समाज का या सामाजिक घटनाओं का विज्ञान है।
एच एम जानसन के अनुसार समाजषास्त्र सामाजिक समूहों का वैज्ञानिक अध्ययन करता है।
 इससे पता चलता है कि समाजषास्त्र समाज का एक समग्र इकाई के रुप में अध्ययन करता है। जिसका अध्ययन करने में वैज्ञानिक पद्वति का प्रयोग किया जाता है। भारत में समाजषास्त्र की षुरुआत सन 1914 में बम्बई विष्वविधालय में हुई। सन 1919 में यहां समाजषास्त्र को एक पृथक विभाग के रुप में  स्थापित किया गया जो पहले अर्थषास्त्र विषय के साथ पढाया जाता था। पैट्रिक गिडस ने इसकी षुरुआत की वही इनको अध्यक्ष के रूप में  भी नियुक्त किया गया। कलकलता विष्वविद्यालय में समाजषास्त्र विषय की षुरुआत 1917 में हुई। इसके 4 वर्ष पष्चात ही लखनऊ विष्वविद्यालय में सन 1921 में अर्थषास्त्र विभाग के अंर्तगत ही समाजषास्त्र विषय को मान्यता दी गई और एक प्रथम भारतीय विद्वान डा राधाकमल मुखर्जी को समाजषास्त्र का प्रो. नियुक्त किया गया। सन 1928 में मैसूर विष्वविद्यालय में इस विषय की डिग्री स्तर पर षुरुआत की गई।बहुत से समाजषास्त्रियांे का विचार है कि समाजषास्त्र पूरे समाज का एक समग्रता से अध्ययन करता हैं। इस विचार को मानने वालों ने समाजषास्त्र को समाज की आंतरिक समस्याओं, समाज किन-किन तत्वों के मिलने से बना है और उन तत्वों के मिलने से समाज किस प्रकार कार्य करता है। इस बात को मानने वालों में कौंत स्पेंसर मैक्स वेबर का नाम सबसे आगे है।
कुछ समाजषास्त्री मानते हैं कि समाजषास्त्र समाज में पाए जाने वाले विभिन्न संस्थाआंे का अध्ययन करता है; जैसे जाति, धर्म षैक्षणिक संस्थाआंे का अध्ययन करता है। इस विचार को मानने वालांे में डर्क हाईम का नाम सबसे आगे आता  है। उन्हांेने कहा कि सोषोलॉजी संस्थाआंे का विज्ञान है।
कुछ दार्षनिकों ने कहा कि समाजषास्त्र सामाजिक संबंधों के अध्ययन के रूप में हैं।
मीडियाकर्मी भी समाज का एक अभिन्न अंग है। मीडिया समाज को सूचना देने का काम करता हैै लेकिन प्राय कुछ वर्गों का यह मानना है कि जिस प्रकार हमारे समाज की रचना है उसी प्रकार की हमारे मीडिया की रचना नहीं है। उनका यह मानना है कि उन्हें सही सूचना नहीं मिल पाती है। इसलिए मीडियाकर्मियों का समाजषास्त्र जानना बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि जिस प्रकार की हमारे समाज की रचना है क्या उसी प्रकार हमारे मीडिया की रचना है।
विविधता
समूची  मानव सभ्यता सूचना क्रांति के दौर से गुजर रही है। सूचना को विकास का प्रयाय बना दिया गया है। सूचना कौन किसे किस उद्देष्य के लिए दे रहा है। सूचना पर किसका कब्जा है। सूचना क्या है। ये सब मुददे गौण मान लिए गए है। ऐसा मिथक पैदा कर दिया गया है। किसी भी तकनीक की तरह ही सूचना और सूचना तंत्र एक ऐसा हथियार हे जिसका कौन और किस उद्देष्य से प्रयोग कर रहा है उसी से उसका चरित्र तय होता है। जहां मानव के मूल अधिकारांे के संदर्भ में सूचना व सूचना में विविधता की अवधारणा को समझने का प्रयास किया गया है। सूचना के अधिकार को मानव अधिकार के रूप मंे समझना न केवल इसकी उपयोगिता को समझने की कोषिष अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर चल रही है सूचना की राजनीति से भी जुड़ा हुआ है। यह बाजार समाज और मीडिया के अंतर्संबधों का विमर्ष ह।ै
सूचना का अधिकार एक मानव अधिकार: कुछ साल पहले यूनस्को ने मानवाधिकार घोषणापत्र की तरह इंटरनेषनल सांस्कृतिक विविधता घोषणापत्र जारी किया था। पिछले एक दषक से भूमंडीकरण के साथ ही यह आषंका भी प्रकट की जाने लगी थी  कि कहीं सारी दुनिया को जोडने की प्रक्रिया में एक बार फिर जंगलराज न कायम होने लगे। बाजार की संस्कृति कहीं दूसरी छोटी संस्कृतियों को निगलने न लगे। किसी समुदाय की संस्कृति को तहस-नहस करना जिस प्रकार मानव अधिकारांे का हनन है ठीक उसी प्रकार विचारों की अभिव्यक्ति को कुंद करना उस पर रोक लगाना उसे नियंत्रित करना भी मानवाधिकारों का हनन है। घोषणा पत्र मंे कहा गया है कि पूरी दुनिया में ये सुनिष्चित करे कि षब्दों और तस्वीरों की मदद से सूचना का मुक्त प्रसार कहीं भी बाधित न हो। हर किसी को अपनी पसंद की सूचना चुनने का अधिकार हो। कोई भी देष, कंपनी अपनी सूचना दूसरों पर न थोप पाए। 70 के दषक में मैकब्राइड कमीषन की रिपोर्ट मैनी वाइसिस वन वर्ल्ड भी इस संबंध में उल्लेखनीय है।
जब भी हम सूचना के प्रवाह को लोकतांत्रिक बनाने का प्रयास करते हैं तो सूचना तक पहंुच, सूचना में विविधता और उस पर लोकतांत्रिक अधिकार की बात सामने आती है। सूचना के उपलब्धता और उसका प्रवाह भी गंभीर विचार का विषय बन गया है। सभी आधुनिक समाजों का मूल उदेष्य मनुष्य को जीने और खुद को विकसित करने की अधिकतम सुविधाएं उपलब्ध करवाना है।
दुनिया में आज भी पष्चिम की चार समाचार एजेंसियां एपी, यूपीआई, रायटर और एएएफपी का दबदबा हैं। पूरी दुनिया में टेड टर्नर, रूपर्ट मर्डोक, बिल गेटस जैसे मीडिया मुगल उभर रहे हैं। न्यूज कारपोरेषन वायकाम, बर्टसमैन, एओएल टाइम वार्नर, सीएनएन और डिजनी नामक पांच सर्वाेच्च कंपनियां पूरी दुनिया के मीडिया कारोबार का लगभग अस्सी प्रतिषत हिस्सा नियंत्रित करती है। न्यू मीडिया यानी इंटरनेट पर भी साइट और पोर्टल की बात करे तो उसका बड़ा हिस्सा दुनिया के चंद बडे विकसित देशों ने बनाया है। पिछड़े देश कंटेट प्रोवाइडर नहीं बल्कि एक तरफा कंज्यूमर बने हुए है। राष्टीय संदर्भ में पांच बडे मीडिया स्टार, जी, इनाडू, सन और सोनी देश के अधिकांश चैनलो को को नियंत्रित करते है। उस पर भी मीडिया में आम लोगों की भागीदारी न के बराबर है।
मीडिया में विविधता की अवधारणा विविधता प्रकृति का मूल सिद्वांत है। जैव विविधता हो या फिर सांस्कृतिक विविधता दोनों जीवन के लिए आवश्यक है। ठीक इसी प्रकार विचारों और सूचनाओं में भी अगर विविधता समाप्त हो जाए तो ये समाज की सेहत के लिए हानिकारक होगा। सूचना पर एकाधिकार बढ़ने के परिणामस्वरुप विविधता भी अपने आप कम हो रही है। इंटरनेट के कंटेट का लगभग नब्बे प्रतिशत हिस्सा विकसित राष्ट्रो ने अपने नजरिए से तैयार किया है। दुखद तो यह है कि एक अफ्रीकी नागरिक अपने ही देश के बारे में जब नेट पर जानकारी ढूंटता है तो उसे अपने बारे मेें विदेशियों द्वारा दी गई ेजानकारी उपलब्ध होती है। विकासशील देशों को अपने ही बारे में जानने के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ रहा है और वे अपने पिछडेपन के कारण अपना मीडिया कंटेट विकसित कर पाने में असमर्थ है।
राष्ट्रीय स्तर पर देखे तो टेलीविजन से गांवों गायब है। आम लोगों केे मसले और उनकी समस्याएं दिखने की बजाए दर्शकों को एक कृत्रिम लेेकिन ग्लैमरस दुनिया समोहित किया हुआ है। दर्शकों के पास विकल्पों का अभाव हैं। इस समय केवल टेेलीविजन तेजी से गांवों में विस्तार पा रहा है। गांवों के लोग भी सारे चैनल सम्मोहित होकर देखते है। मीडिया में विविधता के दो मूलभूत पहलू है एक तो मीडिया  कंटेट में विविधता और दूसरा मीडियाकर्मियों की सामाजिक सांस्कृतिक भाषायी और धार्मिक और जातीय प्रष्ठभूमि में विविधता। अगर हम केवल मीडिया कंटेट में विविधता पर विमर्श करेंगे तो यह चर्चा अधूरी रहेगी। असल में मीडिया कंटेट में विविधता की पहली शर्त है मीडियाकर्मियों की पृष्ठभूमि में विविधता। इसी से जुड़ा एक और मसला है मीडिया में समाज के सभी समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व। यानी महिलाओं विभिन्न भाषायी जातीय और धार्मिक समुदायों का अनुपातिक प्रतिनिधत्व। अगर समाचार चैनलों पर हिंदी पटटी के चंद पत्रकारों का एकाधिकार होगा तो दक्षिण ओर पूर्वोतर के समाचारों के चयन में एक विशेष प्रकार का पूर्वाग्रह काम करने की आशंका बनी रहेगी। उसी प्रकार धारावाहिकों और फिल्मों में निर्माता निर्देशक और पटकथा लेखक की पृष्ठभूमि गुजराती या किसी एक  राज्य से सम्बंधित है तो उसके अधिकाधिक कथावस्तु उसी सामाजिक माहौल से उठाए जाने की पूरी संभावना है।  ठीक यही तर्क भाषायी धार्मिक और जातीय पूर्वाग्रहों पर भी लागू होते ेहै।
साठ सतर के दशक में फिल्मों में गांव की कहानी होना एक आम बात थी क्योंकि ढ़ेरो कलाकार और लेखक गांवों या कस्बाई माहौल से उठकर फिल्मों में काम करने गए थे। परंतु आज ये सब नहीं होता। आज तो हर कहानी पंजाबी या गुजराती परिवार की है। उसमें भी ये परिवार केवल उच्च मध्यवर्गीय या औद्योगिक घराने से सम्बंधित हैं। धार्मिक या जातीय दृष्टि से इन पर नजर डाले तो तथ्य और भी चौंकाने वाले आएंगे। सही मायने में हमारा मीडिया राष्ट्रीय हो इसके लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि देश के विविधता भरे परिवेश से सभी वर्र्गोें के लोगों की न केवल दर्शक के रूप में मीडिया तक पहुंच हो बल्कि उसके कंटेट निर्माण में एक रचनात्मक भूमिका हो।
डेनिस मैक्यूल ने भी अपनी पुस्तक मीडिया परफार्मेंस में कहा है कि विविधता कई प्रकार की हो सकती है। उन्होंने कहा की इसके बहुत ज्यादा फायदे है। इसके द्वारा सभी को अपनी पंसद की सामग्री मिलती है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह देखने वाली बात होती है कि जो मीडिया कार्यक्रम बनाती है क्या उसमें विविधता दिखाई देती है। दूसरी बात है जो विविधता है वह एक ही चैनल पर है या इसके लिए अलग अलग चैनल उपलब्ध है। क्या इसमें विविधता है कि जो कार्यक्रम बनाए गए है वे समाज के सभी वर्गों तक पहुंच रहे ेहै या नहीं। मीडिया में अंदरूनी व बाहरी विविधता है या नहीं। सामाजिक राजनैतिक, क्षेत्र, सामाजिक व संस्कृति के हिसाब से विविधता है या नहीं। निचले व क्षेत्रीय स्तर पर विविधता है या नहीं। सभी राजनैतिक संगठन है उनको स्थान दिया जाता है या नहीं। पाठक वर्ग के हिसाब से विविधता है या नहीं।
होफमैन रियम ने 1987 में विविधता आंकने के चार सिद्वांत बताए थे। जो मुद्देे उठाए गए है उनमें विविधता है या नहीं। उनमें मनोरंजन सूचना से सम्बंधित विषय है या नहीं। सामग्री में सभी ग्रुप को स्थान दिया गया है या नहीं। जो हमारा क्षेत्र है उसको पूरा महत्व दिया गया है या नहीं।

रोहतक मण्डल एक परिचय
हरियाणा भारत के उतर पश्चिम में 27 डिग्री 37 मिनट से 30 डिग्री 35 मिनट उत्तर अक्षांश तक तथा पूर्व से पश्चिम तक यह 74डिग्री 28 मिनट से 77 डिग्री 36 मिनट पूर्वी देशांतर रेखांश के बीच स्थित है। इसका क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किलोमीटर है। इसको प्रशासनिक रुप से चार भागों में या चार मंडलों में बांटा गया हैं। आरम्भ में इसमें 7 जिले थे अब इसमें 21 जिले है। ये मंडल है हिसार, गुंडगांव, अंबाला व रोहतक मंडल है। रोहतक मंडल के अंतर्गत रोहतक पानीपत, करनाल, झज्जर व सोनीपत जिले आते है। रोहतक एक लोकसभा क्षेत्र भी है। इस समय इस सीट से सांसद दीपेंद्र सिंह हुडडा है। वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा का गांव संाघी भी इसी क्षेत्र में आता है।
रोहतक मंडल उत्तर पश्चिम 28 डिग्री 07 मिनट से 29 डिग्री 58 मिनट उत्तर अक्षांश तक व पूर्व से पश्चिम तक यह 76 डिग्री 12 मिनट से 77 डिग्री 13 मिनट पूर्वी देशांतर रेखांश के बीच स्थित है। इस मंडल की मुख्य फसलें गेहूं व चावल है। करनाल व पानीपत की मुख्य फसलें गेेहूं व चावल है। वही सोनीपत, रोहतक व झज्जर की मुख्य फसलें गेेहूं व सरसों है। पुराणों के अनुसार यह क्षेत्र महाभारत काल से जुडा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि करनाल नगर में आधुनिक कर्णताल के स्थान पर राजा कर्ण प्रतिदिन सोना दान करते थे। करनाल का ऐतिहासिक महत्व भी बहुत है मध्यकाल में यहा  लगभग 15 किलोमीटर दूर तराइन आधुनिक तरावडी के स्थान पर लडे गए युद्वों के परिणामस्वरुप भारत के इतिहास के अध्यायों में नवीन पृष्ठों का समावेश हुआ। महाभारत काल में जब युधिष्ठिर ने दुर्योधन से जो पांच पंत या प्रस्थ मांगे थे सोनीपत उनमें से एक है। इस समय सोनीपत प्रदेश का एक प्रमुख औधोगिक जिला है। रोहतक नगर प्रदेश के प्राचीन नगरों में से एक है। इस नगर की स्थापना रोहताश भ्रूम ने की थी। जनश्रुति के अनुसार यह नगर प्राचीन काल में रोहीडा जंगल को काटकर बसाया गया था। इसी का नाम रोहीतक हुआ, और धीरे धीरे फिर इसे रोहतक कहा जाने लगा।  इस जिले के महम में एक बावडी भी है जो शाहजहां ने बनवाई थी वह भी बडी मशहूर है। पुरातन खोजों ने इस नगर में सिंधु घाटी की सभ्यता के कुछ अवशेष प्राप्त हुए है। इस ऐतिहासिक नगर के नामकरण के बारे में कहा जाता है कि महाभारत की लडाई के समय पांडवों ने जिन पांच गांवों की दुर्योधन से मांग की थी, उनमें से एक पनपथ भी था। बाद में यही पनपथ समय की थपेडों की मार सहते हुए पानीपत बन गया।
दिल्ली से 90 किलोमीटर दूर शेरशाह सूरी मार्ग पर बसे इस नगर का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है।  यहां पर इब्राहिम लोदी का मकबरा भी है इसके साथ ही यहां का पचरंगा अचार, कंबल उघोग,फलाई ओवर कलंदर शा मकबरा, काला आम, फर्टिलाइजर व रिफाइनरी प्रमुख है। यहां गंधक भी काफी मात्रा में पाया जाता है।यहां तीन प्रमुख लडाइयां लडी  गई, जिन्होंने भारतीय इतिहास को नया मोड दिया। पानीपत की प्रथम लडाई 1526 ई में इब्राहिम लोद और बाबर के मध्य हुई, पानीपत की द्वितीय लडाई 1556 ई में अकबर और रेवाडी के हेमचंद्र हेमू के मध्य हुई। पानीपत की तीसरी लडाई अहमदशाह अब्दाली व मराठों के बीच 1761 में हुई। जिसमें मराठों की करारी हार हुई। झज्जर जिले का नाम छज्जू नामक व्यक्ति के नाम पर रखा माना जाता है। हरियाणा राज्य में सबसे ज्यादा पानी इसी राज्य में पाया जाता है। यहां का गुरूकुल बहुत मशहूर है। यहां पर संग्राहलय भी है। जिसमें पुराने सिक्के व बर्तन मिलते है।
प्रदेश का पशु मेला रोहतक में हर वर्ष लगता है जो बडा मशहूर है। यही एकमात्र ऐसा जिला है जिसकी सीमा किसी राज्य से नहीं लगती। उत्तरी सोनीपत को चावल का कटोरा कहते है। करनाल में स्थित कुंजपुरा नामक स्थान पर किला है जो बहुत मशहूर है व इसे देखने के लिए पर्यटक आते है। इसके साथ ही यहां दयाल सिंह कालेज, डीएवी कालेज जैसे मशहूर शिक्षण संस्थान है। झज्जर में द्वारका व जोखी सेठ द्वारा बनवाई गई हवेली बडी मशहूर है। इसी के साथ यहां के डीघल गांव का बैठक भवन भी बहुत मशहूर है। यहां शिक्षा के लिए नेहरु कालेज है। सोनीपत के प्रमुख उघोग ध्ंाधे साइकिल, मशीनी उपकरण, सूती वस्त्र व हौजरी है। यहां पुरूष साक्षरता दर 83 प्रतिशत व महिला साक्षरता दर 60 प्रतिशत है। रोहतक के प्रमुख उद्योग कपास गिनिंग, चीनी व पावर लूम है। यहां की तिलयार झील, मैना व नौरंग, दिनी मस्जिद व शीशे वाली मस्जिद पर्यटक केंद्र है। यहां महर्षि दयानंद विश्वविघालय व भगवत दयाल आयुर्वेदिक विश्वविघालय है। झज्जर के प्रमुख उद्योग मशीनरी उपकरण, आटोमोबाइल पार्टस, डीजल इंजन प्रमुख है।

1.1  उपकल्पना
उपकल्पना के बिना या उपकल्पना के अभाव में वैज्ञानिक अध्ययन संभव नहीं है। उपकल्पना के अभाव में वैज्ञानिक अध्ययन संभव नहीं है। उपकल्पना की अनुपस्थिति में वैज्ञानिक अध्ययन उद्ेदष्यहीन हो जाता है।
लुंडबर्ग और यंग ने  अस्थायी परिकल्पना निर्माण  को वैज्ञानिक विधि निर्माण को वैज्ञानिक विधि निर्माण का एक आवष्यक पद माना है। उपकल्पना एक सामान्य निष्कर्ष है, जिसकी सत्यता की परिभाषा षेष रहती है। उपकल्पना कोई भी अनुमान, कल्पनात्मक विचार, सहज ज्ञान या कुछ और भी हो सकती है। जो षोध का आधार बनती है। इस प्रकार हम कह सकते है कि उपकल्पना एक ऐसा विचार है, जो किसी तथ्य के विषय में खोज करने की प्रेरणा देती है।
किसी भी षोध में हम एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकते। जब तक कि हम उसको जन्म देने वाली कठिनाइयों के समाधान के बारे में नहीं सोचते और यह सोच विचार इत्यादि ही उपकल्पना कहलाती है। उपकल्पना को परिकल्पना या हाईपोथिसीस इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।
लुंडबर्ग के अनुसार उपकल्पना एक संभावित सामान्यीकरण होता है जिसकी सत्यता की जांच अभी बाकी रहती है।
गुड और हैट के अनुसार परिकल्पना यह बताती है कि हमें क्या खोज करनी है। परिकल्पना भविष्य की और देखती है। यह तर्क पूर्ण वाक्य होता है जिसकी वैधता की परीक्षा की जा सकती है। यह सत्य भी सिद्व हो सकती है और असत्य भी सिद्व हो सकती है।
प्रस्तुत षोध मे ेंषोधकर्ता कि उपकल्पना है कि
1 मीडिया में समाज के सभी वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।
2 समाचारों को समाचार पत्रों में उचित स्थान दिया जाता है।
3 अपराध व राजनैतिक समाचार ज्यादा होंगे।

1.2 शोध की आवश्यकता एवं महत्व
विश्व में जितने भी शोध हुए है आवश्यकता और जिज्ञासा के अनुरुप हुए है। शोध का अर्थ है। सत्य की खोज के लिए व्यवस्थित पर्यत्न करना। शोध हमारे भाव पूर्वाग्रह अनुमान से परे वास्तविक तथ्यों एवं उनमें निहित अर्थों पर आधारित होता है। खोज जिज्ञासा मांगता हैं। शुद्वता एवं ईमानदारी की अपेक्षा करती है। जिसके फलस्वरुप ही शोध सर्वश्रेष्ठ व निष्पक्षता की श्रेणी में आता हैं। अतः कहना गलत न होगा की जिस प्रकार इंजन के अभाव में डिब्बों का कोई औचित्य नहीं रहता ठीक उसी प्र्रकार शुद्वता जिज्ञासा व बिना वैज्ञानिक पद्वति के अभाव में शोध का भी कोई औचित्य नहीं हैं। इसलिए शोध वही है जिसमें शुद्वता निष्पक्षता व नवीनता का समावेश हो। इसी बात को आधार मानकर यह शोध कार्य किया गया है। यह शोध हरियाणा राज्य के रोहतक मंडल के मीडियार्मियों का समाजशास्त्र जानने के लिए किया जा रहा है तथा यह पता करने के लिए किया जा रहा है कि वे समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं । इसके साथ ही यह देखने के लिए किया जा रहा है कि समाचार पत्र में किस प्रकार की सामग्री आती है ।

1.3 शोध उद्देष्य
किसी भी शोध के लिए उद्देश्यों का होना परम आवश्यक है ।  बिना उद्देश्य के कोई भी कार्य सफल नही हो पाता । इसी प्रकार बिना उद्देश्य के शोध कार्य की कल्पना भी नही की जा सकती । इसीलिए शोधकर्ता के निम्न उद्देश्य है:
मीडियाकर्मियों के समाजशास्त्र के उद्देष्य
मुख्य उदेदश्य
1 मीडियाकर्मियों के समाजषास्त्र को जानना जिसके अंतर्गत उनकी जातीय पृष्ठभूमि का अध्ययन करना।
सहायक उदेदश्य
1. यह पता करना कि वो स्टिंग आप्रेशन के बारे में क्या मानते हैं।
2. यह पता करना कि उन्हें इस कार्य के लिए क्या तनख्वाह मिलती है।
3. यह पता करना कि उन्हें मीडिया में कितनी स्वतंत्रता प्राप्त है।
4. यह पता करना कि वे कहां रहते है।
विश्लेषण एवं मापन के उदेदश्य
1 समाचार पत्रों की विषयववस्तु में विविधता के अंतर्गत भौगोलिक दृष्टि से कवरेज में विविधता, समाचार पत्र की सामग्री में विविधता अर्थात, राजनैतिक आर्थिक, सामाजिक सामग्री में विविधता का अध्ययन करना।
सहायक उदेदश्य
1 शोध द्वारा विज्ञापनों, वर्गीकृत विज्ञापनों की संख्या ज्ञात करना एवं उनका अंतर्वस्तु विधि द्वारा विश्लेषण करना।
2 यह पता करना कि समाचार पत्र में जो सामग्री आ रही है उसमें दूसरा व तीसरा पात्र क्या है।
3 यह पता करना कि समाचार पत्र अपनी सामग्री में किस प्रकार के व्यक्तित्व को ज्यादा स्थान देता है।
 4 यह पता करना कि समाचार पत्र में समाचारों , लेख, रूपक, स्तंभ को कितना  स्थान देता है।
1.4 शोध विधि
जिस प्रकार एक बस को अपने गंतव्य तक पहुंचने में चालक की जरुरत होती है
ठीक उसी प्रकार किसी भी शोध कार्य को आगे बढाने हेतु एक शोध विधि की आवश्यकता होती है। जो शोध को निश्चित एवं निष्पक्षता प्रदान करती है। मुख्य रुप से शोध पद्वति एक विज्ञान है। जिसके द्वारा हमें पता चलता है कि किसी अनुसंद्यान को वैज्ञानिक विधि से किस तरह से किया जा सकता है। अनुसंद्यानकर्ता द्वारा शोध के लिए कई प्रकार की पद्वतियों का प्रंयोग किया जाता है। जैसे की जनगणना पद्वति निद्रेशन पद्वति, व्यक्तिक पद्वति अवलोकन पद्वति सर्वेक्षण पद्वति सांख्की य पद्वति प्रयोगात्मक पद्वति व साक्षात्कार पद्वति आदि इन विधियों का चुनाव करके अनुसंद्यानकर्ता शोध प्रक्रिया को  गति प्रदान करता है। विषय के अंतर्गत इस शोध कार्य के लिए सर्वेक्षण पद्वति का चुनाव किया गया है। सर्वेक्षण पद्वति शोध प्रक्रिया की वह पद्वति है जिसमें किसी समुदाय के जीवन क्रियाकलापों आदि के सम्बंध में तथ्यों को सर्वेक्षक द्वारा व्यवस्थित संकलित  एवं विश्लेंिषत किया जाता है। इस अध्ययन में अनुसंद्यानकर्ता स्वयं अनुभव के आधार पर लोगों से संपर्क करता है व उनसे शोध से सम्बंधित तथ्यों को संकलित करता है। जिससे कि शोध की वास्तविक शुद्व आंकडे प्राप्त हो ताकि शोध शुद्वता  व प्रमाणिकता की श्रेणी में आए।
बोर्गाडस के अनुसार सर्वेक्षण अध्यन मौटे तौर पर किसी क्षेत्र विषेष के लोगों के रहन सहन तथा कार्य करने की दषाओं से सम्बंधित तथ्यों को संकलित करना हैं।
जब षाोधकर्ता किसी भी समूह के अध्ययन के लिए केवल कुछ लोगों का चयन कर उनका अध्ययन करता है तो चुनाव कि इस प्रक्रिया को निदर्षन के नाम से जाना जाता है। निदर्षन जितना अच्छा होगा परिणाम उतने ही अधिक विष्वासनीय एवं ंषुद्व होंगें और निदर्षन तभी उपयुक्त होगा जब यह संपूर्ण समूह का प्रतिनिधित्व करे। निदर्षन का प्रयोग हम सामान्य जीवन में भी करते हैं।
अनाज के भरे हुए थैले में से मुटठी भर दानों से हम थैले के सारे दानों का अनुमान लगा सकते है। निदर्षन के द्वारा श्रम व समय में बचत, कार्य गति में तीव्रता, अपेक्षाकृत अधिक विस्तृत क्षेत्र व अधिक परिषुद्वता।
बोगार्डस के अनुसार पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार एक समूह में से निष्चित प्रतिषत की इकाइयों का चयन करना ही प्रतिदर्षन है।
गुड तथा हैट के अनुसार एक प्रतिदर्षन एक बड़े समग्र का छोटा प्रतिनिधि है। 
करलिंगर के षब्दों में प्रतिदर्षन समग्र जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले अंषों का चयन है। फेयरचाइल्ड के षब्दों एक समग्र समूह में से एक भाग का चयन करना प्रतिदर्षन पद्वति कहलाती है।
यंग के अनुसार एक सम्पूर्ण समूह जिसमें से प्रतिदर्षन का चयन करना है, जनसंख्या समग्र या प्रदाय कहलाता है और इस समग्र में से अध्ययन हेतु ऐसा सूक्ष्म चित्र या परावर्ग जिसमें समग्र की सभी विषेषताएं, प्रतिदर्षन कहलाती है।
देव निर्देषन विधि द्वारा षोधकर्ता षोध को कम समय, कम खर्च तथा कम श्रम का उपयोग करके ही पूरा कर लेता है। व्यवहार में प्रत्येक इकाई का सम्मिलित करना संभव नहीं होता। यह भी संभव है कि इकाइयां बहुत बड़े क्षेत्र में बिखरी हुई हों, जिसके परिणामस्वरुप उनसे संपर्क करना कठिन होता है। अत व्यवहारिक दृष्टिकोण से निर्देषन विधि के द्वारा प्राप्त परिणामों से उतनी ही परिषद्वता प्राप्त की जा सकती है, जितनी कि जनगणना विधि से संभव है। मौटे तौर पर कहा जा सकता है कि समग्र का उचित प्रतिनिधित्व करने वाली कुछ  चुनी हुई इकाईयों को निदर्षन कहा जाता है। निदर्षन विधि निदर्षन में सभी इकाइयों को क्रमबद्व करके उसमें प्रत्येक इकाई को चुन लिया जाता है। इस प्रकार सभी इकाईयों को निदर्षन में सम्मलित होने का समान अवसर मिल जाता है। इस विधि के अंतर्गत षोधकर्ता चाहे तो कम्प्यूटर में भी रैंडम सीट के माध्यम से जितनी इकाइयां लेनी चाहे ले सकता है। उदाहरण के लिए अगर हमें 4000 में से 400 इकाइयां निकालनी हो तो हम यह आसानी से निकाल सकते है। ऐसा करने से षोधकर्ता जितनी संख्या में निदर्षन का चयन करना चाहता उतना ही आसानी से कर सकता है।
सर्वेक्षण पद्वति सर्वेक्षण षब्द का प्रयोग न केवल सामाजिक विज्ञानों में अपितु ज्ञान की अन्य भिन्न भिन्न षाखाओं जैसे कि भूगर्भषास्त्र, भूगोल इंजिनियरिंग आदि में भी किया जाता है।
    सर्वेक्षण अंग्रेजी षब्द सर्वे का हिंदी रुपांतर है। इसको दो भागों में विभाजित किया जाता है। जिसका अर्थ है। उपर देखना अर्थात किसी भी घटना अथवा परीक्षण का उपरी निरीक्षण है। सामान्यत षब्द कोषों में सर्वेक्षण का षब्दार्थ किसी दिषा स्थिति अथवा मूल्य के सम्बंध में जांच करना है।
    ई डब्ल्यू वर्गेस ने लिखा है कि एक समुदाय का सर्वेक्षण सामाजिक प्रगति के एक रचनात्मक कार्यक्रम को प्रस्तुत करने से इनकी परिस्थितियां एवं आवष्यकताओं का वैज्ञानिक अध्ययन हैैं। समान विषेषज्ञ की सांख्कीय मापों तथा तुलनात्मक मापदंडों द्वारा जांचा गया सामाजिक अंतदर्षन का  एक ढ़ंग है।
    डेनिस चेपमेन के अनुसार सामाजिक सर्वेक्षण एक विषिष्ट भौगोलिक सांस्क्तिक अथवा  प्रषासनिक क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों से संबंधित तथ्यों को एक व्यवस्थित रुप में संकलित किए जाने की एक विधि है।
सर्वेक्षण की विषयवस्तु सर्वेक्षण पद्वति का प्रयोग विभिन्न प्रकार के तथ्यों के संकलन के लिए किया जा सकता हैं। कोई भी विषय, जिसे सूचनादाता सर्वेक्षण को बताने के लिए योग्य है अथवा तैयार हैं। वह सर्वेक्षण की विषयवस्तु बन सकता है।
मोजन तथा कााटलन ने सर्वेक्षण की विषयवस्तु बताते हुए लिखा है कि उपलब्ध सर्वेक्षणों को देखने से पता चलता है कि मानवीय जीवन के अभी कुछ ऐसे पक्ष है जिनकी और सामाजिक सर्वेक्षण का ध्यान नहीं गया।
तथापि सामाजिक सर्वेक्षण की विषयवस्तु  को मौटे तौर पर चार प्रकार से बांटा गया है।
1 जनसंख्यात्मक विषेषताओं का अध्ययन।
2 सामाजिक पर्यावरण का अध्ययन।
3 समुदाय के क्रिया कलापों का अध्ययन।
4 व्यक्ति के विचारों एवं मनोव्तियों का अध्ययन।
सर्वेक्षण की विषेषताएं या प्रकृति
1 सामाजिक घटनाओं का अध्ययन।
2 एक निष्चिित भौगोलिक क्षेत्र।
3 सामाजिक सर्वेक्षण एक प्रकार की वैज्ञानिक विधि है।
4 समाज सुधार की किसी क्रियात्मक योजना का निरुपण।
सर्वेक्षण के प्रकार
1 सामान्य व विषयमूलक सर्वेक्षण।
2 नियमित व कार्यवाहक सर्वेक्षण।
3 अंतिम व पूरावर्तक सर्वेक्षण।
4 जनगणना व निदर्षन सर्वेक्षण।

षोध प्रक्रिया
षोधकर्ता के द्वारा देव निदर्षन विधि के चयन का कारण षोधकर्ता के अनुसार  इस षोध अध्ययन के लिए यह विधि उपयुक्त हैं। क्योंकि संगणना पद्वति के द्वारा इस षोध को सही रूप से नहीं किया जा सकता। कारण यह है कि रोहतक मंडल के सभी मीडियाकर्मियों का अध्ययन कर पाना काफीे कठिन होता है। वही दूसरी और सर्वेक्षण विधि से पूरे रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों का आंकलन कर पाना भी संभव नहीं।
इसके लिए निदर्षन विधि का चयन किया गया, प्रस्तुतषोध अध्ययन में हरियाणा के रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों को षोध के लिए चुना गया। षोध प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों को लिया गया। फिर सभी कोे एक नंबर दिया गया व कम्प्यूटर में रैंडम सीट के माध्यम से उनका चुनाव किया गया।

शोध विधि अंर्तवस्तु विश्लेषण
वह प्रविधि है, जिसके द्वारा प्रलेख या सम्प्रेषण सामग्री का वस्तुष्ठि व्यवस्थित और मात्रात्मक ढंग से विष्लेषण करके सामग्री को अंर्तनिहित तथ्यों को ज्ञात किया जाता है। अंर्तवस्तु विष्लेषण संचार षोध की अति महत्वपूर्ण विधियों में से एक है। मीडिया के प्राय सभी क्षेत्रों में इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में प्रलेख, लेख, कहानी, समाचार पत्र, टेलीविजन आदि की विषय सामग्री का विष्लेषण किया जाता है। अंर्तवस्तु विष्लेषण में सम्प्रेषित सामग्री का विष्लेषण समय और स्थान के माप के आधार पर किया जाता है। यदि संप्रेषित सामग्री समाचार पत्र में छपी सामग्री है तब स्थान के आधार पर उस सामग्री का विष्लेषण किया जाएगा कि समाचार पत्र के किस पृष्ठ पर किस स्थान पर सामग्री छपी है किस कालम में व उसका स्थान व माप क्या है। इस विधि द्वारा यह पता लगाया जाता है कि समाचार पत्र, विज्ञापनों लेख आदि को कितना स्थान देता है किन समाचारों को प्रमुख स्थान देता है। इन सभी बातों का अंर्तवस्तु विष्लेषण विधि द्वारा पता लगाया जाता है। इस अनुसंद्यान में अंर्तुवस्तु विष्लेषण तकनीक से प्राप्त तथ्य विष्वसनीय होते हैं और इस  प्रक्रिया में अध्ययनकर्ता विष्लेषण बहुत ही व्यवस्थित ढंग से क्रमबद्व तरीकों से और  मात्रात्मकता को ध्यान में रखकर करता हैं। इसलिए विष्लेषण के आधार पर प्राप्त परिणाम व तथ्य पूर्ण रुप से विष्वासनीय होते है। बर्नार्ड बेरेल्सन ने सर्वप्रथम अंतर्वस्तु विष्लेषण को परिभाषित करते हुए बताया अंर्तवस्तु विष्लेषण संचार के व्यक्त संदर्भ के विषयात्मक, क्रमबद्व एवं परिणाामात्मक वर्णन की एक अनुसंद्यान प्रविधि है।
एफ एन कर्लिंजर के अनुसार अंतर्वस्तु विष्लेषण क्रमबद्व, वस्तुनिष्ठ एवं गणनात्मक  तरीके से चरों को मापने के लिए संचार के अध्ययन एवं विष्लेषण की एक विधि है।
अरथर असा बरजर ने  अपनी पुस्तक मीडिया रिसर्च तकनीक में लिखा है कि अंतर्वस्तु विष्लेषण लोगों पर परीक्षण करके उनके बारे में कुछ जानने का साधन है। इससे स्पष्ट होता है कि अंर्तवस्तु विष्लेषण विधि विषयवस्तु की गहराई में जाने व परिणामात्मक ढंग के लिए प्रयोग की जाती है तथा विषयवस्तु क्या कहती है इसका अध्ययन किया जाता है।

शोध प्रक्रिया
    शोधकर्ता ने समाचार पत्रों के विश्लेषण के लिए प्रत्येक समाचार पत्र की 400 इकाईयों को लिया है । इसके लिए शोधकर्ता ने देव निर्देशन विधि का चुनाव किया गया है । जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि निर्देशन में हम सम्पूर्ण को न लेकर कुछ को ले लेते है ।  जिसमें समस्त इकाईयों के सभी गुण समान अनुपात में विद्यमान हो अर्थात समस्त प्रतिदर्श का चुनाव न करते हुए हर समाचार पत्र की 400 इकाईया लॉटरी द्वारा चुनी गई है । जोकि सम्पूर्ण समाचार पत्र का प्रतिनिधित्व करेगी । इसके लिए निरन्तर सप्ताह के तहत समाचार पत्र इकटठे किए गए है । यानि की 30 जून से 6 जुलाई तक के दैनिक भास्कर एवं दैनिक जागरण समाचार पत्र लिए गए है ।

1.5 षोध सीमाएं

1      इस षोध के द्वारा हम पूर्ण जानकारी  प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि छोटे स्तर पर संपूर्ण  जानकारी प्राप्त करना संभव नहीं है। सिर्फ रोहतक मंडल के 100 मीडियाकर्मियों को इस शोध प्रबंध में लिया गया है ।
2.    सामग्री के विश्लेषण के लिए सिर्फ एक सप्ताह के समाचार पत्र इकट्ठे किए गए है । 30 जून से 6 जुलाई तक के समाचार पत्र इकट्ठे किए गए हैं ।

द्वितीय अध्याय
साहित्यिक अवलोकन

1.    शाह और मैकॉम ने 1977 में 1972 के राष्ट्रपति चुनाव सामग्री का अध्ययन किया और पाया कि एजेन्डा सैटिंग में समाचार पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है बजाए टेलिविजन के लेकिन जब राष्ट्रपति के चुनाव के दिन बिल्कुल नजदीक आ जाते है तब टेलिविजन महत्वपूर्ण रोल निभा सकता
है ।
2.    पी.सी. जोषी कमेटी जो 1983 में बनी थी उसने भी सुझाव दिया था कि गावं के लोगों वह उनकी संस्कृति को ध्यान में रखकर कार्यक्रमों का निर्माण होना चाहिए वह गांव के लोगों को इसमें उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। वह बाहर से कार्यक्रम आयात नहीं किए जाने चाहिए तथा सिर्फ षहरी लोगों को ध्यान में रखकर कार्यक्रम का निर्माण नहीं होना चाहिए।
3.    डा. देवव्रत सिंह ने 2005 में स्टार न्यूज, जी न्यूज व आज तक समाचार चैनलों का अघ्ययन किया और पाया कि इन तीनों समाचार चैनलों की सामग्री लगभग एक समान है। सिर्फ प्रदर्षन का ही अंतर है। उन्होंने यह भी पाया कि यह न्यूज चैनल 60 प्रतिषत कवरेज का समय बडे़ षहरों या राज्य की राजधानियों को देते है और सिर्फ 6.6 प्रतिषत कवरेज ही गांव व छोटे कस्बों को देते है।
4.    मूवमैंट फार जस्टिस एंड पीस द्वारा रचित व अनीस मोहम्मद द्वारा लिखित इम्पलीमैंट सच्चर कमेटी रिपोर्ट 17 नवम्बर 2006 को  प्रधानमंत्री को सौंपी गई जिसमें देष के मुस्लिमों की सामाजिक,आर्थिक वषैक्षणिक स्थिति का ब्यौरा दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार देष की कुल जनसंख्या का13.4 प्रतिषत भाग मुस्लिमों का है लेकिन इनका सरकारी नौकरी में प्रतिनिधित्व केवल 4.9 प्रतिषत है।
5.    सच्चर कमेटी रिपोर्ट सभा में 19 मई 2007 को को भारतीय मुस्लिम एवं मीडिया नामक पत्र केरल के त्रिवेंद्रम में प्रस्तुत किया गया। विकासषाील समाज अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के अनिल चामरिया, स्वतंत्र पत्रकार , जितेंद्र कुमार स्वतंत्रषोधार्थी एवं योगेंद्र यादव सीनियर फैलो द्वारा 40 मीडिया संस्थानों पर सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि उच्च जाति के लोगों की जनंसख्या देष की कुल जनसंख्या का आठ  प्रतिषत है और मीडिया में निर्णय लेने वाले लोगों में उनकी भागीदारी 71 प्रतिषत है।
6.    बुश गरनेल्ड माइकल ने मीडियाकर्मियों पर एक अध्ययन किया कि सांस्कृतिक विविधता का  मीडियाकर्मियों पर प्रभाव होता है या नही इसके लिए उन्हेांने दो मीडियाकर्मियों को लिया जिसमें एक काला व एक गौरा था और उन्हें एक ही प्रकार का कार्य दिया गया और यह कहा गया कि वे आपस में बात नहीं करेंगे । लेकिन फिर उन्हें एक और कार्य दिया गया और उन्हें साथ में काम करने को कहा गया तो उन्होंने ऐसा कार्य किया कि उन्हें उस कार्य के लिए पुरस्कार भी मिला । इससे इस प्रकार यह सिद्ध हुआ कि अगर मीडिया में विभिन्न संस्कृति के लोग मिलकर कार्य करेंगे तो वे अच्छा कार्य कर पाएंगे ।

                               तृतीय अध्याय
मीडियाकर्मियों का सर्वेक्षण
ः-प्रस्तुतषोध में षोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों का  सर्वेक्षण में निदर्षन के आधार पर उनका समाजषास्त्र जाना है।
रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों की आयु वर्ष संख्या
तालिका -1
वास्तविक आयु    संख्या    प्रतिषत संख्या
1 से 25 वर्ष    13    13.0
26 से 30 वर्ष    28    28.0
31 से 35 वर्ष    27    27.0
36से 40 वर्ष    16    16.0
41 से 45 वर्ष    5    5.0
46से 50वर्ष    4    4.0
51से55 वर्ष    2    2.0
56 से अधिक वर्ष    5    5.0
कुल योग    100    100.0

रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों पर यह षोध कार्य किया गया है। अतः  इस सम्बंध में रोहतक मंडल के 100 मीडियाकर्मियों पर सर्वेक्षण किया गया। जिसके द्वारा उनका समाजषास्त्र जाना गया। एक अनुसूचि के माध्यम से उनसे उनके समाजषास्त्र के बारे में प्रष्न पूछे गए। तथा उन प्रष्नों से प्राप्त उत्तर के निष्कर्ष के आधार पर षोध प्रक्रिया को पूर्ण किया गया। सारणी को देखकर पता चलता है कि 1 से 25 वर्ष के 13  प्र्रतिषत मीडियाकर्मीे मीडिया में काम करते है, 26 से 30 वर्ष के 28 मीडियाकर्मीी मीडिया में काम करते है, जबकि 31 से 35 वर्ष के 27 प्रतिषत मीडियाकर्मी मीडिया में काम करते है, 36 से 40 वर्ष के 16 प्रतिषत मीडियाकर्मी इस पेषे में काम करते है। इसके साथ ही 56 वर्ष से अधिक वर्ष के भी 5 प्रतिषत मीडियाकर्मी मीडिया में काम करते है। इस तालिका से यह भी पता चलता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी युवा है।
रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों की लिंग अनुपात संख्या
तालिका - 2
थ्लंग    संख्या    प्रतिषत संख्या
पुरूष    98    98.0
महिला    2    2.0
कुल योग    100    100.0

सर्वेक्षण के आधार पर जब रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों की लिंग अनुपात संख्या षोध की आवष्यकता एवं महत्व के अनुसार ज्ञात की गई तो षोध के आंकड़ों के आधार पर सर्वेक्षण में चयनित मीडियाकर्मियों में से पुरुष मीडियाकर्मियों का  प्रतिषत 98 है जबकि महिला मीडियाकर्मियों का मात्र 2 प्रतिषत है। इससे साफ पता चलता है कि मीडियाकर्मियों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है जो कि एक चिंताजनक पहलू है।
रोहतक मंडल के मीडियाकर्मी किस वर्ग से है
तालिका - 3
जाति    संख्या    प्रतिषत संख्या
ब््रााहमण, राजपूत    28    28.0
जाट, पंजाबी, बनिया    49    49.0
अनुसूचित जाति    7    7.0
पिछड़ी जाति    10    10.0
कोई जवाब नहीं    6    6.0
कुल योग    100    100.0

इस सारणी से साफ पता चलता है कि मीडिया में सबसे ज्यादा जाट, पंजाबी व बनिया वर्ग सबसे अधिक है। जिसका प्रतिषत 49 है। दूसरे नंबर पर ब्राहमण व राजपूत वर्ग आता है जिसका प्रतिषत 28 है। सबसे कम प्रतिषत अनूसूचित जाति का आता है जिसका रोहतक मंडल में मीडियाकर्मियों में प्रतिनिधित्व मात्र 7 प्रतिषत है। जबकि 10 प्रतिषत पिछड़ी जाति के मीडियाकर्मी है। इसके साथ ही 6 प्रतिषत ऐसे भी मीडियाकर्मी   थे जिन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
मीडियाकर्मियों का निवास स्थान
तालिका - 4

रहने का स्थान    संख्या    प्रतिषत संख्या
नगरीय    69    69.0
ग्रामीण    17    17.0
दोनों जगह    14    14.0
कुल योग    100    100.0

षोध के अनुसार रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों का 69 प्रतिषत नगरीय है। जबकि  17 प्रतिषत का ग्रामीण है। इसके साथ ही 14 प्रतिषत मीडियाकर्मी दोनों जगह रहते है। इससे साफ यह भी पता चलता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी नगर में रहते है क्योंकि उन्हें कार्य करने में आसानी होती है।   
मीडियाकर्मियों की स्थिति
तालिका - 5
स्थिति     आवृति    प्रतिषत संख्या
विवाहित    79    79.0
अविवाहित    21    21.0
कुल योग    100    100.0
मीडिया से जुड़े हुए 79 प्रतिषत मीडियाकर्मी वैवाहिक है, जबकि 21 प्रतिषत मीडियाकर्मी अविवाहित है। इससे साफ यह भी पता चलता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी विवाहित है।   
मीडियाकर्मियों के बच्चों की संख्या
तालिका - 6

बच्चों की संख्या    संख्या    प्रतिषत संख्या
0    28    28.0
1    27    27.0
2    35    35.0
3    9    9.0
4    0    0.0
5    1    1.0
कुल योग    100    100

इस तालिका से साफ पता चलता है कि 28 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी है जिनके कोई बच्चा नहीं है, जबकि 27 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी है जिनके 1 बच्चा है, जबकि सबसे ज्यादा 2 बच्चे वाले 35 प्रतिशत मीडियाकर्मी है। इसके साथ ही 3 बच्चों वाले मीडियाकर्मी 9 प्रतिशत है। इसके साथ एक प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी ऐसे है जिनके 5 बच्चें है। बच्चे कौन से स्कूल में पढ़ते हैैै
मीडियाकर्मियों के बच्चें कहां षिक्षा ग्रहण करते है।
तालिका -7
 स्कूल     संख्या    प्रतिषत संख्या
सरकारी    1    1.0
थ्नजी    53    53.0
अन्य    9    9.0
लागू नहीं होता    37    37.0
कुल योग    100    100.0

जब मीडियाकर्मियों से यह पूछा गया कि उनके बच्चे कौन से स्कूल में पढ़ते है तो 53 प्रतिषत मीडियाकर्मियों ने कहा कि उनके बच्चें निजी विद्यालय में पढ़ते है। जबकि 1 प्रतिषत ने कहा कि उनके बच्चें सरकारी विद्यालय में पढ़ते है, जबकि 9 प्रतिषत ने कहा कि उनके बच्चें अन्य जगह पढ़ते है। इसके साथ ही 37 प्रतिषत मीडियाकर्मी ऐसे थे या तो जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया या उनपर यह प्रष्न लागू ही नहीं होता।
मीडियाकर्मियों का शैक्षणिक स्तर
तालिका - 8
 षिक्षा    संख्या    प्रतिषत संख्या
छसवीं    4    4.0
बारहवीं    8    8. 0
स्नातक    24    24.0
व्यवसायिक    49    49.0
स्नात्तकोतर    7    7.0
अन्य    8    8.0
कुल योग    100    100.0

रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से जब यह पूछा गया कि उनका षैक्षणिक स्तर क्या है तो सबसे ज्यादा 49 प्रतिषत ने कहा कि उन्होंने व्यवसायिक डिग्री ली हुई है। जिनमे से 45 मीडियाकर्मियों ने पत्रकारिता क्षेत्र में षिक्षा ग्रहण की है। इनमें से 38 के पास पत्रकारिता की स्नातकोत्तर डिग्री है, जबकि 7 ने स्नातक के बाद पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। इससे हमें यह भी पता चलता है कि बहुत से मीडियाकर्मी इस पेषे में व्यवसायिक षिक्षा लेकर ही आए है, जबकि 24 प्रतिषत मीडियाकर्मियों ने बताया कि वो स्नातक तक की षिक्षा ग्रहण कर चुके है। इससे साफ यह भी पता चलता है कि ज्यादातर रोहतक मंडल के मीडियाकर्मी अच्छी षिक्षा ग्रहण करके इस पेषे में आए है।

मीडियाकर्मियों द्वारा लिया गया व्यवसायिक प्रषिक्षण
                    तालिका - 9

प्रतिक्रियाएं    आवृति    प्रतिषत संख्या
हां    4    4.0
नहीं    96    96.0
कुल योग    100    100.0

इससे साफ पता चलता है कि रोहतक मंडल के ज्यादातर मीडियाकर्मियों ने इस पेषे में आने से पहले कोई व्यवसायिक प्रषिक्षण नहीं लिया है। क्योंकि सिर्फ 4 प्रतिषत ने ही ऐसा कहा कि उन्होंने इस पेषेे में आने से पहले व्यवसायिक प्रषिक्षण लिया था।
मीडियाकर्मियों का वर्तमान पद
तालिका -10
प्द    आवृति    प्रतिषत संख्या
रिपोर्टर    20    20.0
संवाददाता    18    18.0
कार्यालय संवाददाता    1    1. 0
उपसंपादक    13    13.0
वरिष्ठ उपसंपादक    5    5.0
संपादक    2    2 .0
स्वतंत्र संवाददाता    10    10.0
अन्य    6    6. 0
वरिष्ठ संवाददाता    8    8 .0
ब्यूरोचीफ    17    17. 0
कुल योग    100    100. 0

इस सारणी से साफ पता चलता है कि मीडिया में सबसे ज्यादा 20 प्रतिषत रिपोर्टर है, जबकि 18 प्रतिषत संवाददाता है, वहीं 17 प्रतिषत ब्यूरो चीफ के पद पर कार्यरत है। इसके साथ ही स्वतंत्र संवाददाता भी 10 प्रतिषत है। इससे यह भी पता चल रहा है कि इस सर्वेक्षण में मीडिया में हर पद पर काम करने वाले व्यक्ति आए है।
मीडियाकर्मियों का वेतन
तालिका - 11
तनख्वाह रूपए में    संख्या    प्रतिषत संख्या
3500     2    2.0
4000    8    8.0
4500    1    1.0
5000    4    4.0
5500    1    1.0
6000    6    6.0
7000    4    4.0
7500    4    4.0
8000    2    2.0
8500    2    2.0
9000    4    4.0
9500    2    2.0
10000    14    14.0
11000    1    1.0
12000    4    4.0
12500    1    1.0
14000    5    5.0
15000    4    4.0
22000 व इससे अधिक    2    2.0
नहीं बताया    29    29.0
कुल योग        100    100.0

जब मीडियाकर्मियों से यह पूछा गया कि वर्तमान में वे जिस पद पर कार्यरत है उनके लिए उन्हें क्या वेतन दिया जाता है तो 29 प्रतिषत मीडियाकर्मियो ने अपना वेतन बताने से स्पष्ट इनकार कर दिया। इस सारणी से साफ यह भी पता चलता है कि 2 प्रतिषत हमारे मीडियाकर्मी ऐसे है जिन्हें सिर्फ 3500 रूपए वेतन मिलता है, जो कि हरियाणा सरकार द्वारा किसी भी पेषे के लिए न्यूनतम वेतन घोषित किया गया है, जबकि 10000 वेतन 14 प्रतिषत मीडियाकर्मियों को  वेतन मिलता है । मात्र 2 प्रतिषत मीडियाकर्मी है जिसे 22000 रूपए व इससे अधिक वेतन महीना मिलता है।
मीडियाकर्मियों द्वारा किया जाने  वाला दूसरा कार्य
तालिका - 12
कार्य    संख्या    प्रतिषत संख्या
कोई कार्य नहीं    78    78.0
व्यापार    5    5.0
व्याखाता    4    4.0
कृषि    5    5.0
अन्य    6    6 .0
कोई जवाब नहीं    2    2. 0
कुल योग    100    100.0

इस तालिका से साफ पता चलता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी दूसरा कोई कार्य नही करते है। 5 प्रतिशत ने कहा कि वो व्यापार करते हैं जबकि 6 प्रतिशत अन्य कार्य करते हैं । 

मीडियाकर्मियों का कुल वेतन
तालिका - 13
कुल आय    संख्या    प्रतिषत संख्या
3500    2    2.0
4000    7    7.0
4500    1    1.0
5000    3    3.0
5500    1    1.0
6000    5    5.0
7000    2    2.0
7500    4    4.0
8000    3    3.0
8500    3    3.0
9000    3    3.0
9500    2    2.0
10000    14    14.0
11000    1    1.0
12000    4    4.0
12500    1    1.0
14000    4    4.0
15000    4    4.0
16000    1    1.0
20000    2    2.0
22000 व इससे ऊपर    3    3.0
कोई जवाब नहीं    30    30.0
कुल योेग     100    100.0
    जब मीडियाकर्मियों से यह पूछा गया कि वर्तमान में में कुल आय मासिक क्या है तो 30 प्रतिषत मीडियाकर्मियो ने अपनी बताने से स्पष्ट इनकार कर दिया। इस सारणी से साफ यह भी पता चलता है कि 2 प्रतिषत हमारे मीडियाकर्मी ऐसे है जिनकी महीने की कुल आय सिर्फ 3500 रूपए है, जबकि मात्र 3 प्रतिषत मीडियाकर्मी है जिसेकी मासिक आय 22000 रूपए महीना है।
मीडियाकर्मी व उनकी संस्था
तालिका - 14
संस्था    संख्या    प्रतिषत संख्या
दैनिक भास्कर    24    24.0
दैनिक जागरण    17    17.0
अमर उजाला    8    8.0
हिंदुस्तान टाइम्स    1    1.0
हरिभूमि    8    8.0
प्ंजाब केसरी    14    14.0
टाइम्स आफ इंडिया    1    1.0
जैन टीवी    2    2.0
टोटल टीवी    2    2.0
आल इंडिया रेडियो    1    1.0
अन्य     17    17.0
हरियाणा न्यूज    5    5.0
कुल योग    100    100.0

इस सारणी से साफ जाहिर होता है कि सबसे ज्यादा मीडियाकर्मी दैनिक भास्कर से जुड़े हुए है जिनकी संख्या 24 प्रतिषत है, जबकि दूसरे नंबर पर दैनिक जागरण आता है जिससे 17 प्रतिषत मीडियाकर्मी जुड़े हुए है। इसका कारण भी साफ है क्योंकि यही दोनों समाचार पत्र पाठकों द्वारा सबसे ज्यादा पढ़े जाते है। इसलिए इन दोनों समाचार पत्रों के मीडियाकर्मी भी इस मंडल में ज्यादा है।
मीडियाकर्मियों का कार्यक्षेत्र
तालिका - 15
  कर्य स्थल    संख्या    प्रतिषत संख्या
जिला मुख्यालय    100    100.0
कुल योग    100    100.0

तालिका से साफ पता चलता है कि सभी मीडियाकर्मी अपने जिला क्षेत्र में कार्य करते है अन्य क्षेत्रो में दखल नहीं देते है । 
मीडियाकर्मी मीडिया में कब से कार्यरत है
तालिका - 16
 अनुभव वर्षों में    संख्या    प्रतिषत संख्या
1 साल से कम    4    4.0
1 से 2 साल तक     10    10.0
3 से 4 साल तक     20    20.0
5 से 6 साल तक     17    17.0
7 से 8 साल तक     16    16.0
9 से 10 साल तक     10    10.0
11 से 12 साल तक     8    8.0
13 से 14 साल तक     3    3.0
15 से 20 साल तक     9    9.0
21 से 30 साल तक     3    3.0
कुल योग    100    100

इस तालिका से साफ पता चलता  है कि  4 प्रतिषत हमारे मीडियाकर्मी ऐसे है  जिन्हें इस पेषे में काम करते हुए 1 साल से कम का समय हुआ है। 1 से 2 साल तक का योग 10 है । व सबसे अधिक मीडियाकर्मी ऐसे है जिनका अनुभव 3 से 4 साल है और उनकी संख्या 20 है । इससे यह भी पता चलता है कि रोहतक मंडल के मीडिया कर्मियों का इस पैसे में अनुभव प्रर्याप्त है वो जन-जन तक अपनी आवाज पहुचाने का प्रयास कर रहे हैं ।
मीडियाकर्मियों की स्वतंत्रता के बारे में राय
तालिका - 17
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिशत संख्या
पूर्ण    11    11.0
लगभग पूर्ण    13    13.  0
लगभग आधी    38    38 .0
बहुत कम     18    18.0
बिल्कुल भी नहीं    20    20.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने मीडियाकर्मियों से यह पूछा की उनकी नजर में मीडियाकर्मियों को कितनी स्वतंत्रता प्राप्त है तोे मात्र 11 प्रतिशत ने ही कहा कि उन्हें पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है, जबकि 13 प्रतिशत ने कहा कि लगभग पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है, जबकि 20 प्रतिशत मीडियाकर्मी मानते है कि मीडिया में बिल्कुल भी स्वतंत्रता नहीं है। इसके साथ ही ही 18 प्रतिशत मानते है कि बहुत कम स्वतंत्रता प्राप्त हैं। सबसे ज्यादा 38 प्रतिशत उत्तरदाता है जो यह मानते है कि इस पेशे में लगभग आधी स्वतंत्रता प्राप्त है। इस तालिका से साफ यह भी जाहिर होता है कि मीडिया में मीडियाकर्मियों की ऐसी संख्या बहुत कम है जो यह मानते है कि इस पेशे में पूर्ण स्वतत्रंता है।

मीडिया द्वारा कर्त्तव्यों का पालन
तालिका - 18
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
पूर्ण रूप से    18    18.0
लगभग पूर्ण    24    24.0
लगभग आधा    23    23.0
बहुत कम    29    29.0
बिल्कुल नहीं    6    6.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि क्या मीडिया अपने कर्तव्यों का सही पालन कर रहा है तो मात्र 18 प्रतिशत ही मीडियाकर्मी ऐसे थे जिन्होंने कहा कि पूर्ण रूप से, जबकि 24 प्रतिशत ने कहा कि लगभग पूर्ण रूप से। इसके साथ ही 29 प्रतिशत ने कहा कि बहुत कम मीडिया अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि मीडिया को जो करना चाहिए और जो अपना फर्ज निभाना चाहिए कही न कही वह उससे भटक गया है।
आज का मीडिया किस प्रकार का है
तालिका - 19
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
नहीं    14    14.0
क्म    3    3.0
कोई जवाब नहीं    13    13.0
ळां    21    21.0
मालिक हित    5    5.0
मीडियाकर्मी हित    2    2.0
राजनीति     11    11.0
व्यापारिक हित    31    31.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि क्या आज का मीडिया पक्षपातपूर्ण हो गया है तो 14 प्रतिशत ऐसे उत्तरदाता ऐसे  थे जिन्होंने इस बात को बिल्कुल नकार दिया तथा 3 प्रतिशत ने कहा कि बहुत कम हुआ है, जबकि 13 प्रतिशत उत्तरदाता ऐसे थे जिन्होंने इस प्रश्न का कोई जबाव नहीं दिया। इसके साथ ही 21 प्रतिशत मीडियाकर्मियों ने कहा कि हां आज का मीडिया पक्षपातपूर्ण हो गया है। इसके साथ ही 5 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी  थे जिन्होंने कहा कि यह सब मालिकों के हितों के कारण हो रहा है, जबकि 2 प्रतिशत ने कहा कि मीडियाकर्मियों के अपने हितों के कारण हो रहा है, इसके साथ ही 11 प्रतिशत मीडियाकर्मी ऐसे थे जिन्होंने कहा कि  यह सब राजनीति के कारण हो रहा है। सबसे ज्यादा 31 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने कहा कि यह सब 31 व्यापारिक हितों की वजह से हो रहा है। मतलब साफ है कि आज का मीडिया ऐसा नहीं रहा हो आजादी के समय होता था कही न कही वह अपनी राह भटक चुका है। जो इस तालिका से साफ दिखाई देता है।
मीडिया समाज को किस दिषा में ले जा रहा है
तालिका - 20
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
सही दिषा में    29    29.0
ग्लत दिषा में    53    53.0
कोई जवाब नहीं    16    16.0
कुछ सही कुछ गलत    2    2.0
कुल योग    100    100.0
जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि मीडिया समाज को किस दिशा में ले जा रहा है तो मात्र 29 प्रतिशत ही ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने कहा कि मीडिया समाज को सही दिशा में ले जा रहा है। इसके साथ ही 53 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने कहा कि मीडिया समाज को गलत दिशा में ले जा रहा है। मतलब साफ था कि मीडिया के जो समाज के प्रति कर्तव्य है वह  उससे भटक चुका है। जबकि 16 प्रतिशत ने इस प्रश्न का कोई जवाब ही नहीं दिया। इसके साथ ही 2 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने कहा कि मीडिया समाज को कुछ सही दिशा में ले जा रहा है तो कुछ गलत दिशा में भी ले जा रहा है।
स्टिंग आप्रेषन पर मीडियाकर्मियों की राय
तालिका - 21
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
ळां    69    69.0
न्हीं    13    13.0
कोई जवाब नहीं    18    18.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि क्या स्टिंग आप्रेशन होने चाहिए तो 69 प्रतिशत रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों ने कहा कि हां होने चाहिए तथा यह मीडियाकर्मियों का सशक्त हथिया है। इसके साथ ही 13 प्रतिशत ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए  क्योंकि यह सब प्रायोजित होता है या इसमें तथ्यों को गलत तरीके से   पेश किया जाता है। जबकि 18 प्रतिशत ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
एडीटर गिल्ड के विषय में मीडियाकर्मियों की राय
 तालिका - 22
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
ळां    4    4.0
न्हीं    96    96.0
कुल योग    100    100.0
जब रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा गया कि वो एडीटर गिल्ड के विषय में क्या जानते है तो मात्र 4 प्रतिशत ने ही कहा कि वो एडीटर गिल्ड के विषय में जानते है तथा 96 प्रतिशत ने कहा कि  वो इसके बारे में कुछ नहीं जानते है। इससे साफ पता चलता है कि मीडियाकर्मियों को ही एडीटर गिल्ड के बारे में कुछ नहीं पता है जो कि एक चिंताजनक पहलू है।
एडीटर गिल्ड के पालन के विषय में मीडियाकर्मियों की राय
तालिका - 23
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
एडीटर गिल्ड का पता नहीं    96    96.0
पलन नहीं करते    4    4.0
कुल योग     100    100.0

इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि 96 प्रतिशत हमारे ऐसे मीडियाकर्मी है जिन्हें एडीटर गिल्ड का पता ही नहीं है तथा मात्र 4 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी है जिन्हें पता है परंतु वो भी एडीटर गिल्ड का पालन नहीं करते है।
मीडियाकर्मियों को सरकार की तरफ से कौन-सी सुविधा मिलती है
तालिका - 24
सुविधा    संख्या    प्रतिषत संख्या
परिवहन    47    47.0
कोई जवाब नहीं    13    13.0
अन्य सुविधा    18    18.0
कोई सुविधा नहीं    22    22.0
कुल योग    100    100.0

जब रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से शोधकर्ता ने यह पूछा कि उन्हें सरकार की तरफ से कौनसी सुविधा मिलती है तो 47 प्रतिशत ने कहा कि परिवहन सुविधा मिलती है, जबकि 22 प्रतिशत ने कहा कि कोई सुविधा नहीं मिलती है। इसके साथ ही 18 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने अन्य सुविधाओं का नाम लिया। इसके साथ ही 13 प्रतिशत मीडियाकर्मियों ने इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया।
मीडियाकर्मियों द्वारा मांगी गई सुविधाएं
तालिका - 25
मांगें    संख्या    प्रतिषत संख्या
आर्थिक सहायता    15    15.0
सुरक्षा    13    13.0
ज्मीन या आवास    13    13.0
मीडिया केंद्र    20    20.0
कोई सुविधा नहीं    11    11.0
अन्य सुविधा    25    25.0
कोई जवाब नहीं    3    3.0
कुल योग    100.0    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि मीडियाकर्मियों को सरकार की तरफ से कौनसी सुविधा मिलनी चाहिए या उनकी क्या मांगें है तो 15 प्रतिशत ने कहा कि मीडियाकर्मियों को सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए, जबकि 13 प्रतिशत मीडियाकर्मियों ने कहा कि वो जिस हालात में काम कर रहे है उसके लिए उन्हें तथा उनके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा मिलनी चाहिए। इसके साथ ही 13 प्रतिशत मीडियाकर्मियों ने कहा कि उन्हेें सरकार की तरफ से जमीन या आवास मिलने चाहिए। इसके साथ ही 20 प्रतिशत मीडियाकर्मी ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि मीडिया सैंटर होने   चाहिए जहां जाकर वो बैठ सके वह लोगों से  मिल सके व समाचार इकटठे कर सके। इसके साथ ही 11 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों को कोई सुविधा नहीं मिलनी चाहिए तथा जो सुविधाओं की मांग करते है  वे इस पेशे में न आए । इसके साथ ही 25 प्रतिशत ऐसे मीडियाकर्मी थे जिन्होंने अन्य सुविधाओं की मांग की, जबकि 3 प्रतिशत ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
मीडियाकर्मियों से सम्बन्धित संगठन
तालिका - 26
क्ुल संगठन    संख्या    प्रतिषत संख्या
1    15    15.0
2    32    32.0
3    32    32.0
4    3    3.0
कोई जवाब नहीं    18    18.0
कुल योग    100    100.0

जब रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से शोधकर्ता ने यह पूछा कि मीडिया से जुड़े हुए आपके क्षेत्र में कितने संगठन है तो 15 प्रतिशत ने कहा कि 1 संगठन है जबकि 32 प्रतिशत ने कहा कि 2 संगठन है, जबकि 32 प्रतिशत ने कहा कि 3 संगठन है। इसके साथ ही 3 प्रतिशत ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि  उनके क्षेत्र में 4 संगठन है। जबकि 18 प्रतिशत ने कहा कि कोई संगठन नहीं है।
मीडियाकर्मी किस संगठन से जुड़े हुए है
तालिका - 27
संगठन    संख्या    प्रतिषत संख्या
राज्य संगठन    44    44.0
जिला संगठन    12    12.0
कोई सम्बंध नहीं    25    25.0
कोई जवाब नहीं    19    19.0
कुल योग    100    100.0


जब शोधकर्ता ने कहा कि यह पूछा कि आप किस संगठन से जुड़े है तो 44 प्रतिशत ने कहा कि जो राज्य के संगठनों से जुड़े हुए, जबकि मात्र 12 प्रतिशत ने कहा कि वो जिला संगठन से जुड़े हुए है। जबकि 25 प्रतिशत ने कहा कि उनका किसी संगठन से कोई सम्बंध नहीं है। इसके साथ ही 25 प्रतिशत ऐसे उत्तरदाता भी थे जिन्होंने कहा कि उनका किसी संगठन से कोई सम्बंध नहीं है। इसके साथ ही 19 प्रतिशत ने इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया। यहां यह संख्या 19 इसलिए बैठ रही है क्योंकि एक उतरदाता ने संगठन के बारे में खुलासा करने से इंकार कर दिया ।
मीडिया समाज में हर व्यक्ति को जोड़ने का काम करता है
तालिका - 28
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    55    55.0
असहमत    38    38.0
पता नहीं    7    7.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि मीडिया समाज को जोड़ने का काम करता है तो 55 प्रतिशत मीडियार्मी इस बात से सहमत थे जबकि 38 प्रतिशत ने कहा कि मीडिया समाज को तोड़ रहा है तथा वो इस बात से असहमत थे, जबकि 7 प्रतिशत  ने इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया।
मीडियाकर्मी सच पर कायम रहता है
तालिका - 29
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    37    37.0
असहमत    51    51.0
पता नहीं    12    12.0
कुल योग    100    100.0
जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि क्या मीडियाकर्मी सच पर कायम रहता है तो 37 प्रतिशत ने कहा कि मीडियाकर्मी सच पर कायम रहता है, जबकि 51 प्रतिशत इस बात से असहमत थे, जबकि 12 प्रतिशत ने कहा इसका कोई जवाब नहीं दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी इस बात से असहमत है ।
निष्पक्षता के बारे में मीडियाकर्मियों की राय
तालिका - 30
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    77    77.0
असहमत    16    16.0
पता नहीं    7    7.0
कुल योग    100    100.0
   
जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि मीडियाकर्मी निष्पक्ष नहीं रहे तो 77 प्रतिशत इस बात से सहमत थे जबकि 16 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इसके साथ ही 7 प्रतिशत ने इस का कोई जवाब नहीं दिया। इससे साफ यह भी पता चलता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी यह मानते है कि आजकल मीडियाकर्मी निष्पक्ष नहीं रहे है। जो कि एक सोचनीय पहलू है। शायद इसका कारण बाजारवाद व अन्य जरूरतें या कुछ और हो सकता है। कुछ ने कहा कि यह सब पूंजीपति मालिकों की वजह से हो रहा है । कुछ ने कहा कि मीडियाकर्मी भी एक इंसान है और इंसान गल्तियों का पुतला है शायद वह घटना के हर पहलू को न देख पाता हो ।
समाचारों में यथार्थ प्रस्तुतिकरण पर मीडियाकर्मियों की राय
तालिका - 31
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    74    74.0
असहमत    20    20.0
पता नहीं    6    6.0
कुल योग    100    100.0
जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि समाचारों में यथार्थ प्रस्तुतिकरण नहीं होता तो 74 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे जबकि 20 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इसके साथ ही 6 प्रतिशत ने इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया। मतलब साफ था कि आज का मीडिया जो देखता है वह प्रस्तुत नहीं कर पाता है। चाहे इसका कारण व्यवसायिक हो या कोई अन्य हो।
पाठकों की रुचि पर मीडियाकर्मियों की राय
तालिका - 32
प्रतिक्रियाएं        संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    62    62.0
असहमत    32    32.0
पता नहीं    6    6.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि आजकल पाठकों की रुचि का कम ध्यान रखा जाता है तो 62 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकि 32 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इसके साथ ही 6 प्रतिशत ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि मीडिया में व्यवसायिक हित मुख्य हो गए है तथा पाठको की रूचि गौण हो गई है।
मीडियाकर्मियों को किस तरह कार्य करना चाहिए
तालिका - 33
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    98    98.0
पता नहीं    2    2.0
क्ुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि मीडियाकर्मियों को संयम से काम करना चाहिए तो 98 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकि 2 प्रतिशत ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि लगभग मीडियाकर्मी यह मानते है कि मीडियाकर्मियों को संयम से काम करना चाहिए क्योंकि उसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है। जो कि एक अच्छी बात है।
मीडियाकर्मी अपने कार्य के बारे में क्या सोचते हैं
तालिका - 34
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    61    61.0
असहमत    32    32.0
पता नहीं    7    7.0
कुल योग    100.0    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि मीडियाकर्मी अपने कार्य से संतुष्ट है तो 61 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकि 32 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इसके साथ ही 7 प्रतिशत ऐसे भी मीडियाकर्मी थे जिन्होंने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। इस तालिका से यह भी साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी यह मानते है कि वो अपने कार्य से संतुष्ट है तथा समाज को राह दिखा रहे है, जबकि 32 प्रतिशत इस बात से असहमत है जो उनके मर्म को दर्शाता है तथा यह दिखाता है कि मीडियाकर्मी जैसा कार्य करना चाहता है कही न कहीं वैसा हो नहीं पा रहा है। इसलिए वे अपने कार्य से असंतुष्ट है।
मीडियाकर्मियों की अपने वेतन पर प्रतिक्रिया
तालिका - 35
प्रतिक्रियाएं        संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    78    78.0
असहमत    17    17.0
पता नहीं    5    5.0
कुल योग    100    100.0
जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि वे अपने वेतन से असंतुष्ट है तो 78 प्रतिशत इस बात से सहमत थे, जबकि 17 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। जबकि 5 प्रतिशत ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी अपने वेतन से असंतुष्ट है तथा वे चाहते है  कि जो वे कार्य कर रहे है उनके लिए उन्हें ज्यादा वेतन मिलना चाहिए।
मीडियाकर्मी आज के मीडिया को किस रूप में देखते हैं
तालिका - 36
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    83    83.0
असहमत    12    12.0
पता नहीं    5    5.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि आज का मीडिया मिशन नहीं व्यापार है तो 83 प्रतिशत इस बात से सहमत थे, जबकि 12 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी यह मानते है कि  आज का मीडिया मिशन नहीं व्यापार है जो कि एक चिंताजनक पहलू है।
मीडियाकर्मी किन परिस्थितियों में काम करते हैं
तालिका - 37
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    92    92.0
असहमत    5    5.0
पता नहीं    3    3.0
कुल योग    100    100.0
जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि मीडियाकर्मी विषम परिस्थितियों में काम करते है तो 92 प्रतिशत रोहतक मंडल के मीडिया इस बात से सहमत थे, जबकि 5 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इससे साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी यह मानते है कि आज के मीडियाकर्मी विषम परिस्थितियों में काम करते है।
पूंजीपतियों के हाथ में मीडिया की कमान के बारे में राय
तालिका - 38
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    73    73.0
असहमत    19    19.0
पता नहीं    8    8.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि पूंजीपतियों के हाथ मेें मीडिया की कमान ठीक नहीं तो 73 प्रतिशत इस बात से सहमत थे, जबकि 19 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इस सारणी से यह पता चलता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी यह मानते है कि पूंजीपतियों के हाथ में मीडिया की कमान ठीक नहीं है तथा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए।
मीडिया प्रसिद्वि पाने का अहम साधन है
तालिका - 39
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    71    71.0
 असहमत    20    20.0
पता नहीं    9    9.0
क्ुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह  पूछा कि मीडिया प्रसिद्वि पाने का अहम सााधन है तो 71 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकि 20 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इस बात से साफ जाहिर हो ता है कि ज्यादातर मीडियाकर्मी इस बात से सहमत है।
पदोन्नति के बारे में मीडियाकर्मियों केे विचार
तालिका - 40
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    97    97.0
पता नहीं     3    3.0
कुल योग    100.0    100.0

काम के अनुसार मीडियाकर्मियों को पदोन्नति मिलनी चाहिए तो 97 प्रतिशत इस बात से सहमत है जबकि 3 प्रतिशत मीडियाकर्मियों ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया।
मीडियाकर्मी किस प्रकार इस पेषे में आते हैं
तालिका - 41
  प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    75    75.0
असहमत    22    22.0
पता नहीं    3    3.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह प्रश्न पूछा कि कुछ मीडियाकर्मी केवल प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए आते है तो 75 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकि 22 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से असहमत थे। इसके साथ ही 3 प्रतिशत मीडियाकर्मियों ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। इस बात से यह पता चलता है कि कुछ लोग इस पैसे में चकाचौंध देखकर आ जाते है ।

साप्ताहिक अवकाश के बारे में मीडियाकर्मियों की राय
तालिका - 42
 प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    96    96.0
असहमत    4    4.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों से यह पूछा कि हर मीडियाकर्मी के लिए साप्ताहिक अवकाश अनिवार्य होना चाहिए तो 96 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकिह 4 प्रतिशत इस बात से असहमत थे। इससे यह साफ जाहिर होता है कि मीडियाकर्मी यह मानते है कि उन्हें साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए।
मीडियाकर्मी अन्य की तुलना में अधिक मेहनत करते है
तालिका - 43
प्रतिक्रियाएं    संख्या    प्रतिषत संख्या
स्हमत    91    91.0
असहमत    7    7.0
पता नहीं    2    2.0
कुल योग    100    100.0

जब शोधकर्ता ने यह पूछा कि मीडियाकर्मी अन्य की तुलना में अधिक मेहनत करते है तो 91 प्रतिशत मीडियाकर्मी इस बात से सहमत थे, जबकि 7 प्रतिशत इससे असहमत थे, जबकि 2 ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।


चतुर्थ अध्याय
समाचार पत्रों का अंर्तवस्तु विश्लेषण
4.1 दैनिक समाचार पत्रों का परिचय
4.1.1     दैनिक भास्कर एक परिचय
दैनिक भास्कर समाचार पत्र का प्रकाशन सर्वप्रथम भोपाल से  बिशम्बर दयाल अग्रवाल द्वारा नोबेल प्रिंटिग प्रैस इब्राहिमपुरा भोपाल से मुद्रित व प्रकाशित किया गया। इसके प्रथम संपादक काशीनाथ चर्तुवेदी थे। वर्तमान में इसके प्रधान संपादक रमेश चंद्र अग्रवाल है। हरियाणा में दैनिक भास्कर का प्रकाशन 7 मई 2000 से हुआ। आरम्भ में यह केवल चंडीगढ से प्रकाशित होता था। लेकिन 4 जून 2000 से पानीपत तथा हिसार से भी इसका प्रकाशन कर दिया गया। इसके पश्चात 17 जून 2001 से फरीदाबाद से भास्कर का प्रकाशन कर दिया गया। इस प्रकार 4 जिलों से प्रकाशित होने वाला यह समाचार पत्र पूरे हरियाणा में वितरित किया जाता हैं। वर्तमान में यह समाचार पत्र पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा पढा जाता है। इसके साथ ही यह रोहतक मंडल में भी सबसे ज्यादा पढे जाने वाला समाचार पत्र है। वर्तमान में यह समाचार पत्र 10 राज्यों से प्रकाशित होता है तथा इसके 39 संस्करण हैं। हिंदी भाषा के साथ साथ इसका गुजरात में अहमदाबाद से  गुजराती संस्करण दिव्य भास्कर व मुंबई से अंग्रेजी भाषा में डीएनए नाम से जी.टी.वी. ग्रुप के सहयोग से प्रकाशित किया जाता है। इसके अतिरिक्त दैनिक भास्कर समूह माई एफ. एम. 93.3 फ्रीक्वैंसी पर श्रोताओं का मनोरंजन करता है। इसके साथ ही इस समूह के दो राज्यों में टेलीविजन के 7 प्रसारण केंद्र भी है, जहां से विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते है। रोहतक मंडल में सर्वाधिक प्रसार संख्या  तथा पठनीय समाचार पत्र के आधार पर अंतर्वस्तु विश्लेषण तथा मापन के लिए राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र  दैनिक भास्कर का चयन किया गया है। इस मंडल में इसके अतिरिक्त दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, हरिभूमि, दैनिक टिब्यून, अमर उजाला जैसे राष्टीय समाचार पत्रों के कार्यालय है। इस मंडल में कार्यरत हर मीडियाकर्मी हर छोटी बडी घटना को कवर करते है तथा देश के पाठक तक पहुंचाने का काम करते है।
रोहतक मंडल में दैनिक भास्कर समाचार पत्र को  प्रमुखता से खरीदा जाता है इसी लिए  अध्ययनकर्ता ने दैनिक भास्कर समाचार पत्र का  चयन किया है।
1 सर्वप्रथम भोपाल से बिशम्बर दयाल अग्रवाल द्वारा दैनिक भास्कर समाचार पत्र सन 1983 से प्रकाशित किया गया।
2 19 दिसम्बर 1996 को राजस्थान के जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा व उदयपुर से प्रकाशन का प्रारम्भे। आज राजस्थान में भी दैनिक भास्कर सबसे   ज्यादा पढे जाने वाला समाचार पत्र है।
3  7 मई 2000 से हरियाणा राजधानी चंडीगढ से तथा 4 जून 2000 से पानीपत व हिसार से प्रकाशन प्रारम्भ।
4   17 जून 2001 से फरीदाबाद से   भी प्रकाशन आरम्भ
5 9 फरवरी 2002 से पंजाब राज्य के पटियाला जिले से प्रकाशन आरम्भ।
6 22 जून 2003 से गुजराती भाषा में दिव्य भास्कर नाम से राजधानी अहमदाबाद से प्रकाषन षुरू किया। जिन्होंने पहले ही दिन 5 लाख प्रतियों से शुरुआत की। वर्तमान में गुजराती भाषा में 2 राज्यों में 9 संस्करण प्रकाशित किए जाते है।
7 27 मार्च 2004 को सूरत से दिव्य भास्कर का प्रकाशन प्रारम्भ।
8  29 मार्च 2004 को भास्कर समूह ने अमेरिका में रह रहे गुजराती भाषा के  भारतीय नागरिकों के लिए न्यूयार्क में गुजराती भाषा में दिव्य भास्कर का प्रारम्भ किया।
9 1 सितम्बर 2004 को भास्कर समूह ने अपने पाठकों की रुचि, ज्ञान व मनोरंजन की अभिलाषा को देखते हुए अहा जिंदगी नामक मासिक पत्रिका का   प्रकाशन दिल्ली से प्रारम्भ किया।
10  12 सितम्बर 2004 को गुजराती भाषा का दिव्य भास्कर बडौदा से प्रारम्भ किया गया।
11 12 फरवरी 2005 को मुम्बई से अंग्रेजी भाषा में डीएनए नाम से जी.टी.वी. के समूह की सहायता से   प्रकाशन आरम्भ किया गया।
12 अक्तूबर 2007 से लक्ष्य नामक पत्रिका का प्रकशन आरम्भ किया गया।
दैनिक भास्कर  समाचार पत्र में हर प्रकार की सामग्री आती है। इस
 पत्र की छपाई भी उतम होती है इसके साथ ही पाठकों की रुचि का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

4.1.2 दैनिक जागरण का परिचय
    दैनिक जागरण का प्रका्यन 1947 में कानपुर से पूर्णचंद गुप्ता ने प्रारंभ किया था। वर्तमान में यह समाचार पत्र कानपुर के अतिरिक्त लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी (इलाहबाद, झांसी, मेरठ (देहरादून, आगरा (अलीगढ बरेली, मुरादाबाद, जालंधर, पटना, भोपाल, रीवा, नई दिल्ली, से प्रका्ियत हो रहा है। इसके साथ-साथ यह समाचारपत्र हरियाणा में भी दो जगह हिसार व पानीपत से होता है। 26 जुलाई, 2003 को इसका प्रकाशन पानीपत से किया गया। यह समाचारपत्र दुनिया में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला समाचारपत्र है। पानीपत से प्रका्ियत समाचार पत्र के पूर्व प्रधान संपादक स्व. नरेंद्र मोहन गुप्ता थे और वर्तमान संपादक संजय गुप्ता हैं। इस समाचार पत्र के पानीपत संस्करण का प्रका्यन लि. के लिए न्िियकांत ठाकुर द्वारा 501, आईएनएस बिल्डिंग रफी मार्ग नई दिल्ली से प्रका्ियत और हुडा सेक्टर-29 प्लाट नंबर-75 फेज-1 पानीपत से मुद्रित किया जा रहा है। दैनिक जागरण कला, संस्कृति, अर्थ कौटिल्य, विज्ञान, स्वास्थ्य, दे्य चर्चा, व्यापार जगत, सिनेमा, खेल-कूद, दूरर्द्यन, अंतर्राष्ट्रीय समाचार, राजधानी तथा नगर समाचार, मौसम समाचार सहित स्थानीय मुद्दों पर अपने समाचार प्रस्तुत करता है। दैनिक जागरण के संपादकीय पृष्ठों का गठन बहुत ही सुव्यवस्थित ढग से किया जाता है। इस पन्ने पर संपादकीय विभाग द्वारा नवीनतम घटनाक्रम की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भरसक प्रयास किया जाता है। साथ ही सामाजिक समस्याओं पर सीधी चोट इसमें प्रका्ियत कालमों द्वारा की जाती है। पाठकों पत्रों को पाठ्कनामा ्यीर्षक के अंतर्गत स्थान दिया जाता है। दूरर्द्यन से संबंधित जानकारी के लिए टेलिविजन नामक ्यीर्षक दिया जाता है। पाठको को फिल्मी दुनिया से अवगत कराने के लिए रविवार को झंकार पर्िियष्ट दिया जाता है तो सोमवार को मनोरंजन प्रादे्ियक फीचरों और खेत-खलिहान के समाचारों के साथ सांझी मिलती है। बुधवार को ्ियक्षा के क्षेत्र में नवीनतम जानकारियों के साथ युवाओं के लिए जो्य प्रका्ियत होता है। इसके अलावा ्युक्रवार को छोटे-बडे़ पर्दे की तरंग, ्यनिवार को महिलाओं और बच्चों की मनपसंद संगिनी उनके हाथों होती है। इसके अलावा समाचार पत्र में प्रतिदिन रंगीन फीचर पृष्ठ भी पाठकों का ज्ञान वर्धन करते हैं। इसमें श्री, चैम्पियन, उर्जा, हमजोली, प्रदे्य, जीवन और झरोखा ्यामिल हैं। इस समय समाचार पत्र प्रत्येक जिले के पाठको को उनके आस पास के समाचारों से अवगत कराने के लिए प्रतिदिन प्रत्येक जिले के लिए चार पृष्ठ का पुलआउट भी प्रका्ियत कर रहा है। प्रदे्य के समाचारों के लिए अलग से हरियाणा पृष्ठ प्रका्ियत किया जाता है।

4.2  आंकड़ों का मापन एवं विश्लेषण

शोधकर्त्ता द्वारा अपने षोध कार्य के लिए 30 जून से 6 जुलाई के रोहतक मंडल के दैनिक भास्कर व दैनिक जागरण समाचार पत्र इकटठे किए गए निरंतर सप्ताह के तहत तथा उसका मापन किया गया ।
इसके लिए षोधकर्त्ता ने पूरे एक सप्ताह के समाचार पत्र इकटठे किए वह यह देखा कि इस दौरान समाचार पत्र ने किस सामग्री को कितना स्थान दिया। अर्थात समाचार को कितना स्थान, विज्ञापन को कितना स्थान, संपादकीय व तस्वीर आदि को  कितना स्थान दिया गया। इसके सा
थ ही यह भी देखा गया कि समाचार पत्र की कुल सामग्री में से किसको कितने प्रतिषत स्थान दिया गया तथा कितने प्रतिषत भाग पर यह सामग्री प्रकाषित की गई। इस सम्बंध मेंषोधकर्त्ता ने दैनिक जागरण व दैनिक भास्कर का  समाचार पत्रों का अध्ययन किया तो निम्नलिखित तथ्य प्राप्त हुए। जिसका वर्णन इस प्रकार है।
समाचार पत्र का वास्तविक स्थान
तालिका - 1
दिनांक    वास्तविक स्थान    दिन    समाचार पत्र
30    58752    सोमवार    दैनिक भास्कर
1    58752    मंगलवार    दैनिक भास्कर
2    58752    बुधवार    दैनिक भास्कर
3    58752    बृहस्पतिवार    दैनिक भास्कर
4    58752    षुक्रवार    दैनिक भास्कर
5    66096    षनिवार    दैनिक भास्कर
6    69768    रविवार    दैनिक भास्कर

प्रस्तुत षोध के लिए रोहतक मंडल का दैनिक जागरण व दैनिक भास्कर समाचार पत्र का चुनाव किया गया जिसमें अंतर्वस्तु विष्लेषण विधि द्वारा समाचार पत्र का विष्लेषण किया गया। इसमें सोमवार से लेकर रविवार तक समाचार पत्र का मापन किया गया और देखा गया कि किस दिन समाचार पत्र कुल स्थान कितना होता है  वह हर सामग्री को कितना स्थान दिया जाता है तो पाया गया कि दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार से षुक्रवार तक यानी कि 30 जून से 4 जुलाई तक कुल स्थान हर दिन 58752 वर्ग सै.मी. रहा। षनिवार को यह स्थान 66096 वर्ग सै. मी. रहा वही रविवार को कुल स्थान 69768 वर्ग सै.मी. रहा। इससे साफ जाहिर होता है कि षनिवार वह रविवार को समाचार पत्र में ज्यादा स्थान आया वह ज्यादा सामग्री आई।
दैनिक भास्कर सजावटी विज्ञापनों की कुल संख्या व स्थान
तालिका 2
दिवस    सजावटी विज्ञापनों की कुल संख्या    सजावटी विज्ञापनों का कुल स्थान    प््रतिषत
सोमवार    90    11078    18.85
मंगलवार    61    5093    8.66
बुधवार    101    11040    18.79
बृहस्पतिवार    102    8000    13.61
षुक्रवार    132    14283    24.31
षनिवार    86    15386    23.27
रविवार    175    18850    27.01

इस तालिका से साफ पता चलता है कि दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सजावटी विज्ञापनों को प्रमुख स्थान दिया जाता है क्योंकि सोमवार को कुल समाचार पत्र को 18.85 प्रतिषत मंगलवार 8.66 प्रतिषत बुधवार को 18.79 प्रतिषत बृहस्पतिवार को 13.61षुक्रवार को 24.31 प्रतिषत षनिवार को 23.27 प्रतिषत वह रविवार को सबसे अधिक 27.01 प्रतिषत स्थान दिया गया है। इससे साफ पता चलता है समाचार पत्र समाचार के साथ साथ सजावटी विज्ञापनों को भी उचित महत्व देता है। रविवार को सबसे अधिक विज्ञापन देने का प्रमुख कारण यह भी हो सकता है क्योंकि उस दिन पाठक को समाचार पत्र पढने का पूरा समय मिलता है । क्योंकि उसे कहीं जाना नही होता है ।


समाचार पत्र में विज्ञापन व समाचारों का स्थान व प्रतिषत
दैनिक भास्कर
तालिका - 3
दिवस    विज्ञापनों की कुल संख्या    विज्ञापनों का कुल स्थान    प्रतिशत    समाचारों को कुल स्थान    प्रतिषत
सोमवार    137    11940    20ण्32    18152      30ण्89
मंगलवार    115    6376    10ण्85    25215    42ण्91
बुधवार    161    12122    20ण्63    2303    39ण्28
बृहस्पतिवार    137    8833    15ण्03    25200    42ण्89
षुक्रवार    181    15209    25ण्88    20087    34ण्18
षनिवार    137    16612    25ण्13    21492    32ण्51
रविवार    208    21503    30ण्82    20087    28ण्79

इस तालिका से साफ पता चलता है कि दैनिक भास्कर समाचार पत्र में समाचारों को पर्याप्त महत्व दिया जाता है। सोमवार को समाचार पत्र में कुल विज्ञापन 137 आए वह उनको 20.32 प्रतिषत स्थान दिया गया जबकि समाचारों को 30.89 प्रतिषत स्थान दिया गया। मंगलवार को 115 विज्ञापनों को 10.85 प्रतिषत स्थान दिया गया जबकि समाचारों को 42.91 प्रतिषत स्थान दिया गया। जोकि बहुत ज्यादा है। बुधवार को 161 विज्ञापनों कोे 20.63 प्रतिषत स्थान दिया गया जबकि समाचारों को 39.28 प्रतिषत स्थान दिया गया। बृहस्पतिवार को 137 विज्ञापनों को 15.03 प्रतिषत व समाचारों को 42.89 प्रतिषत स्थान दिया गया।षुक्रवार को 181 विज्ञापनों को 25.88 प्रतिषत वह समाचारों को 34.18 प्रतिषत स्थान दिया गया।षनिवार को 137 विज्ञापनों को 25.13 वह समाचारों को 32.51 प्रतिषत स्थान दिया गया। रविवार को 208 विज्ञापनों को 30.82 वह समाचारों को 28.79 स्थान दिया गया। इस तालिका से साफ यह भी जाहिर होता है कि रविवार ही एकमात्र ऐसा दिन था जिस दिन समाचारों को कम स्थान वह विज्ञापनों को अधिक स्थान दिया गया। इससे यह भी सिद्व होता है कि आज भी समाचार पत्र समाचारों को प्रमुखता से वह उचित स्थान देते है।

दैनिक भास्कर समाचार पत्र के वगीकृत विज्ञापनों की कुल संख्या एवं स्थान
तालिका - 4
दिवस    वर्गीकृत विज्ञापनों की कुल संख्या    वर्गीकृत विज्ञापनों का कुल स्थान    प्रतिषत
सोमवार    47    862    1ण्46
मंगलवार    54    1283    2ण्18
बुधवार    60    1082    1ण्84
बृहस्पतिवार    35    833    1ण्41
षुक्रवार    49    926    1ण्57
षनिवार    51    1226    1ण्85
रविवार    33    2653    3ण्80

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को 47 वर्गीकृत विज्ञापनों को 1.46 प्रतिषत स्थान दिया गया,जबकि मंगलवार को 2.18 प्रतिषत बुधवार को 1.84 प्रतिषत बृहस्पतिवार कोे 1.41 प्रतिषतषुक्रवार को 1.57 प्रतिषतषनिवार को 1.85 प्रतिषत रविवार कोे 3.80 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे यह सिद्व होता है कि समाचार पत्र सजावटी विज्ञापनों को तो प्रमुख स्थान देते है परंतु वर्गीकृत को नहीं।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में समाचारों का कुल स्थान
तालिका - 5
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    18152    30ण्89
मंगलवार    25215    42ण्91
बुधवार    23083    39ण्28
ब्ृहस्पतिवार    25200    42ण्89
षुक्रवार    20087    34ण्18
षनिवार    21492    32ण्51
रविवार    20087    28ण्79

स्थान दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को समाचारों को 30.89 प्रतिषत स्थान दिया गया, मंगलवार को 42.91 प्रतिषत, बुधवार को 39.28 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को 42.89 प्रतिषत,षुक्रवार को 34.18 प्रतिषत,षनिवार को 32.51 प्रतिषत, रविवार को 28.79 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र समाचारों को प्रमुखता से प्रकाषित करते है। समाचार पत्र में समाचार अधिक देने का कारण यह भी है कि पाठक इसी के लिए अधिक पैसे खर्च करता है ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में समाचार विष्लेषण का स्थान
तालिका - 6
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    517    ण्87
मंगलवार    000    000
बुधवार    000    000
बृहस्पतिवार    266    ण्45
षुक्रवार    000    000
षनिवार    000    000
रविवार    107    ण्15

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को समाचार विष्लेषण को .87 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को .45 प्रतिषत, रविवार को .15 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में समाचार विष्लेषण की सामग्री बहुत कम आती है और वह भी हर दिन नहीं आती है। समाचार पत्र में समाचार विश्लेषण ऐसी सामग्री होती है जिसके द्वारा उस विषय की गहराई में जाया जाता है । इसका कारण यह भी हो सकता है कि जो मीडिया कर्मी इस पेशे में काम करते है उन्हें पर्याप्त समय नही मिलता हो ।  शायद इसीलिए समाचार विश्लेषण से सम्बन्धित सामग्री कम दी जाती है । 
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में संपादकीय का स्थान
तालिका - 7
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    154    ण्26
मंगलवार    168    ण्28
बुधवार    175    ण्29
बृहस्पतिवार    184    ण्31
षुक्रवार    156    ण्26
षनिवार    132    ण्19
रविवार    000    000

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को संपादकीय को .26 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .28 प्रतिषत जगह, बुधवार को .29 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .31 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .26 प्रतिषत जगह,षनिवार को .19 प्रतिषत जगह, रविवार को संपादकीय को कोई जगह नहीं दी गई। कहते है कि समाचार पत्र का सम्पादकीय उस पत्र की आत्मा होता है या उसकी आवाज होता है लेकिन रविवार को तो इस पत्र ने सम्पादकीय को बिल्कुल स्थान नही दिया ं।

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में आलेख का स्थान
तालिका - 8
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    426    ण्72
मंगलवार    733    1ण्24
बुधवार    746    1ण्26
बृहस्पतिवार    730    1ण्24
षुक्रवार    736    1ण्25
षनिवार    764    1ण्15
रविवार    000    000

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को आलेख को .72 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.24 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.26 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.24 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.25 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.15 प्रतिषत जगह, रविवार को आलेख को कोई जगह नहीं दी गई। आलेख के द्वारा पाठक को उस विषय का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाता है उसके द्वारा हमें यह भी पता चल जाता है कि जो इसको लिखने वाला है उसके उस विषय में क्या विचार है । लेकिन रविवार को तो इसको बिल्कुल भी स्थान नहीं दिया गया है।

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में पृष्ठभूमि का स्थान
तालिका - 9
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    083    ण्14
मंगलवार    076    ण्12
बुधवार    000    000
बृहस्पतिवार    000    000
षुक्रवार    000    000
षनिवार    199    ण्30
रविवार    078    ण्11

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को पृष्ठभूमि को .14 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .12 प्रतिषत जगह,षनिवार को .30 प्रतिषत जगह, रविवार का.1र्1 जगह दी गई। यह भी महत्वपूर्ण है कि हर दिन पृष्ठभूमि को स्थान नही दिया जाता ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में रूपक का स्थान
तालिका - 10
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    4407    7ण्50
मंगलवार    0075    ण्12
बुधवार    0128    ण्21
बृहस्पतिवार    0284    ण्48
षुक्रवार    0856    1ण्45
षनिवार    0422    ण्63
रविवार    1219    1ण्74

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को रूपक को 7.50 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .12 प्रतिषत जगह, बुधवार को .21 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .48 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.45 प्रतिषत जगह,षनिवार को .63 प्रतिषत जगह, रविवार को 1.74 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में रूपक को उचित स्थान दिया जाता है। विशेषज्ञ कह रहे है कि आजकल समाचारों को रूपक की तरह दिया जाता है ।   तो इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण था कि समाचार पत्र ने हर दिन रूपक को स्थान दिया ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में संपादक के नाम पत्र का स्थान
तालिका - 11
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    409    ण्69
मंगलवार    105    ण्17
बुधवार    112    ण्19
बृहस्पतिवार    112    ण्19
षुक्रवार    100    ण्17
षनिवार    078    ण्11
रविवार    000    000

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को संपादक के नाम पत्र को .69 प्रतिषत जगह, मंगलवार को. 17 प्रतिषत जगह, बुधवार को .19 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .19 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .17 प्रतिषत जगह,षनिवार को .11 प्रतिषत जगह, रविवार को 000 प्रतिषत जगह दी गई। सम्पादक के नाम पत्र के द्वारा पाठको व आमजन को भी अपने विचार रखने का मौका मिलता है । यह एकमात्र ऐसा स्थान होता है जिसमे आम आदमी की सीधी भागीदारी होती है । लेकिन रविवार को पाठकों के सम्पादक के नाम पत्र को कोई स्थान नही दिया गया ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में तस्वीरों का स्थान
तालिका - 12
दिवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    8347    14ण्20
मंगलवार    9534    16ण्22
बुधवार    7867    13ण्39
बृहस्पतिवार    8418    14ण्32
षुक्रवार    7279    12ण्38
षनिवार    8799    13ण्31
रविवार    6337    9ण्08

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को तस्वीरों को 14.20 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 16.22 प्रतिषत जगह, बुधवार को 13.39 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 14.32 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 12.38 प्रतिषत जगह,षनिवार को 13.31 प्रतिषत जगह, रविवार को 9.08 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में तस्वीरों को भी उचित महत्व दिया जाता है। कहते है कि एक तस्वीर हजार शब्दों का काम करती है तस्वीर ही सब कुछ बयां कर देती है । इसलिए हम यह देख रहे है कि समाचार पत्र ने हर दिन तस्वीरो को उचित स्थान दिया ।

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सूचनात्मक सामग्री का स्थान
तालिका - 13
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    2698    4ण्59
मंगलवार    1996    3ण्39
बुधवार    1368    2ण्32
बृहस्पतिवार    1852    3ण्15
षुक्रवार    1565    2ण्66
षनिवार    1670    2ण्52
रविवार    4006    5ण्74

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को सूचनात्मक सामग्री को 4.59 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 3.39 प्रतिषत जगह, बुधवार को 2.32 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 3.15 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 2.66 प्रतिषत जगह,षनिवार को 2.52 प्रतिषत जगह, रविवार को 5.74 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में सूचनात्मक सामग्री को भी उचित महत्व दिया जाता है। इसके अन्तर्गत मौसम टेलीविजन प्रोग्राम व राशिफल को शामिल किया गया है । इसके द्वारा पाठक कब किस प्रकार के कार्यक्रम आएंगे वह जान सकता है तथा उसके अनुसार अपनी दिनचर्या बना सकता है। रविवार को सबसे ज्यादा सामग्री इसलिए आई है क्योंकि उस दिन सम्पादकीय की जगह राशिफल को पर्याप्त महत्व मिला ।

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में ग्राफिक, कार्टून का स्थान
तालिका - 14
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    36    ण्06
मंगलवार    752    1ण्27
बुधवार    731    1ण्24
बृहस्पतिवार    537    ण्91
षुक्रवार    320    ण्54
षनिवार    130    ण्19
रविवार    677    ण्97

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को ग्राफिक, कार्टून को .06 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.27 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.24 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .91 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .54 प्रतिषत जगह,षनिवार को .19 प्रतिषत जगह, रविवार को .97 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में ग्राफिक, कार्टून सामग्री को भी उचित महत्व दिया जाता है। इसके साथ ही इसकी जगह हर दिन निश्चित नही होती यह भी हमें पता चलता है ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में मनोरंजक सामग्री का स्थान
तालिका - 15
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    670    1ण्14
मंगलवार    693    1ण्17
बुधवार    1025    1ण्74
बृहस्पतिवार    1123    1ण्91
षुक्रवार    100    ण्17
षनिवार    3200    4ण्84
रविवार    2839    4ण्06
   
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को मनोरंजक सामग्री को 1.14 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.17 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.74 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.91 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .17 प्रतिषत जगह,षनिवार को 4.84 प्रतिषत जगह, रविवार को 4.06 प्रतिषत जगह दी गई।  इससे यह भी पता चलता है कि समाचार पत्र पाठकों के मनोरंजन का भी पूरा ख्याल रखता है ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में वाणिज्य सामग्री का स्थान
तालिका - 16
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    77    ण्13
मंगलवार    1778    3ण्02
बुधवार    735    1ण्25
बृहस्पतिवार    604    1ण्02
षुक्रवार    1118    1ण्90
षनिवार    751    1ण्13
रविवार    000    000

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को वाणिज्य सामग्री को .13 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 3.02 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.25 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.02 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.90 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.13 प्रतिषत जगह रविवार को 000 प्रतिषत जगह दी गई। तालिका से साफ पता चलता है कि समाचार पत्र वाणिज्य सामग्री को कम महत्व देता है व हर दिन उसको स्थान नही देता ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में स्तंभ का स्थान
तालिका - 17
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प््रतिषत
सोमवार    424    ण्72
मंगलवार    535    ण्91
बुधवार    516    ण्87
बृहस्पतिवार    544    ण्92
षुक्रवार    456    ण्77
षनिवार    436    ण्65
रविवार    254    ण्36

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को स्तंभ को .72 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .91 प्रतिषत जगह, बुधवार को .87 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .92 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .77 प्रतिषत जगह,षनिवार को .65 प्रतिषत जगह रविवार को .36 प्रतिषत जगह दी गई। तालिका देखकर पता चलता है कि समाचार पत्र हर दिन स्तंभ को स्थान देता है ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में विंडो का स्थान
तालिका - 18
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    304    ण्51
मंगलवार    304    ण्51
बुधवार    304    ण्51
बृहस्पतिवार    304    ण्51
षुक्रवार    327    ण्55
षनिवार    329    ण्49
रविवार    378    ण्54

सोमवार से बृहस्पतिवार तक विंडो को .51 प्रतिषत स्थान दिया गया, इससे यह भी पता चल रहा है कि अगर समाचार पत्र में परिवर्तन हुआ तो विंडो में भी परिवर्तन हुआ । जबकि षनिवार को .49 प्रतिषत  वह रविवार को .54 प्रतिषत स्थान दिया गया।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में मास्ट हेड का स्थान
तालिका - 19
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिशत
सोमवार    780    1ण्32
मंगलवार    780    1ण्32
बुधवार    780    1ण्32
बृहस्पतिवार    780    1ण्32
षुक्रवार    780    1ण्32
षनिवार    962    1ण्45
रविवार    940    1ण्34

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को मास्ट हेड को 1.32 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.32 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.32 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.32 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.32 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.45 प्रतिषत जगह, रविवार को 1.34 प्रतिषत जगह दी गई। इससे यह भी पता चलता है कि सोमवार से शुक्रवार तक मास्ट हैड को एक समान स्थान दिया गया ।


दैनिक भास्कर समाचार पत्र में हेडर का स्थान
तालिका - 20
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    515    ण्87
मंगलवार    520    ण्88
बुधवार    520    ण्88
बृहस्पतिवार    520    ण्88
षुक्रवार    570    ण्97
षनिवार    560    ण्84
रविवार    575    ण्82

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को हेडर को .87 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .88 प्रतिषत जगह, बुधवार को .88 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .88 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .97 प्रतिषत जगह,षनिवार को .84 प्रतिषत जगह, रविवार को .82 प्रतिषत जगह दी गई।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में अन्य सामग्री का स्थान
तालिका - 21
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    210    ण्35
मंगलवार    360    ण्61
बुधवार    210    ण्35
बृहस्पतिवार    220    ण्37
षुक्रवार    362    ण्61
षनिवार    241    ण्36
रविवार    274    ण्39
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को .35 प्रतिषत जगह अन्य सामग्री को, मंगलवार को .61 प्रतिषत जगह, बुधवार को .35 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .37 प्रतिषत जगह,षुक्रवार की.61 प्रतिषत जगहषनिवार को .36 प्रतिषत जगह, रविवार को .39 प्रतिषत जगह अन्य सामग्री को दी गई। अन्य सामग्री के अन्तर्गत समाचार पत्र के कार्यालय व अन्य चीजों को शामिल किया गया है ।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में खाली स्थान
तालिका - 22
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    8603    14ण्64
मंगलवार    8752    14ण्89
बुधवार    8330    14ण्17
बृहस्पतिवार    8241    14ण्02
षुक्रवार    8731    14ण्86
षनिवार    9319    14ण्09
रविवार    10494    15ण्04

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार को खाली स्थान 14.64 प्रतिषत, मंगलवार को 14.89 प्रतिषत, बुधवार को 14.17 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को 14.02 प्रतिषत षुक्रवार को 14.86 प्रतिषत,षनिवार को 14.09 प्रतिषत,रविवार को 15.04 प्रतिषत स्थान था। इससे साफ पता चल रहा है कि समाचार पत्र में ऐसा स्थान बहुत होता है जिसका प्रयोग नही होता । 
दैनिक जागरण में समाचार पत्रों का कुल स्थान
तालिका - 1
दिनांक    कुल स्थान    दिन    समाचार पत्र
30    61268    सोमवार    दैनिक जागरण
1    54060    मंगलवार    दैनिक जागरण
2    64872    बुधवार    दैनिक जागरण
3    54060    बृहस्पतिवार    दैनिक जागरण
4    57664    षुक्रवार    दैनिक जागरण
5    64872    षनिवार    दैनिक जागरण
6    64872    रविवार    दैनिक जागरण
इसी प्र्रकार दैनिक जागरण समाचार पत्र में 30 जून यानि सोमवार को कुल स्थान 61268 वर्ग सै.मी. मंगलार को 54060 वर्ग सै.मी. बुधवार यानि कि 2 जुलाई को 64872 वर्ग सै.मी. 3 जुलाई यानि बृहस्पतिवार को  54060 वर्ग सै.मी. 4 जुलाई यानि कि षुक्रवार को 57664 वर्ग सै.मी. वहीं 5 जुलाई षनिवार को 64872 वर्ग सै.मी. वह अंतिम दिन रविवार को 6 जुलाई को कुल स्थान 64872 वर्ग सै.मी. रहा।
दैनिक जागरण में समाचारों व विज्ञापनों का कुल स्थान
तालिका - 2
दिवस    विज्ञापनों की कुल संख्या    विज्ञापनों का कुल स्थान    प्रतिषत    समाचारों को कुल स्थान    प्रतिषत
सोमवार    123    11817    19ण्28    19066    31ण्11
मंगलवार    97    7400    13ण्68    19682    36ण्40
बुधवार    173    14777    22ण्77    22414    34ण्55
बृहस्पतिवार    115    8258    15ण्27    21179    39ण्17
षुक्रवार    128    13790    23ण्91    21685    37ण्60
षनिवार    125    14815    22ण्83    19749    30ण्44
रविवार    233    21054    32ण्45    14357    22ण्13

इस तालिका से साफ पता चलता है कि दैनिक जागरण  समाचार पत्र में समाचारों को पर्याप्त महत्व दिया जाता है सोमवार को 123 विज्ञापनों को 19.28 प्रतिषत स्थान दिया गया जबकि समाचारों को 31.11 प्रतिषत स्थान दिया गया। मंगलवार को 97 विज्ञापनों को 13.68 प्रतिषत वही समाचारों को 36.40 प्रतिषत स्थान दिया गया। बुधवार को 173 विज्ञापनों को 22.77 वहीं समाचारों को 34.55 प्रतिषत स्थान दिया गया। बृहस्पतिवार को 115 विज्ञापनों को 15.27 वहीं समाचारों को 39.17 प्रतिषत स्थान दिया गया।षुक्रवार को 128 विज्ञापनों को 23.91 प्रतिषत वह समाचारों को 37.60 प्रतिषत स्थान दिया गया।षनिवार को 125 विज्ञापनों को 22.83 प्रतिषत वहीं समाचारोें को 30.44 प्रतिषत स्थान दिया गया। रविवार को 233 विज्ञापनों को 32.45 वह समाचारों को 22.13 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में ज्यादातर सामग्री समाचार वह विज्ञापन के रूप में होती है। अन्य चीजों को बहुत कम महत्व दिया जाता है।
दैनिक जागरण सजावटी विज्ञापनों की संख्या एवं स्थान
तालिका 3
थ्दवस    सजावटी विज्ञापनों की कुल संख्या    सजावटी विज्ञापनों का कुल स्थान    प््रतिषत
सोमवार    96    10543    17ण्20
मंगलवार    66    5800    10ण्72
बुधवार    129    12825    19ण्76
बृहस्पतिवार    80    6709    12ण्41
षुक्रवार    96    11862    20ण्57
षनिवार    86    13242    20ण्41
रविवार    168    16797    25ण्89

इस तालिका से साफ पता चलता है कि दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को 96 सजावटी विज्ञापनों को 17.20 प्रतिषत, मंगलवार को 66 सजावटी विज्ञापनों को 10.72 प्रतिषत बुधवार को 129 विज्ञापनों को 19.76 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को 80 सजावटी विज्ञापनों को 12.41 प्रतिषत,षुक्रवार को 96 विज्ञापनों को 20.57 प्रतिषत,षनिवार को 86 विज्ञापनों को 20.41 प्रतिषत वहीं अंतिम दिन रविवार को 168 विज्ञापनों को 25.89 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में सजावटी विज्ञापनों को प्रमुखता से समाचार पत्र में प्रकाषित किया जाता है ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र के वगीकृत विज्ञापनों की कुल संख्या एवं स्थान
तालिका - 4
दिवस    वगीकृत विज्ञापनों की कुल संख्या    वगीकृत विज्ञापनों का कुल स्थान    प््रतिषत
सोमवार    27    1274    2ण्07
मंगलवार    31    1600    2ण्95
बुधवार    44    1952    3ण्00
बृहस्पतिवार    35    1549    2ण्86
षुक्रवार    32    1928    3ण्34
षनिवार    39    1573    2ण्42
रविवार    65    4257    6ण्56

इस तालिका से साफ पता चलता है कि दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को वर्गीकृत विज्ञापनों को 2.07 प्रतिषत मंगलवार को 2.95 प्रतिषत बुधवार को 3 प्रतिषत बृहस्पतिवार को 2.86 प्रतिषत षुक्रवार को 3.34 प्रतिषत षनिवार को2.42 प्रतिषत रविवार को 6.56 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे यह भी पता चलता है कि रविवार को वर्गीकृत विज्ञापनों को सबसे ज्यादा स्थान दिया गया।

दैनिक जागरण समाचार पत्र में समाचारों का कुल स्थान
तालिका - 5
थ्दवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सेमवार    19066    31ण्11
मंगलवार    19682    36ण्40
बुधवार    22414    34ण्55
बृहस्पतिवार    21179    39ण्17
षुक्रवार    21685    37ण्60
षनिवार    19749    30ण्44
रविवार    14357    22ण्13
दैनिक जागरण समाचार पत्र में समाचारों को सोमवार को 31.11 प्रतिषत, मंगलवार को 36.40 प्रतिषत, बुधवार को 34.55 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को 39.17, षुक्रवार को 37.60 प्रतिषत षनिवार को 30.44 प्रतिषत स्थान, वहीं अंतिम दिन रविवार को 22.13 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में समाचारों को प्रमुखता से स्थान दिया जाता है। क्योंकि समाचार पत्र में पाठक वर्ग सबसे पहले समाचार देखना ही पसंद करते हैं ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में समाचार विष्लेषण का स्थान
तालिका - 6
दिवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    110    ण्17
मंगलवार    000    000
बुधवार    200    ण्30
बृहस्पतिवार    394    ण्72
षुक्रवार    000    000
षनिवार    000    000
रविवार    000    000

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को समाचार विष्लेषण की सामग्री .17 प्रतिषत, बुधवार को .30 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को .72 प्रतिषत स्थान दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि समाचार विष्लेषण की सामग्री बहुत कम आती है तथा हर दिन इसको स्थान नही दिया जाता इसका कारण यह भी हो सकता है कि इस भागदौड भरी जिंदगी में पाठक के पास इतना समय ही नही होता है कि वह इसकी गहराई में जा सके ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में संपादकीय का स्थान
तालिका - 7
दिवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    315    ण्51
मंगलवार    306    ण्56
बुधवार    280    ण्43
बृहस्पतिवार    279    ण्51
षुक्रवार    290    ण्50
षनिवार    304    ण्46
रविवार    311    ण्47

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को संपादकीय को .51 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .56 प्रतिषत जगह, बुधवार को .43 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .51 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .50 प्रतिषत जगह,षनिवार को .46 प्रतिषत जगह, रविवार को संपादकीय को .47 प्रतिषत जगह नहीं दी गई। इसके साथ ही यह भी पता चलता है कि सम्पादकीय को सबसे कम .43 व सबसे ज्यादा .56 प्रतिशत जगह दी गई । इसके साथ ही हर दिन सम्पादकीय को स्थान दिया गया । जिसके द्वारा हम उस पत्र की नीति के बारे में जान सकते हैं ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में आलेख का स्थान
तालिका - 8
दिवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    526    ण्85
मंगलवार    909    1ण्68
बुधवार    923    1ण्42
बृहस्पतिवार    902    1ण्66
षुक्रवार    937    1ण्62
षनिवार    958    1ण्47
रविवार    810    1ण्24

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को आलेख को .85 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.68 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.42 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.66 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.62 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.47 प्रतिषत जगह, रविवार को 1.24 प्रतिषत जगह ं दी गई।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में पृष्ठभूमि का स्थान
तालिका - 9
दिवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    000    000
मंगलवार    000    000
बुधवार    000    000
बृहस्पतिवार    000    000
षुक्रवार    000    000
षनिवार    104    ण्16
रविवार    172    ण्26

दैनिक जागरण समाचार पत्र में पृष्ठभूमि को षनिवार को .16 प्रतिषत जगह, रविवार को .26 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि पृष्ठभूमि को बहुत कम स्थान दिया जाता है तथा हर दिन इसे महत्व नही दिया जाता ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में रूपक का स्थान
तालिका - 10
दिवस    वस्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    4003    6ण्53
मंगलवार    4080    7ण्54
बुधवार    1652    2ण्54
बृहस्पतिवार    0000    000
षुक्रवार    1012    1ण्75
षनिवार    2404    3ण्70
रविवार    3639    5ण्60
दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को रूपक को 6.53 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .7.54 प्रतिषत जगह, बुधवार को 2.54 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 000 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.75 प्रतिषत जगह,षनिवार को 3.70 प्रतिषत जगह, रविवार को 5.60 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में रूपक को उचित स्थान दिया जाता है। बृहस्पतिवार एकमात्र ऐसा दिन था जिस दिन रूपक को स्थान नही दिया । इसके अलावा हर दिन रूपक को उचित महत्व दिया गया ।

दैनिक जागरण समाचार पत्र में संपादक के नाम पत्र का स्थान
तालिका - 11
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    288    ण्47
मंगलवार    232    ण्42
बुधवार    288    ण्44
बृहस्पतिवार    288    ण्53
षुक्रवार    288    ण्49
षनिवार    288    ण्44
रविवार    288    ण्44

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को संपादक के नाम पत्र को .47 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .42 प्रतिषत जगह, बुधवार को .44 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .53 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .49 प्रतिषत जगह,षनिवार को .44 प्रतिषत जगह, रविवार को .44 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में संपादक के नाम पत्र के द्वारा पाठकों की आवाज को भी उचित महत्व दिया जाता है तथा हर दिन स्थान दिया जाता है । सप्ताह में छः दिन सम्पादक के नाम पत्र को एक समान स्थान दिया गया । इसे यह भी पता चलता है कि समाचार पत्र ने पाठकों के पत्र के लिए एक निश्चित जगह छोड़ रखी है ।
 

दैनिक जागरण समाचार पत्र में तस्वीरो का स्थान
तालिका - 12
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिशत
सोमवार    8781    14ण्33
मंगलवार    8036    14ण्86
बुधवार    9309    14ण्34
बृहस्पतिवार    7838    14ण्49
षुक्रवार    6620    11ण्48
षनिवार    9084    14ण्0
रविवार    5416    8ण्34

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को तस्वीरों को 14.33 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 14.86 प्रतिषत जगह, बुधवार को 14.34 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 14.49 प्रतिषत जगह, षुक्रवार को 11.48 प्रतिषत जगह,षनिवार को 14.0 प्रतिषत जगह, रविवार को 8.34 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में तस्वीरों को भी उचित महत्व दिया जाता है। क्योंकि तस्वीरों के माध्यम से तो कम पढा लिखा पाठक होता है वह भी सब कुछ समझ जाता है ।

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सूचनात्मक सामग्री का स्थान
तालिक - 13
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    1617    2ण्63
मंगलवार    1852    3ण्42
बुधवार    2118    3ण्26
बृहस्पतिवार    1778    3ण्28
षुक्रवार    971    1ण्68
षनिवार    1131    1ण्74
रविवार    1000    1ण्54

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को सूचनात्मक सामग्री को 2.63 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 3.42 प्रतिषत जगह, बुधवार को 3.26 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 3.28 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.68 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.74 प्रतिषत जगह, रविवार को 1.54 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में सूचनात्मक सामग्री को भी उचित महत्व दिया जाता है। इससे यह भी पता चलता है कि शुक्रवार को सूचनात्मक सामग्री को सबसे कम जगह दी गई व हर दिन इसका स्थान बदलता रहा है ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में ग्राफिक, कार्टून का स्थान
तालिक - 14
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    632    1ण्03
मंगलवार    258    ण्47
बुधवार    259    ण्39
बृहस्पतिवार    080    ण्14
षुक्रवार    744    1ण्29
षनिवार    270    ण्41
रविवार    656    1ण्01

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को ग्राफिक, कार्टून को 1.03 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .47 प्रतिषत जगह, बुधवार को .39 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .14 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.29 प्रतिषत जगह,षनिवार को .41 प्रतिषत जगह, रविवार को 1.01 प्रतिषत जगह दी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में ग्राफिक, कार्टून को भी उचित महत्व दिया जाता है। क्योंकि कार्टून ही एकमात्र ऐसी चीज हेाती है जो हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ हमें संदेष््रा भी देती है तथा भ्रष्ट्राचार पर करारा व्यंग्य भी होता है ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में मनोरंजक सामग्री का स्थान
तालिक - 15
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    1870    3ण्05
मंगलवार    597    1ण्10
बुधवार    705    1ण्08
बृहस्पतिवार    2827    5ण्22
षुक्रवार    620    1ण्07
षनिवार    2835    4ण्37
रविवार    5084    7ण्83

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को मनोरंजक सामग्री को 3.05 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.10 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.08 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 5.22 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.07प्रतिषत जगह,षनिवार को 4.37 प्रतिषत जगह, रविवार को 7.83 प्रतिषत जगह दी गई। इससे हमे यह भी पता चलता है कि मनोरंजन को रविवार को सबसे ज्यादा जगह दी गई ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में वाणिज्य सामग्री का स्थान
तालिका - 16
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    768    1ण्25
मंगलवार    682    1ण्26
बुधवार    572    ण्88
बृहस्पतिवार    699    1ण्29
षुक्रवार    1358    2ण्35
षनिवार    843    1ण्29
रविवार    1050    1ण्61

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को वाणिज्य सामग्री को 1.25 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.26 प्रतिषत जगह, बुधवार को .88 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.29 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 2.35 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.29 प्रतिषत जगह रविवार को 1.61 प्रतिषत जगह दी गई। तालिका देखकर पता चलता है कि समाचार पत्र हर दिन वाणिज्य सामग्री को स्थान देता है ।

दैनिक जागरण समाचार पत्र में स्तंभ का स्थान
तालिका - 17
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    099    ण्16
मंगलवार    110    ण्20
बुधवार    108    ण्16
बृहस्पतिवार    108    ण्19
षुक्रवार    110    ण्19
षनिवार    000    0ण्00
रविवार    99    ण्15

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को स्तंभ को .16 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .20 प्रतिषत जगह, बुधवार को .16 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .19 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .19 प्रतिषत जगह,षनिवार को 0.00 प्रतिषत जगह रविवार को .15 प्रतिषत जगह दी गई।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में विंडो का स्थान
तालिका - 18
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    205    ण्33
मंगलवार    205    ण्37
बुधवार    181    ण्27
बृहस्पतिवार    193    ण्35
षुक्रवार    201    ण्34
षनिवार    201    ण्30
रविवार    205    ण्31
दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को विंडो को .33 प्रतिषत, मंगलवार को .37 प्रतिषत, बुधवार को .27 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को .35 प्रतिषत,षुक्रवार को .34 प्रतिषत,षनिवार को .30 प्रतिषत, रविवार को .31 प्रतिषत स्थान दिया गया। तालिका से यह भी पता चल रहा है कि मंगलवार को विंडो को सबसे ज्यादा स्थान दिया गया है ।
दैनिक जागरण समाचार पत्र में मास्ट हेड का स्थान
तालिका - 19
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    630    1ण्02
मंगलवार    526    ण्97
बुधवार    606    ण्93
बृहस्पतिवार    526    ण्97
षुक्रवार    526    ण्91
षनिवार    526    ण्81
रविवार    586    ण्90

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को मास्ट हेड को 1.02 प्रतिषत जगह, मंगलवार को .97 प्रतिषत जगह, बुधवार को .93 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .97 प्रतिषत जगह, षुक्रवार को .91 प्रतिषत जगह, षनिवार को .81 प्रतिषत जगह, रविवार को .90 प्रतिषत जगह दी गई।

दैनिक जागरण समाचार पत्र में हेडर का स्थान
तालिका - 20
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    680    1ण्10
मंगलवार    650    1ण्20
बुधवार    700    1ण्07
बृहस्पतिवार    650    1ण्20
षुक्रवार    650    1ण्12
षनिवार    710    1ण्09
रविवार    680    1ण्04

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को हेडर को 1.10 प्रतिषत जगह, मंगलवार को 1.20 प्रतिषत जगह, बुधवार को 1.07 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को 1.20 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 1.12 प्रतिषत जगह षनिवार को 1.09 प्रतिषत जगह, रविवार को 1.04 प्रतिषत जगह हेडर को दी गई। इससे यह भी पता चलता है कि मंगलवार तथा बृहस्पतिवार को हेडर को एक समान स्थान दिया गया ।


दैनिक जागरण समाचार पत्र में अन्य सामग्री का स्थान
तालिका - 21
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    956    1ण्56
मंगलवार    469    ण्86
बुधवार    422    ण्65
बृहस्पतिवार    365    ण्67
षुक्रवार    112    ण्19
षनिवार    999    1ण्53
रविवार    236    ण्36

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को 1.56 प्रतिषत जगह अन्य सामग्री को दी गई, मंगलवार को .86 प्रतिषत जगह, बुधवार को .65 प्रतिषत जगह, बृहस्पतिवार को .67 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को .19 प्रतिषत जगह,षनिवार को 1.53 प्रतिषत जगह, रविवार को .36 प्रतिषत जगह अन्य सामग्री को दी गई। तालिका से पता चलता है कि समाचार पत्र में सोमवार को अन्य सामग्री को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया ।

दैनिक जागरण समाचार पत्र में खाली स्थान का
तालिका - 22
दिवस    वास्तविक स्थान वर्ग सेंटीमीटर में    प्रतिषत
सोमवार    8905    14ण्53
मंगलवार    8066    14ण्92
बुधवार    9358    14ण्42
बृहस्पतिवार    7696    14ण्23
षुक्रवार    7750    13ण्43
षनिवार    9651    14ण्87
रविवार    9229    14ण्22

दैनिक जागरण समाचार पत्र में सोमवार को 14.53 प्रतिषत जगह बगैर छपाई की थी, मंगलवार को 14.92 प्रतिषत, बुधवार को 14.42 प्रतिषत, बृहस्पतिवार को 14.23 प्रतिषत जगह,षुक्रवार को 13.43 प्रतिषत जगह,षनिवार को 14.87 प्रतिषत जगह, रविवार को  14.22 प्रतिषत जगह खाली छोड़ी गई। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में ऐसी जगह भी बहुत होती है जिसका प्रयोग नहीं होता है।

प्रथम विषय वस्तु
तालिका - 1
दैनिक जागरण
विषय    आवृति    प्रतिषत संख्या
राजनैतिक    29    7.3
आर्थिक    26    6.5
शिक्षा    40    10.0
अपराध    27    6.8
खेल    13    3.3
विकास    6    1.5
पर्यावरण    3    .8
कृषि    6    1.5
बागवानी    2    .5
विज्ञानवतकनीक    1    .3
संस्कृतिकला,कला, डांस    6    1.5
अप्रात्याशितघटनाक्रम    2    .5
खोज अनुसंद्यान    1    . 3
मौसम    3    .8
पर्यटन    2    .5
कानूनी    19    4.8
स्वास्थ्य    13    3.3
बच्चें    5    1.3
धर्म    17    4.3
आंतकवाद    1    .3
सुरक्षा    3    .8
मानवीय अभिरुचि    4    1.0
प्राकृतिक वातावरण    1    .3
मनोरंजन    4    1.0
घोटाला    1    .3
फिल्मसमीक्षा    1    .3
सनसनी    1    .3
दुर्घटना समाचार    4    1.0
रोजगार    14    3.5
व्यापार उत्पाद    10    2.5
धरना, रैली, प्रदर्शन    13    3. 3
गरीबी    4    1.0
अन्य    37    9.3
कोई मुद्दा नहीं    44    11.0
वैवाहिक    4    1.0
सूचना    33    8.3
कुल योग    400    100.0

     शोध की आवश्यकता वह शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता ने चयनित 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया तो आंकड़ों के परिणामस्वरूप पाया कि दैनिक जागरण समाचार पत्र में इन 400 विषय सामग्रियों में राजनीति केे विषय के रूप में 29 अर्थात 7.3 प्रतिशत के साथ महत्वपूर्ण स्थान दिया गया इसके साथ ही आर्थिक सामग्री 26 अर्थात 6.5 प्रतिशत के साथ महत्वपर्ण स्थान दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि यह समाचार पत्र राजनीति के साथ ही आर्थिक सामग्री को भी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान देता है। शिक्षा सम्बंधित सामग्री को 40 अर्थात 10 प्रतिशत के साथ महत्वूर्ण स्थान दिया जाता है। अपराध सम्बंधित सामग्री को 27 अर्थात 6.8 प्रतिशत स्थान दिया गया। खेल को 13 अर्थात 3.3 प्रतिशत स्थान दिया गया। विकास को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। पर्यावरण को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया। कृषि को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। बागवानी को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। विज्ञान व तकनीक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। सांस्कृतिक, कला व नृत्य को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। असाधारण घटनाओं को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। नई खोज व अनुसंद्यान को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। मौसम को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया। पर्यटन को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। कानूनी सामग्री को 19 अर्थात 4.8 प्रतिशत स्थान दिया गया। स्वास्थ्य को 13 अर्थात 3.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। बच्चों को 5 अर्थात 1.5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। धर्म को 17 अर्थात 4.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। आंतकवाद को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। रक्षा सामग्री को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया। मानवीय अभिरूचि सम्बंधित सामग्री को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। प्राकृतिक वातावरण को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। मनोरंजन को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। घोटाले को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। फिल्म समीक्षा को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। सनसनी खेज सामग्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। दुर्घटना सम्बंधि सामग्री को 4 अर्थात 1प्रतिशत स्थान दिया गया है। रोजगार समाचारों को 14 अर्थात 3.5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। उत्पाद, व्यवसाय को 10 अर्थात 2.5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। धरना, रैली, प्रदर्शन को 13 अर्थात 3.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। गरीबी को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया हैं। अन्य को 37 अर्थात 9.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। कोई मुददा नहीं को 44 अर्थात 11 प्रतिशत स्थान दिया गया है। वैवाहिक विज्ञापनों को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया है। सूचना को 33 अर्थात 8.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। इस
तालिका से साफ जाहिर होता है कि विषय सामग्री में सबसे ज्यादा 44 अर्थात 11 प्रतिशत कोई मुददा नहीं को स्थान दिया गया है।  दूसरे नम्बर पर शिक्षा को 40 अर्थात 10 प्रतिशत के साथ स्थान दिया गया है। तीसरे नंबर पर 37 अर्थात 9.3 प्रतिशत के साथ अन्य विषय सामग्री को स्थान दिया गया है। चौथे विषय के रूप में 33 अर्थात 8.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है।
विषय वस्तु द्वितीय
तालिका -2
विषय    आवृति    प्रतिषत संख्या
राजनैतिक    9    2.3
आर्थिक    5    1.3
शिक्षा    3    .8
अपराध    4    1.0
विकास    1    .3
पर्यावरण    1    .3
कृषि    3    .8
संस्कृतिकला डांस    2    .5
खोज अनुसंद्यान    1    . 3
कनूनी    7    1.8
स्वास्थ्य    2    .5
महिला    3    .8
धर्म    4    1.0
सुरक्षा    1    .3
मनोरंजन    2    .5
विदेषी संबंध    1    .3
रोजगार    1    .3
व्यापार उत्पाद    5    1.3
धरनारैलीप्रदर्शन    5    1.3
गरीबी    1    .3
अन्य    21    5.3
कोई मुद्दा नहीं    315    78.8
सूचना    3    .8
कुल योग    400    100.0

शोध की आवश्यकता वह शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता ने चयनित 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया तो आंकड़ों के परिणामस्वरूप पाया कि दैनिक जागरण समाचार पत्र में इन 400 विषय सामग्रियों में दूसरे विषय के रूप में राजनीति को 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं।  आर्थिक को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। शिक्षा को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। अपराध को 4 अर्थात 1 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। विकास को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। पर्यावरण को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। कृषि को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। संस्कृति, कला व नृत्य को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। नवीन खोज व अनुसंद्यान को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। कानूनी सम्बंधी विषय को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। स्वास्थ्य को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। महिला सम्बंधि सामग्री को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। धर्म सम्बंधि सामग्री को 4 अर्थात 1 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। रक्षा मामलों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। मनोरंजन को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। विदेशी मामलों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं। रोजगार सम्बंधि सामग्री को 1अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। उत्पाद, व्यवसाय को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। धरना, रैली प्रदर्शन को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। गरीबी को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं। अन्य विषयों को 21 अर्थात 5.3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। कोई विषय नहीं को 315 अर्थात 78.8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। सूचना को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि सबसे ज्यादा दूसरे विषय के रूप में कोई मुददा 315 अर्थात 78.8 होता ही नहीं है, जबकि दूसरे नंबर पर अन्य 21 अर्थात 5.3 विषय सामग्री है। तीसरे नंबर पर 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत के साथ राजनीति को महत्व दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि ऐसी विषय सामग्री बहुत कम होती है जिसमें दूसरा विषय होता है।
विषय वस्तु तृतीय
तालिका - 3
विषय    आवृति    प्रतिषत संख्या
राजनीतिक    2    .5
आर्थिक    2    .5
षिक्षा    1    .3
संस्कृति,कला नृत्य    1    .3
धर्म    2    .5
मनोरंजन    1    .3
कोई मुददा नहीं    391    97.8
क्ुल योग    400    100.0
               
शोध की आवश्यकता वह शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता ने चयनित 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया तो आंकड़ों के परिणामस्वरूप पाया कि दैनिक जागरण समाचार पत्र में इन 400 विषय सामग्रियों में तीसरे विषय के रूप में राजनीति को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं।  आर्थिक को 2 अर्थात .5  प्रतिशत महत्व दिया जाता है। शिक्षा को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। संस्कृति, कला व नृत्य को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। धर्म सम्बंधी सामग्री को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। मनोरंजन को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। कोई विषय सामग्री को 391 अर्थात 97.8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। इस तालिका से साफ पता चलता है कि तीसरे विषय के रूप में कोई विषय नहीं कों सबसे ज्यादा 391 अर्थात 97.8 प्रतिशत महत्व दिया गया हैं। दूसरे नम्बर पर तीसरे विषय के रूप में राजनीति, आर्थिक व धर्म को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस समाचार पत्र में ऐसी सामग्री बहुत कम होती है जिसमें दो विषयों के साथ कोई तीसरा भी विषय होता है।
विषय के प्रकार तालिका 1
दैनिक जागरण
तालिका - 4
विषय    आवृति    प्रतिषत संख्या
समाचार    147    36.8
समाचार विष्लेषण    1    .3
आलेख    3    .8
रूपक    8    2.0
संपादकीय    6    1.5
पाठकों के पत्र    2    .5
तस्वीर    64    16
कार्टून, ग्राफिक    3    .8
कॉलम    2    .5
सजावटी विज्ञापन    83    20.8
वर्गीकृत विज्ञापन    28    7.0
सूचना सम्बंधी सामग्री    22    5.5
मनोरंजन    7    1. 8
मस्ट हेड    3    .8
हेडर    16    4.0
अन्य    5    1.3
कुल योग    400    100.0

प्रस्तुत शोध में शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले दो समाचार पत्रों दैनिक भास्कर वह दैनिक जागरण का चयन किया तथा उसका अंतर्वस्तु विधि द्वारा विधिवत रूप से  अध्ययन किया। शोधकर्ता ने अपने शोध कार्य के लिए ‘संयुक्त सप्ताह के तहत ये समाचार पत्र इकटठे किए। इसके लिए शोधकर्ता ने 30 जून से 6 जुलाई के समाचार पत्र इकटठे किए तथा निदर्शन विधि द्वारा दोनों समाचार पत्रों की बराबर बराबर सामग्री ली गई तथा कुल 800 सामग्रियों का निदर्शन विधि के द्वारा लाटरी विधि द्वारा चुनाव किया गया अर्थात हर समाचार पत्र की कुल 400 सामग्रियों को लिया गया तथा अंतर्वस्तु विश्लेषण किया गया। शोध के अनुसार दैनिक जागरण समाचार पत्र में सबसे  ज्यादा समाचार को अर्थात 147 अर्थात 36.8 विषय सामग्री समाचार के रूप में प्रस्तुत की जाती है। शोध के अनुसार 1 अर्थात .3 समाचार विश्लेषण को तथा आलेख को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। रूपक को 8 अर्थात 2.0 प्रतिशत स्थान  प्राप्त हुआ। संपादकीय को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। पाठकों के पत्र को भी 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। तस्वीर को 64 अर्थात 16.0 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। कार्टून ग्राफिक को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। कालम को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। सजावटी विज्ञापन को 83 अर्थात 20.8 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। वर्गीकृत विज्ञापन को 28 अर्थात 7 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। सूचना वस्तु 22 अर्थात 5.5 स्थान प्राप्त हुआ। मनोरंजन सामग्री को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। मास्क हेड को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। हेडर को 16 अर्थात 4.0 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। अन्य को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। अर्थात दैनिक जागरण समाचार पत्र में सबसे ज्यादा 147 अर्थात 36.8 प्रतिशत समाचार को दिया जाता है। तस्वीरों को भी 64 अर्थात 16 प्रतिशत महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। इसके साथ ही सजावटी विज्ञापनों को भी 83 अर्थात 20.8 महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। सूचना वस्तु को भी 22 अर्थात 5.5 प्रतिशत के साथ बड़ा महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। मनोरंजन को भी 7 अर्थात 1.8 के साथ महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अर्थात समाचार पत्र में समाचारों तस्वीरों तथा सजावटी विज्ञापनों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
किस दिन कितनी इकाईया ली गई
तालिका - 5

दिनांक    मात्रा    प्रतिशत संख्या
1    40    10.0
2    50    12.5
3    52    13.0
4    43    10.8
5    55    13.8
6    99    24.8
30    61    15.3
कुल योग    400    100.0

तालिका से साफ पता चल रहा है कि 6 जुलाई को सबसे ज्यादा 99 यानि की 24.8 प्रतिषत सामग्री आई व सबसे कम इकाई 1 जुलाई को आई । उस दिन मात्र 40 इकाईया ही आई । इस प्रकार 400 ईकाइयों को लिया गया । निर्देशन द्वारा 400 ईकाइयों को लिया गया ।
मुख्य नायक प्रथम
तालिका - 6
दैनिक जागरण
नायक    आवृति    प्रतिषत संख्या
राष्ट्रपति    2    . 5
प्रधानमंत्री    2    .5
संसद    1    .3
केंद्रीय व राज्य के मंत्री    8    2.0
विधायक    6    1.5
उपायुक्त    5    1.3
अध्यापक    8    2.0
राज्यपाल    1    .3
मुख्यमंत्री    2    .5
किसान    3    .8
मजदूर    15    3.8
अपराधी    7    1.8
कैप्टन, एयरमार्षल    1    .3
प्रषिक्षक    2    .5
खिलाड़ी    12    3.0
नायक    2    .5
नायिका    6    1.5
विपक्षी नेता    1    .3
चिकित्सक    6    1.5
वकील    2    .5
न्यायाधीष    1    .3
अन्य    30    7.5
निर्देषक, अध्यक्ष    11    2.8
वैज्ञानिक    2    .5
प्रबंधक    5    1.3
विद्यार्थी    25    6.3
आम आदमी    34    8.5
सरकारी कर्मचारी    22    5.5
आरोपी    4    1.0
प्रवक्ता    7    1.8
कोई व्यक्तित्व नहीं    108    27.0
पुलिस    9    2.3
महासचिव    7    1.8
उद्यमी, फिल्म निर्माता    5    1.3
प्रधानाचार्य    1    .3
फिल्म निर्देषक    1    .3
लेखक, गायक    14    3.5
राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्त्ता    22    5.5
कुल योग    400    100.0

शोधकर्ता ने जब इन 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया और देखा कि किस व्यक्तित्व को कितना महत्व दिया जाता है तो पाया कि मुख्य पात्र प्रथम के रूप में राष्ट्रपति को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं। प्रधानमंत्री को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। सांसदों को 1 अर्थात .3 महत्व दिया जाता है। केंद्रीय या राज्य मंत्री को 8 अर्थात .2 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। विधायक को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। उपायुक्त को 5 अर्थात 1.3 अध्यापक को 8 अर्थात 2 प्रतिशत राज्यपाल को 1 अर्थात .3 प्रतिशत मुख्यमंत्री को 2 अर्थात .5 किसान को 3 अर्थात .8 प्रतिशत मजदूरों को 15 अर्थात 3.8 प्रतिशत अपराधियों को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत,आरोपियों को 4 अर्थात 1.0 प्रतिषत कैप्टन, एयरमार्शल, कर्नल 1 अर्थात .3 प्रतिशत प्रशिक्षक को 2 अर्थात .5 खिलाड़ियों को 12 अर्थात 3.0 प्रतिशत नायके को 2 अर्थात .5 नायिकाओं को 6 अर्थात 1.5 विपक्षी दल के नेता को 1 अर्थात .3 प्रतिशत चिकित्सक को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत वकील को 2 अर्थात .5 प्रतिशत न्यायाधीश को 1 अर्थात .3 अन्य को 30 अर्थात 7.5 कार्यकारी अधिकारी, निर्देशक, अध्यक्ष को 11 अर्थात 2.8 प्रतिशत वैज्ञानिकों को 2 अर्थात .5 प्रतिशत प्रबंधक को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत विद्यार्थियों को 25 अर्थात 6.3 प्रतिशत आम आदमी को 34 अर्थात 8.5 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी को 22 अर्थात 5.5 प्रतिशत प्रवक्ता को 7 अर्थात 1.8 कोई पात्र नहीं को 108 अर्थात 27.0 प्रतिशत पुलिस को 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत केंद्रीय सचिव, महासचिव को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत उद्यमी, फिल्म निर्माता को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत, प्रधानाचार्य को 1 अर्थात .3 प्रतिशत फिल्म निर्देशक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत लेखक, गायक को 14 अर्थात 3.5 प्रतिशत राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्ता को 22 अर्थात 5.5 प्रतिशत महत्व दिया गया। इस सारणी से यह भी पता चलता है कि सबसे ज्यादा  विषय सामग्री 108 अर्थात 27.0 प्रतिषत ऐसी थी जिसमें कोई व्यक्तित्व नहीं था तथा दूसरे स्थान पर आम आदमी को 34 अर्थात 8.5 प्रतिषत महत्व दिया गया वहीं तीसरे नंबर पर अन्य व्यक्तित्व को 30 अर्थात 7.5 प्रतिषत महत्व दिया गया।

दैनिक जागरण
मुख्य नायक द्वितीय
तालिका - 7
नायक    आवृति    प्रतिषत संख्या
राजा,राष्ट्रपति    3    .8
संसद    2    .5
केंद्रीय व राज्य के मंत्री    3    .8
विधायक    1    .3
उपायुक्त        2    .5
उपकुलपति    1    .3
अध्यापक    1    .3
मुख्यमंत्री    2    .5
किसान    2    .5
मजदूर    1    .3
अपराधी    2    .5
खिलाड़ी    2    .5
नायक    1    .3
नयिका    2    .5
चिकित्सक    1    .3
अन्य    11    2.8
निर्देषक, अध्यक्ष    5    1.3
विद्यार्थी    3    .8
आम आदमी    11    2.8
सरकारी कर्मचारी    7    1.8
प्रवक्ता    4    1.0
सीबीआई, सीआईडी    1    .3
कोई व्यक्तित्व नहीं    306    76.5
पुलिस    14    3.5
महासचिव    2    .5
उपमंडलाधीष    1    .3
डद्यमी, फिल्म निर्माता    1    .3
प्रधानाचार्य    1    .3
लेखक, गायक    2    .5
राजनीतिक दल के कार्यकर्त्ता, सदस्य    5    1.3
कुल योग    400    100.0

शोधकर्ता ने जब इन 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया और देखा कि किस व्यक्तित्व को कितना महत्व दिया जाता है तो पाया कि मुख्य पात्र द्वितीय के रूप में राष्ट्रपति को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं। सांसदों को 2 अर्थात .5 महत्व दिया जाता है। केंद्रीय या राज्य मंत्री को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। विधायक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। उपायुक्त को 2 अर्थात .5 उपकुलपति को 1 अर्थात .3 प्रतिषत अध्यापक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत मुख्यमंत्री को 2 अर्थात .5 प्रतिषत किसान को 2 अर्थात .5 प्रतिशत मजदूरों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत अपराधियों को 2 अर्थात .5 प्रतिशत खिलाड़ियों को 2 अर्थात .5 प्रतिशत नायक को 1 अर्थात .3 नायिकाओं को 2 अर्थात .5 चिकित्सक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत अन्य को 11 अर्थात 2.8 कार्यकारी अधिकारी, निर्देशक, अध्यक्ष को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत विद्यार्थियों को 3 अर्थात .8 प्रतिशत आम आदमी को 11 अर्थात 2.8 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत प्रवक्ता को 4 अर्थात 1 प्रतिषत सीबीआई या सीआईडी व्यक्तित्व को 1 अर्थात .3 प्रतिषत कोई व्यक्तित्व नहीं को 306 अर्थात 76.5 प्रतिशत पुलिस को 14 अर्थात 3.5 प्रतिशत केंद्रीय सचिव, महासचिव को 2 अर्थात .5 प्रतिशत उपमंडल अधिकारी को 1 अर्थात .3 उद्यमी, फिल्म निर्माता को 1 अर्थात .3 प्रतिशत, प्रधानाचार्य को 1 अर्थात .3 प्रतिशत प्रतिशत लेखक, गायक को 2 अर्थात .5 प्रतिशत राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्ता को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत महत्व दिया गया। इस सारणी से यह भी पता चलता है कि सबसे ज्यादा  विषय सामग्री 306 अर्थात 76.5 प्रतिषत ऐसी थी जिसमें कोई व्यक्तित्व नहीं था तथा दूसरे स्थान पर पुलिस 14 अर्थात 3.5 प्रतिषत महत्व दिया गया। तीसरे स्थान पर आम आदमी व अन्य दोनों को बराबर बराबर 11अर्थात 2.8  प्रतिषत महत्व दिया गया। इससे साफ यह भी पता चलता है कि समाचार पत्र में ऐसी सामग्र्री बहुत कम थी जिसमें दूसरा व्यक्तित्व हो।



दैनिक जागरण
मुख्य नायक तृतीय
तालिका - 8

नायक    आवृति    प्रतिषत संख्या
क्ेंद्रीय व राज्य मंत्री    1    . 3
मुख्यमंत्री    1    . 3
चिकित्सक    1    .3
अन्य    2    .5
आम आदमी    3    .8
सरकारी कर्मचारी    3    .8
कोई व्यक्तित्व नहीं    386    96.5
उद्यमी, फिल्म निर्माता    1    .3
फिल्म निर्देषक    1    .3
राजनीतिक दल के कार्यकर्त्ता सदस्य    1    .3
कुल योग    400    100.0

शोधकर्ता ने जब इन 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया और देखा कि किस व्यक्तित्व को कितना महत्व दिया जाता है तो पाया कि मुख्य पात्र तृतीय के रूप में केंद्र या राज्य के मंत्री को 1 अर्थात .3 प्रतिषत मुख्यमंत्री को 1 अर्थात .3 प्रतिषत चिकित्सक को 1 अर्थात .3 प्रतिषत अन्य को 2 अर्थात .5 प्रतिषत आम आदमी को 3 अर्थात .8 प्रतिषत सरकारी कर्मचारी को 3 अर्थात .8 प्रतिषत कोई व्यक्तित्व नहीं को 386 अर्थात 96.5 प्रतिषत उद्यमी, फिल्म निर्माता को 1 अर्थात .3 प्रतिषत, फिल्म निर्देषक को 1 अर्थात .3 प्रतिषत राजनीतिक दल के  सदस्य, कार्यकर्ता को 1 अर्थात .3 प्रतिषत महत्व दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि ऐसी सामग्री बहुत कम है जिसमें तीसरे व्यक्तित्व को स्थान दिया गया है। तीसरा कोई व्यक्तित्व नहीं है ऐसी सामग्री 386 अर्थात 96.5 प्रतिषत है। इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र में ऐसी सामग्री बहुत कम है जिसमें तीसरा व्यक्तित्व होता है।


समाचार किस स्थान से प्राप्त हुए
तालिका - 9

स्थान    आवृति    प्रतिषत संख्या
राष्ट्रीय राजधानी    5    1.3
राज्य राजधानी    4    1.0
अन्य महानगरीयषहर    5    1.3
अन्य कस्बे    146    36.5
विदेष    14    3.5
ग्रामीण    5    1.3
कोई साधन नहीं    221    55.3
योग    400    100.0

चयनित विषय सामग्रियों के प्राप्ति स्थान अर्थात जहां से वो समाचार प्राप्त किया गया है। तो ेषोधकर्ता ने पाया कि निदर्षन द्वारा जो सामग्री चुनी गई थी उनमे से किस सामग्री को कहां से वह किस स्थान से प्रकाषित किया गया है तो षोधकर्त्ता ने पाया कि राष्टृीय राजधानी से 5 अर्थात 1.3 सामग्री को राष्टीय राजधानी से प्राप्त किया गया जबकि राज्य की राजधानी से 4 अर्थात 1.0 प्रतिषत प्राप्त किया गया अन्य महानगरीयषहर से 5 अर्थात 1.3 प्रतिषत अन्य कस्बे से 146 अर्थात 36.5 विदेषों से 14 अर्थात 3.5 प्रतिषत ग्रामीण से  5 अर्थात 1.3 प्रतिषत कोई साधन नहीं  221 अर्थात 55.3 को प्राप्त करने का कोई साधन नहीं था।
किस महीने के समाचार
तालिका - 10
महीना    मात्रा    प्रतिषत संख्या
जून    61    15.3
जुलाई    339    84.8
कुल योग    400    100.0
जून महीने के 61 विषय है बाकी जुलाई हैं यह तालिका देखने से पता चलता हैं।



विषय सामग्री
तालिका - 11

चर
मात्रा    प्रतिषत संख्या
प्रथम पृष्ठ की तृतीय लीड    1    .3
प्रथम पृष्ठ की बोटम स्टोरी    1    .3
अन्य    398    99.5
कुल योग    400    100.0

प्रस्तुत षोध में षोधकर्ता ने विभिन्न समाचारों अथवा विषय सामग्रियों के प्रकाषित किए जाने वाले स्थान का अध्ययन किया कि किस प्रकार के समाचार को किस स्थान पर प्रकाषित किया जाता है तो इसके लिए षोधकर्ता ने 30 जून से 6 जुलाई की 400 विषय सामग्रियों को लिया गया। प्रथम पृष्ठ का प्रथम समाचार टैक्नोलॉजी से सम्बन्धित है । राज्य की राजधानी से यह समाचार लगा है परन्तु यह घटना विदेश में घटित हुई है । इसमें नायक वैज्ञानिक है ।
प्रथम पृष्ठ की तृतीय लीड राज्य की राजधानी में घटित हुई है तथा वही से लगी है व उत्पाद से सम्बन्धित है । 
समाचार में घटनाएं वास्तव में किस जगह घटित हुई
तालिका 12
स्थान    आवृति    प्रतिषत संख्या
राष्ट्रीय राजधानी    10    2.5
राज्य राजधानी    7    1.8
अन्य महानगरीयषहर    6    1.5
अन्य कस्बे    168    42.0
विदेष    21    5.3
ग्रामीण    24    6.0
कोई साधन नहीं    164    41
योग    400    100.0

    चयनित 400 विषय सामग्रियों में जिनके घटने से वे प्रकाषित हुई वे घटनाएं वास्तव में घटित किस स्थान पर हुई इस सम्बंध में ेंषोधकर्ता ने जानने के लिए अध्ययन किया तो यह पाया कि 10 अर्थात 2.5 प्रतिषत घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी में घटित हुई जबकि राज्य की राजधानी में 7 अर्थात
1.8 प्रतिषत घटनाएं घटित हुई अन्य महानगरीय नगर में 6 अर्थात 1.5 प्रतिषत घटनाएं घटित हुई अन्य कस्बे में 168 अर्थात 42 प्रतिषत घटनाएं घटित हुई। विदेष में 21 अर्थात 5.3 प्रतिषत व ग्रामीण क्षेत्र में 24 अर्थात 6 प्रतिषत है ।
समाचार पत्र विष्लेषण
तालिका - 13

पत्र    मात्रा    प्रतिषत संख्या
दैनिक जागरण    400    100.0
कुल विश्लेषण    400    100.0
इससे साफ पता चलता है कि समाचार पत्र की 400 इकाईया ली गई व सभी का विश्लेषण किया
गया ।
विषय वस्तु प्रथम
तालिका 1
दैनिक भास्कर
विषय    आवृति    प्रतिषत संख्या
राजनैतिक    44    11.0
आर्थिक    23    5.8
शिक्षा    38    9.5
अपराध    37    9.3
खेल    22    5.5
विकास        1    .3
पर्यावरण    5    1.3
कृषि    4    1.0
बागवानी    4    1.0
विज्ञानवतकनीक    1    .3
संस्कृतिकला डांस    4    1.0
अप्रात्याशितघटनाक्रम    9    2.3
मौसम    3    .  8
कानूनी    10    2.  5
स्वास्थ्य    20    5 .0
महिला    1    .3
बच्चे    1    .3
धर्म    14    3.5
आंतकवाद    2    . 5
रक्षा    3    .8
मानवीय अभिरुचि    1    .3
प्राकृतिक वातावरण    2    . 5
मनोरंजन    21    5.3
घोटाला    2    .5
दुर्घटना समाचार    9    2.3
रोजगार    16    4.0
व्यवसाय, उत्पाद    8    2.0
धरना, रैली प्रदर्षन    15    3.8
अन्य    28    7.0
कोई मुद्दा नहीं    32    8.0
वैवाहिक    3    .8
सूचना    17    4.3
कुल योग    400    100.0

शोध की आवश्यकता वह शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता ने चयनित 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया तो आंकड़ों के परिणामस्वरूप पाया कि दैनिक भास्कर समाचार पत्र में इन 400 विषय सामग्रियों में राजनीति केे विषय के रूप में 44 अर्थात 11.0 प्रतिशत के साथ महत्वपूर्ण स्थान दिया गया इसके साथ ही आर्थिक सामग्री 23 अर्थात 5.8 प्रतिशत के साथ महत्वपर्ण स्थान दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि यह समाचार पत्र राजनीति के साथ ही आर्थिक सामग्री को भी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान देता है। शिक्षा सम्बंधित सामग्री को 38 अर्थात 9.5 प्रतिशत के साथ महत्वूर्ण स्थान दिया जाता है। अपराध सम्बंधित सामग्री को 37 अर्थात 9.3 प्रतिशत स्थान दिया गया। खेल को 22 अर्थात 5.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। विकास को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। पर्यावरण को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत स्थान दिया गया। कृषि को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। बागवानी को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। विज्ञान व तकनीक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। सांस्कृतिक, कला व नृत्य को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। असाधारण घटनाओं को 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत स्थान दिया गया। मौसम को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया। कानूनी सामग्री को 10 अर्थात 2.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। स्वास्थ्य को 20 अर्थात 5.0 प्रतिशत स्थान दिया गया है। महिलाओं को 1 अर्थात .3 प्रतिषत बच्चों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। धर्म को 14 अर्थात 3.5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। आंतकवाद को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। रक्षा सामग्री को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया। मानवीय अभिरूचि सम्बंधित सामग्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। प्राकृतिक वातावरण को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। मनोरंजन को 21 अर्थात 5.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। घोटाले को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। दुर्घटना सम्बंधित सामग्री को 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। रोजगार समाचारों को 16 अर्थात 4.0 प्रतिशत स्थान दिया गया है। उत्पाद, व्यवसाय को 8 अर्थात 2.0 प्रतिशत स्थान दिया गया है। धरना, रैली, प्रदर्शन को 15 अर्थात 3.8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। अन्य को 28 अर्थात 7 प्रतिशत स्थान दिया गया है। कोई मुददा नहीं को 32 अर्थात 8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। वैवाहिक विज्ञापनों को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। सूचना को 17 अर्थात 4.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि विषय सामग्री में सबसे ज्यादा 44 अर्थात 11 प्रतिशत राजनीति को स्थान दिया गया है।  दूसरे नम्बर पर शिक्षा को 38 अर्थात 9.5 प्रतिशत के साथ स्थान दिया गया है। तीसरे नंबर पर अपराध 37 अर्थात 9.3 प्रतिशत के साथ स्थान दिया गया है।

विषय वस्तु द्वितीय तालिका 2
दैनिक भास्कर

विषय    आवृति    प्रतिषत संख्या
राजनैतिक    8    2. 0
आर्थिक    4    1. 0
शिक्षा    8    2.0
अपराध    2    .5
खेल    2    .5
विकास        2    .5
पर्यावरण    1    .3
कृषि    2    .5
बागवानी    1    .3
संस्कृतिकला डांस    1    .3
अप्रात्याशितघटनाक्रम    4    1.0
मौसम    1    .3
पर्यटन    1    .3
कनूनी    10    2.5
स्वास्थ्य    2    .5
महिला    2    .5
बच्चें    3    .8
धर्म    3    .8
रक्षा    4    1.0
मानवीय अभिरूचि    1    .3
प्राकृतिक वातावरण    1    .3
मनोरंजन    2    .5
विदेषी सम्बंध    1    .3
दुर्घटना समाचार    1    .3
रोजगार    3    .8
व्यापार उत्पाद    17    4.3
धरनारैलीप्रदर्शन    5    1.3
गरीबी    1    .3
अन्य    14    3.5
कोई मुद्दा नहीं    287    71.8
विज्ञान, तकनीक    1    .3
सूचना        5    1.3
कुल योग    400    100.0
   
शोध की आवश्यकता वह शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता ने चयनित 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया तो आंकड़ों के परिणामस्वरूप पाया कि दैनिक भास्कर समाचार पत्र में इन 400 विषय सामग्रियों में दूसरे विषय के रूप् में राजनीति केे विषय के रूप में 8 अर्थात 2.0 प्रतिशत के साथ स्थान दिया गया इसके साथ ही आर्थिक सामग्री 4 अर्थात 1 प्रतिशत के साथ स्थान दिया जाता है। शिक्षा सम्बंधित सामग्री को 8 अर्थात 2.0 प्रतिशत के साथ महत्वूर्ण स्थान दिया जाता है। अपराध सम्बंधित सामग्री को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। खेल को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। विकास को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। पर्यावरण को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। कृषि को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। बागवानी को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। विज्ञान व तकनीक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। सांस्कृतिक, कला व नृत्य को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। असाधारण घटनाओं को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। मौसम को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। पर्यटन को 1 अर्थात .3 प्रतिषत कानूनी सामग्री को 10 अर्थात 2.5 प्रतिशत स्थान दिया गया। स्वास्थ्य को 2अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। महिलाओं को 2 अर्थात .5 प्रतिषत बच्चों को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। धर्म को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया है।  रक्षा सामग्री को 4 अर्थात 1 प्रतिशत स्थान दिया गया। मानवीय अभिरूचि सम्बंधित सामग्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। प्राकृतिक वातावरण को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। मनोरंजन को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। विदेषी सम्बंधों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। दुर्घटना सम्बंधित सामग्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। रोजगार समाचारों को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। उत्पाद, व्यवसाय को 17 अर्थात 4.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। धरना, रैली, प्रदर्शन को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। गरीबी को 1अर्थात.3 प्रतिषत स्थान दिया गया। अन्य को 14 अर्थात 3.5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। कोई मुददा नहीं को 287 अर्थात 71.8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। सूचना को 5 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि समाचार पत्र में पहला ही विषय होता है दूसरा कोई विषय हो ऐेसी सामग्री बहुत कम होती है। क्योंकि दूसरा विषय ही नहीं ऐसी सामग्री 287 अर्थात 71.8 प्रतिषत है।


विषय वस्तु तृतीय
तालिका 3
दैनिक भास्कर
                      चर    आवृति    प्रतिषत संख्या
षिक्षा    1    .3
असमान्य घटनाक्रम    1    .3
नवीन खोज, अनुसंद्यान    1    .3
कनून    2    .5
बच्चें    2    .5
प््रााकृतिक वातावरण    1    . 3
धरना, रैली प्रदर्षन    3    .8
अन्य    5    1. 3
कोई मुददा नहीं    384    96. 0
क्ुल योग    400    100. 0

शोध की आवश्यकता वह शोध के महत्व को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता ने चयनित 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया तो आंकड़ों के परिणामस्वरूप पाया कि दैनिक भास्कर समाचार पत्र में इन 400 विषय सामग्रियों में तीसरे विषय के रूप में शिक्षा सम्बंधित सामग्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत के साथ स्थान दिया जाता है। असमान्य घटनाक्रम को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। नवीन खाोज अनुसंद्यान को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। कानूनी सामग्री को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया। बच्चों को 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान दिया गया है। प्राकृतिक वातावरण को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान दिया गया। धरना, रैली, प्रदर्शन को 3 अर्थात .8 प्रतिशत स्थान दिया गया है। अन्य को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत स्थान दिया गया है। कोई मुददा नहीं को 384 अर्थात 96 प्रतिशत स्थान दिया गया है। इस तालिका से साफ जाहिर होता है कि समाचार पत्र में पहला वह दूसरा विषय ही होता है ऐेसी सामग्री बहुत कम होती है जिसमें तीसरा भी विषय होता है। क्योंकि तीसरे विषय ही नहीं ऐसी सामग्री 384 अर्थात 96 प्रतिषत है।
विषय के प्रकार तालिका 1
तालिका 4
दैनिक भास्कर
चर    आवृति    प्रतिषत संख्या
समाचार    169    42.3
आलेख    1    .3
रूपक    9    2.3
संपादकीय    1    .3
पाठकों के पत्र    2    .5
तस्वीर    85    21.3
कार्टून ग्राफिक    6    1.5
सजावटी विज्ञापन    21    5.3
वर्गीकृत विज्ञापन    57    14.3
सूचना सम्बंधी सामग्री    18    4.5
मनोरंजन    7    1.8
विंडो    1    .3
व्यवसायिक    4    1.0
हेडर    18    4.5
अन्य    1    .3
कुल योग    400    100.0

प्रस्तुत शोध में शोधकर्ता ने रोहतक मंडल के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले दो समाचार पत्रों दैनिक भास्कर वह दैनिक जागरण का चयन किया तथा उसका अंतर्वस्तु विधि द्वारा विधिवत रूप से  अध्ययन किया। शोधकर्ता ने अपने शोध कार्य के लिए ‘संयुक्त सप्ताह के तहत ये समाचार पत्र इकटठे किए। इसके लिए शोधकर्ता ने 30 जून से 6 जुलाई के समाचार पत्र इकटठे किए तथा निदर्शन विधि द्वारा दोनों समाचार पत्रों की बराबर बराबर सामग्री ली गई तथा कुल 800 सामग्रियों का निदर्शन विधि के द्वारा लाटरी विधि द्वारा चुनाव किया गया अर्थात हर समाचार पत्र की कुल 400 सामग्रियों को लिया गया तथा अंतर्वस्तु विश्लेषण किया गया। शोध के अनुसार दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सबसे  ज्यादा समाचार को अर्थात 169 अर्थात 42.3 विषय सामग्री समाचार के रूप में प्रस्तुत की जाती है। आलेख को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। रूपक को 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत स्थान  प्राप्त हुआ। संपादकीय को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। पाठकों के पत्र को भी 2 अर्थात .5 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। तस्वीर को 85 अर्थात 21.3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। कार्टून ग्राफिक को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। सजावटी विज्ञापन को 57 अर्थात 14.3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। वर्गीकृत विज्ञापन को 21 अर्थात 5.3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। सूचना वस्तु 18 अर्थात 4.5 स्थान प्राप्त हुआ। मनोरंजन सामग्री को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। विंडो को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। व्यवसायिक को 4 अर्थात 1.0 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ।  हेडर को 18 अर्थात 4.5 प्रतिषत अन्य को 1 अर्थात .3 प्रतिशत स्थान प्राप्त हुआ। अर्थात दैनिक जागरण समाचार पत्र में सबसे ज्यादा 169 अर्थात 42.3 प्रतिशत समाचार को दिया जाता है। तस्वीरों को भी 85 अर्थात 21.3 प्रतिशत महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। इसके साथ ही सजावटी विज्ञापनों को भी 57 अर्थात 14.3 प्रतिषत के साथ महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। सूचना वस्तु को भी 18 अर्थात 4.5 प्रतिशत के साथ बड़ा महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। मनोरंजन को भी 7 अर्थात 1.8 के साथ महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अर्थात समाचार पत्र में समाचारों तस्वीरों तथा सजावटी विज्ञापनों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
किस दिन कितनी सामग्री ली गई
तालिका - 5

दिनांक    मात्रा    प्रतिषत संख्या
1    65    16.3
2    40    10.0
3    65    16.3
4    58    14.5
5    49    12.3
6    62    15.5
30    61    15.3
क्ुल    400    100.0
इस तालिका से साफ पता चलता है कि 30 जून से 6 जुलाई तक की इकाई को लेकर उसका विश्लेषण किया गया और कुल 400 सामग्री ली गई । 1 जून व 3 जून को सबसे ज्यादा इकाईया 65-65 आई है ।


मुख्य नायक प्रथम
तालिका - 6
दैनिक भास्कर
नायक    आवृति    प्रतिषत संख्या
राष्ट्रपति    6    1.  5
प्रधानमंत्री    2    .  5
संसद    4    1.0
क्ेंद्रीय व राज्य के मंत्री    6    1.5
विधायक    3    .8
उपायुक्त        3    .8
पुलिस अधीक्षक    3    .8
उपमंडलाधीष    6    1.5
अध्यापक    9    2.3
राज्यपाल    1    .3
मुख्यमंत्री    5    1.3
किसान    3    .8
मजदूर    5    1.3
अपराधी    7    1.8
कैप्टन, एयरमार्षल    1    .3
प्रषिक्षक    1    .3
खिलाड़ी    12    3.0
नायक    11    2.8
नायिका    3    .8
विपक्षी नेता    2    .5
चिकित्सक    13    3.3
वकील    1    .3
न्यायाधीष    1    .3
अन्य    17    4.3
निर्देषक, अध्यक्ष    10    2.5
वैज्ञानिक    1    .3
प्रबंधक    7    1.8
विद्यार्थी    20    5.0
आम आदमी    43    10.8
सरकारी कर्मचारी    12    3.0
प्रवक्ता    13    3.3
आरोपी    5    1.3
उपपुलिस अधीक्षक    1    .3
कोई व्यक्तित्व नहीं    104    26.0
पुलिस    14    3.5
सचिव, महासचिव    4    1.0
उद्यमी, फिल्म निर्माता    3    .8
प्रधानाचार्य    4    1.0
फिल्म निर्देषक    2    .5
लेखक, गायक    5    1.3
राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्त्ता    27    6.8
कुल योग    400    100.0

शोधकर्ता ने जब इन 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया और देखा कि किस व्यक्तित्व को कितना महत्व दिया जाता है तो पाया कि मुख्य पात्र प्रथम के रूप में राष्ट्रपति को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत महत्व दिया जाता हैं। प्रधानमंत्री को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। सांसदों को 4 अर्थात 1.0 महत्व दिया जाता है। केंद्रीय या राज्य मंत्री को 6 अर्थात 1.5 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। विधायक को 3 अर्थात .8 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। उपायुक्त को 3 अर्थात .8 पुलिस अधीक्षक को 3 अर्थात .8 प्रतिषत उपमंडलाधीष को 6 अर्थात 1.5 प्रतिषत अध्यापक को 9 अर्थात 2.3 प्रतिशत राज्यपाल को 1 अर्थात .3 प्रतिशत मुख्यमंत्री को 5 अर्थात 1.3 किसान को 3 अर्थात .8 प्रतिशत मजदूरों को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत अपराधियों को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत कैप्टन, एयरमार्शल, कर्नल 1 अर्थात .3 प्रतिशत प्रशिक्षक को 1 अर्थात .3 खिलाड़ियों को 12 अर्थात 3.0 प्रतिषत नायक को 11 अर्थात 2.8 नायिकाओं को 3 अर्थात .8 विपक्षी दल के नेता को 2 अर्थात .5 प्रतिशत चिकित्सक को 13 अर्थात 3.3 प्रतिशत वकील को 1 अर्थात .3 प्रतिशत न्यायाधीश को 1 अर्थात .3 अन्य को 17 अर्थात 4.3 कार्यकारी अधिकारी, निर्देशक, अध्यक्ष को 10 अर्थात 2.5 प्रतिशत वैज्ञानिकों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत प्रबंधक को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत विद्यार्थियों को 20 अर्थात 5.0 प्रतिशत आम आदमी को 43 अर्थात 10.8 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी को 12 अर्थात 3 प्रतिशत प्रवक्ता को 13 अर्थात 3.3 आरोपी को 5 अर्थात 1.3 प्रतिषत उप पुलिस अधीक्षका को 1 अर्थात .3 कोई पात्र नहीं को 104 अर्थात 26 प्रतिशत पुलिस को 14 अर्थात 3.5 प्रतिशत केंद्रीय सचिव, महासचिव को 4 अर्थात 1 प्रतिशत उद्यमी, फिल्म निर्माता को 3 अर्थात .8 प्रतिशत, प्रधानाचार्य को 4 अर्थात 1 प्रतिशत फिल्म निर्देशक को 2 अर्थात .5 प्रतिशत लेखक, गायक को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्ता को 27 अर्थात 6.8 प्रतिशत महत्व दिया गया। इस सारणी से यह भी पता चलता है कि सबसे ज्यादा विषय सामग्री 104 अर्थात 26 प्रतिषत ऐसी थी जिसमें कोई व्यक्तित्व नहीं था तथा दूसरे स्थान पर आम आदमी को 43 अर्थात 10.8 प्रतिषत महत्व दिया गया वहीं तीसरे नंबर पर राजनैतिक कार्यकर्त्ता को 27 अर्थात 6.8 प्रतिषत महत्व दिया गया।


मुख्य नायक द्वितीय
तालिका - 7
दैनिक भास्कर
नायक    आवृति    प्रतिषत संख्या
संसद    4    1.0
क्ेंद्रीय व राज्य के मंत्री    4    1.0
उपायुक्त        5    1.3
पुलिस अधीक्षक    5    1.3
उपकुलपति    1    .3
अध्यापक    1    .3
किसान    2    .5
मजदूर    7    1.8
अपराधी   
2    .5
खिलाड़ी    1    . 3
नायक    3    .8
नायिका    5    1.3
चिकित्सक    2    .5
वकील    1    .3
न्यायाधीष    2    .5
अन्य    9    2.3
निर्देषक, अध्यक्ष    2    .5
विद्यार्थी    5    1.3
आम आदमी    15    3.8
सरकारी कर्मचारी    5    1.3
प्रवक्ता    6    1.5
कोई व्यक्तित्व नहीं    284    71. 0
पुलिस    19    4.8
सचिव, महासचिव    3    .8
उपमंडल अधिकारी    1    .3
प्रधानाचार्य    2    .5
लेखक, गायक    2    .5
राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्त्ता    2    .5
कुल योग    400    100.0

   
शोधकर्ता ने जब इन 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया और देखा कि किस व्यक्तित्व को कितना महत्व दिया जाता है तो पाया कि द्वितीय पात्र के रूप में सांसदों को 4 अर्थात 1 महत्व दिया जाता है। केंद्रीय या राज्य मंत्री को 4 अर्थात 1 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। उपायुक्त को 5 अर्थात 1.3  पुलिस अधीक्षक को 5 अर्थात 1.3 प्रतिषत उपकुलपति को 1 अर्थात .3 प्रतिषत अध्यापक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत किसान को 2 अर्थात .5 प्रतिशत मजदूरों को 7 अर्थात 1.8 प्रतिशत अपराधियों को 2 अर्थात .5 खिलाड़ियों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत  नायक को 3 अर्थात .8 नायिकाओं को 5 अर्थात 1.3 चिकित्सक को 2 अर्थात .5 प्रतिशत वकील को 1 अर्थात .3 प्रतिशत न्यायाधीश को 2 अर्थात .5 अन्य को 9 अर्थात 2.3 कार्यकारी अधिकारी, निर्देशक, अध्यक्ष को 2 अर्थात .5 प्रतिशत विद्यार्थियों को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत आम आदमी को 15 अर्थात 3.8 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत प्रवक्ता को 6 अर्थात 1.5 कोई पात्र नहीं को 284 अर्थात 71 प्रतिशत पुलिस को 19 अर्थात 4.8 प्रतिशत केंद्रीय सचिव, महासचिव को 3 अर्थात .8 प्रतिशत उपमंडल अधिकारी को 1 अर्थात .3 प्रतिशत, प्रधानाचार्य को 2 अर्थात .5 प्रतिशत लेखक, गायक को 2 अर्थात .5 प्रतिशत राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्ता को 2 अर्थात .5 प्रतिशत महत्व दिया गया। इस सारणी से यह भी पता चलता है कि सबसे ज्यादा  विषय सामग्री 284 अर्थात 71 प्रतिषत ऐसी थी जिसमें कोई व्यक्तित्व नहीं था तथा दूसरे स्थान पर पुलिस को 19 अर्थात 4.8 प्रतिषत महत्व दिया गया वहीं तीसरे स्थान पर आम आदमी को 15 अर्थात 3.8 प्रतिषत महत्व दिया गया। इस तालिका से यह भी पता चलता है कि ऐसी सामग्री बहुत कम होती है जिसमें एक व्यक्तित्व के साथ दूसरा भी कोई व्यक्तित्व होता है।

दैनिक भास्कर
मुख्य नायक तृतीय
तालिका - 8

नायक    आवृति    प्र्रतिषत संख्या
प्रधानमंत्री    1    .3
केन्द्रीय व राज्य मंत्री    1    .3
विधायक    1    .3
पुलिस अधीक्षक    3    .8
मजदूर    1    .3
अपराधी    1    .3
नायक    1    .3
नायिका    1    .3
न्यायाधीष    1    .3
अन्य    3    .8
विद्यार्थी    1    .3
आम आदमी    5    1.3
सरकारी कर्मचारी    3    .8
प्रवक्ता    1    .3
उपपुलिस अधीक्षक    2    .5
कोई व्यक्तित्व नहीं    370    92.5
पुलिस    1    .3
प्रधानाचार्य    1    .3
लेखक,गायक    1    .3
राजनीतिक दल के कार्यकर्त्ता    1    .3
कुल योग    400    100.0

शोधकर्ता ने जब इन 400 विषय सामग्रियों का अध्ययन किया और देखा कि किस व्यक्तित्व को कितना महत्व दिया जाता है तो पाया कि मुख्य व्यक्तित्व तीन के रूप में प्रधानमंत्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। केंद्रीय या राज्य मंत्री को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। विधायक को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। पुलिस अधीक्षक को 3 अर्थात .8 मजदूरों को 1अर्थात .3 प्रतिशत अपराधियों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत नायक को 1 अर्थात .3 नायिकाओं को 1 अर्थात .3 प्रतिषत न्यायाधीश को 1 अर्थात .3 अन्य को 3 अर्थात .8 विद्यार्थियों को 1 अर्थात .3 प्रतिशत आम आदमी को 5 अर्थात 1.3 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी को 3 अर्थात .8 प्रतिशत प्रवक्ता को 1 अर्थात .3 उपपुलिस अधीक्षक को 2 अर्थात .5 प्रतिषत कोई पात्र नहीं को 370 अर्थात 92.5 प्रतिशत पुलिस को 1 अर्थात .3 प्रतिशत प्रधानाचार्य को 1 अर्थात .3 प्रतिशत लेखक, गायक को 1अर्थात .3 प्रतिशत राजनीतिक दल के सदस्य, कार्यकर्ता को 1 अर्थात .3 प्रतिशत महत्व दिया गया। इस सारणी से यह भी पता चलता है कि सबसे ज्यादा  विषय सामग्री 370 अर्थात 92.5 प्रतिषत ऐसी थी जिसमें कोई व्यक्तित्व नहीं था तथा दूसरे स्थान पर आम आदमी को 5 अर्थात 1.3 प्रतिषत महत्व दिया गया। इससे यह पता भी पता चलता है कि ऐसी सामग्री बहुत कम होती है जिसमें दो व्यक्तित्व के अलावा कोई तीसरा भी व्यक्तित्व होता है। अर्थात बहुत ज्यादा सामग्री ऐसी होती है जिसमें पहला वह दूसरा व्यक्तित्व ही होता है।
किस महीने की कितनी इकाई को लिया गया
तालिका - 9
  महीना    मात्रा    प्रतिषत संख्या
जून    61    15.3
जुलाई    339    84.8
कुल योग    400    100.0
इस तालिका से साफ पता चलता है कि जून महीने की 61 इकाईयों को लिया गया है । बाकि 339 इकाईया जुलाई महीने की थी ।

किस इकाई को कहां स्थान मिला
तालिका - 10
चर    मात्रा    प्रतिषत संख्या
पहली लीड    2    .5
तीसरी लीड    1    .3
अन्य    397    99.3
कुल    400    100.0
1   दैनिक भास्कर में पहले पेज की तीसरी लीड का पहला विषय धर्म व दूसरा राजनीति था। इसका पहला नायक राज्यपाल व दूसरा नायक मंत्री था। यह समाचार राज्य की राजधानी में घटित हुआ था और वही से लगा है।
2    पहले पेज का पहला समाचार का प्रथम विषय धरना, प्रदर्षन था व दूसरा विषय अन्य था। इसका पहला नायक मंत्री था व दूसरा नायक कर्मचारी वर्ग था। यह समाचार देष की राजधानी दिल्ली में घटित हुआ था व दिल्ली से ही लगा था।
3   पहले पेज का प्रथम समाचार का प्रथम विषय राजनीति था वह दूसरा धार्मिक, तीसरा धरना प्रदर्षन था। इसके नायक राजनीतिक कार्यकर्ता थे। यह समाचार भी देष की राजधानी में घटित हुआ था वह वही से लगा था।

समाचार किस स्थान से प्राप्त हुए
तालिका -11

स्थान    आवृति    प्रतिषत संख्या
राष्ट्रीय राजधानी    12    3.5
राज्य राजधानी    13    3.3
अन्य महानगरीयषहर    8    2.0
अन्य कस्बे    166    41.5
विदेष    14    3.5
ग्रामीण    17    4.3
कोई साधन नहीं    170    42.5
योग    400    100.0

चयनित विषय सामग्रियों के प्राप्ति स्थान अर्थात जहां से वो समाचार प्राप्त किया गया है। अत जो विषय सामग्रियां निदर्षन के लाटरी विधि द्वारा चयनित हुई है उन 400 विषय सामग्रियों में सेषोधकर्त्ता ने पाया कि देष की राजधानी से 12 अर्थात 3.5 प्रतिषत राज्य की राजधानी से 13 अर्थात 3.3 प्रतिषत अन्य महान नगरीयषहर से 8 अर्थात 2.0 प्रतिषत छोटेषहरों से 166 अर्थात 41.5 प्रतिषत विदेषी समाचार 14 अर्थात 3.5 प्रतिषत ग्रामीण 17 अर्थात 4.3 प्रतिषत है ।


समाचार में घटनाएं वास्तव में किस जगह घटित हुई
तालिका - 12
स्थान    आवृति    प्रतिषत संख्या
राष्टीय राजधानी    16    4.0
राज्य राजधानी    14    3.5
अन्य महानगरीयषहर    10    2.5
अन्य कस्बे    195    48.8
विदेष    28    7.0
ग्रामीण    31    7.8
कोई साधन नहीं    106    26.5
योग    400    100.0

प्रस्तुत षोध में षोधकर्ता ने विभिन्न समाचारों अथवा विषय सामग्रियों में यह देखा कि समाचार में घटनाएं वास्तव में किस जगह घटित हुई तो पाया कि देष की राजधानी में 16 घटनाएं अर्थात 4.0 प्रतिषत घटित हुई राज्य की राजधानी में 14 अर्थात 3.5 प्रतिषत अन्य महानगरीय षहरों में 10 अर्थात 2.5 प्रतिषत छोटे षहर से 195 अर्थात 48.8 प्रतिषत विदेष से 28 अर्थात 7 प्रतिषत ग्रामीण  से 31 अर्थात 7.8 प्रतिषत घटनाएं घटित हुई। कोई साधन नहीं सम्बंधित सामग्र्री 106 अर्थात 26.5 प्रतिषत थी।
समाचार पत्र विश्लेषण भास्कर
तालिका - 13
विश्लेषण     मात्रा    प्रतिशत
कुल    400    100.0
कुल    400    100.0
प्रस्तुत षोध में षोधकर्ता ने विभिन्न समाचारों अथवा विषय सामग्रियों के प्रकाषित किए जाने वाले स्थान का अध्ययन किया कि किस प्रकार के समाचार को किस स्थान पर प्रकाषित किया जाता है तो इसके लिए षोधकर्ता ने 30 जून से 6 जुलाई की 400 विषय सामग्रियों को लिया ।

4.2 रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों के समाजषास्त्र का परिणाम

रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों के समाजषास्त्र को जानने के बाद चौंकाने वाले परिणाम सामने आए है। सबसे ज्यादा तो रोहतक मंडल में युवा मीडियाकर्मी काम करते है। महिलाओं की संख्या इस पेषे में बहुत कम है। इसके साथ ही अनुसूचित व पिछडा वर्ग की संख्या भी कम है। ज्यादातर मीडियाकर्मी नगर में रहते है तााकि उन्हें काम करने में आसानी हो। विवाहित मीडियाकर्मियों की संख्या ज्यादा है व ज्यादातर के बच्च निजी स्कूलो में पढते है। इसके साथ ही काफी मीडियाकर्मी व्यवसायिक षिक्षा ग्रहण किए हुए है। इसके साथ ही सभी मीडियाकर्मी जिला मुख्यालयों से जुडे हुए है।  ज्यादातर का यह मानना है कि काम के अनुसार पदोन्नति मिलनी चाहिए व साप्ताहिक अवकाष होना चाहिए। ज्यादातर मीडियाकर्मी यह भी मानते है कि मीडियाकर्मी निष्पक्ष नहीं रहे। वह ये भी मानते है कि मीडिया में यथार्थ प्रस्तुतीकरण नहीं होता। ज्यादातर अपने वेतन से असंतुष्ट है। वे यह कहते है कि मीडियाकर्मी विषम परिस्थितियों में काम करते है तथा पूंजीपतियों के हाथ में मीडिया की कमान ठीक नहीं हैं तथा मीडियाकर्मी अन्य की तुलना में अधिक मेहनत करते हैं। इसके लिए पुनः सरकार की तरफ से और सुविधा मिलनी चाहिए कुछ मीडियाकर्मी मीडिया के साथ-साथ अन्य कार्य भी करते हैं । कुछ मीडियाकर्मियों ने अपना वेतन बताने से भी इंकार किया तथा वो अपने वेतन से असंतुष्ट है । एडीटर गिल्ड के बारे में बहुत कम मीडियाकर्मी जानते हैं, जो कि एक निराषाजनक पहलू है। इसके साथ मीडियाकर्मियों के हितों की रक्षा करने के लिए हर क्षेत्र में मीडिया संगठन हैं। समाचारों में यथार्थ प्रस्तुतिकरण नहीं होता है, ऐसा मीडियाकर्मियांे का मानना है, जो कि मीडिया में बढ़ते हुए हस्ताक्षेप को दिखाता है। मीडिया को चाहिए कि वह मीडिया में समाज के सभी वर्गों की उचित भागीदारी करे। 
दैनिक भास्कर मापन एवं विश्लेषण का निष्कर्ष
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में सोमवार सेषुक्रवार तक एक जैसा ही स्थान आया। जबकि षनिवार व रविवार को इसमें परिवर्तन हुआ। इसके साथ ही समाचार व विज्ञापनों को सबसे ज्यादा स्थान दिया जाता है। रविवार को सबसे ज्यादा विज्ञापन को स्थान दिया गया। समाचार विष्लेष्ण व पृष्ठभूमि हर दिन नहीं दिए जाते है। रविवार के दिन संपादकीाय व पाठकों के पत्र को स्थान नहीं दिया जाता है। आलेख को भी रविवार को स्थान नहीं दिया जाता है। तस्वीरों को भी हर दिन महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। हर दिन सूचनात्मक सामग्री को भी स्थान दिया जाता है। मनोंरजन सामग्री को षनिवार को सबसे ज्यादा स्थान दिया गया है। रविवार को वाणिज्य सामग्री बिल्कुल नहीं दी गई। स्तंभ को हर दिन स्थान दिया गया है। विंडो हेडर व मास्क हेड को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। विश्लेषण के अंतर्गत आम आदमी व राजनैतिक कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया । इससे यह भी पता चलता है कि समाचार पत्र में आज भी आम आदमी से जुड मसलों को उठाया जाता । प्रथम विषय के अंतर्गत राजनीतिक विषयों को महत्व दिया गया । इसके उपरान्त शिक्षा व अपराध को स्थान दिया
गया । इसके साथ ही दूसरे विषय के अंतर्गत उत्पाद राजनीति व कानून को महत्व दिया गया । ऐसी सामग्री बहुत कम आती है जिसमें दूसरा और तीसरा विषय होता है। इसके साथ आज भी समाचार पत्रों में समाचार व विज्ञापनों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। इसके साथ ही छोटे षहरों को पर्याप्त महत्त्व दिया गया।


दैनिक जागरण मापन एवं विष्लेषण का निष्कर्ष
दैनिक जागरण समाचार पत्र में हर दिन परिवर्तन हुआ। इस पत्र में षनिवार व रविवार को सबसे ज्यादा स्थान दिया गया। सबसे कम स्थान मंगलवार वह बृहस्पतिवार को रहा । इस पत्र में भी समाचार व विज्ञापनों को सबसे ज्यादा स्थान दिया गया। समाचार पत्र में समाचार विष्लेषण व पृष्ठभूूमि हर दिन नहीं दिए जाते है। हर दिन संपादकीय को स्थान दिया गया। पत्र में बृहस्पतिवपार को रूपक को स्थान नहीं दिया गया। संपादक के नाम पत्र को हर दिन स्थान दिया गया। तस्वीरों को हर दिन महत्पूर्ण स्थान दिया गया। सूचना सामग्री हर दिन दी जाती है। ग्राफिक, कार्टून को हर दिन स्थान दिया जाता है। मनोरंजक सामग्री को रविवार को सबसे ज्यादा स्थान दिया गया। वाणिज्य सामग्री को हर दिन स्थान दिया गया। स्तंभ को षनिवार को स्थान नहीं दिया गया। विषय प्रथम के अंतर्गत शिक्षा व उसके बाद अन्य विषयों को महत्व दिया गया । इसके बाद राजनीतिक आर्थिक, अपराध व शिक्षा को महत्व दिया गया । इसके साथ ही ऐसी सामग्री बहुत कम थी जिसमें दूसरा व तीसरा विषय था । इसके साथ ही आम आदमी को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया । विश्लेषण से यह पता चलता है कि ऐसी सामग्री बहुत कम होती है जिसमें दूसरा व तीसरा विषय भी होता है । समाचार पत्र में तस्वीरों को भी उचित स्थान दिया गया। छोटे षहरों में घटित घटनाओं को पर्याप्त महत्त्व दिया गया।

संदर्भ गं्रथ सूची
1.    मैक्वेल डेनिस. (1988) मीडिया परफोरमैंस, सेज प्रकाषन, नई दिल्ली. 
2.    श्रीवास्तव, डी. एन. (1995) अनुसंद्यान विधियां, साहित्य प्रकाषन, आगरा.
3.    करलिंगर, फ्रैंड.एन. (1995) ए बिहवियर साइंस.
4.    डोमनिक, जोसेफ आर विम्मर डी रोजर, (2003) मास मीडिया रिसर्च, थोमसन वार्डसवर्थ प्रकाषन अमेरिका प्रकषन.
5    सिंह, देवव्रत, (2004) कम्यूनिकेषन टुडे जुलाई से दिसम्बर अंक मीडिया में विविधता लोकतंत्र के लिए जरूरी.
6    डिकलेरेशन ऑफ कल्चरल डाइवर्सिटी; यूनेस्कों



जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान
कुरुक्षेत्र विष्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
मीडियाकर्मियों का समाजषास्त्र (रोहतक) मंडल एक अध्ययन

    वर्तमान युग में मीडिया के साधनों की पहुंच हर जगह है तथा ये हर व्यक्ति को प्रभावित करते है । परंतु यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है कि जो मीडियाकर्मी आज मीडिया में काम करते है उनका समाजषास्त्र कैसा है। इस शोध के माध्यम से शोधार्थी द्वारा रोहतक मंडल के मीडियाकर्मियों के समाजषास्त्र को जानने का प्रयास किया जाएगा । आप द्वारा दी गई समस्त जानकारी गोपनीय रखी जाएगी एवं इसका उपयोग एम.फिल. डिग्री शोध कार्य हेतु किया जाएगा।


                                                        शोधार्थी
                                                        सुरेंद्र

साक्षात्कार अनुसूची


1. नाम................  2. पुरूष/ महिला...................
3. आयु वर्षों में................. 4. जाति....................

5. पता.......................................................

6 परिवेष नगरीय/ग्रामीण या  दोनों...........................

7 विवाहित/अविवाहित........................................

8 यदि विवाहित है तो बच्चों की संख्या........................

9 बच्चें कौन से स्कूल में पढते है 1 सरकारी 2 प्राइवेट ...........................

10 षिक्षा..............................
 
11 व्यवसायिक प्रषिक्षण..........................

12 वर्तमान पद ................................

13 वेतन..........................

14 अन्य कार्य
1. ...................2.....................3.........................

15 कुल आय मासिक.............................

16 सम्बंधित संस्था का नाम व पता..........................................

17 वर्तमान कार्यक्षेत्र....................................

18 आप मीडिया में कब से कार्यरत हैं .........................

19 आप के विचार में एक मीडियाकर्मी को अपने कार्यक्षेत्र में कितने स्वतंत्रता प्राप्त है।
1. पूर्ण 2. लगभग 3. लगभग आधी  4. कम 5. बहुत कम
20 क्या मीडिया अपने कर्तव्यों का सही रुप से पालन कर रहा हैं।
    ........................................................................................       
21 क्या आज का मीडिया पक्षपातपूर्ण हो गया है 
         यदि हां तो क्यों और नहीं तो कैसे ?
   .............................................................................................
22 आज का मीडिया समाज को किस दिषा में ले जा रहा है।
   .............................................................................................
23 आप स्टिंग आप्रेषन या खोजी पत्रकारिता को किस दृष्टि से देखते है।
   .............................................................................................
24 एडीटर गिल्ड द्वारा बनाई गई आचार संहिता के विषय में  आप क्या जानते है।
   .............................................................................................
25 एडीटर गिल्ड द्वारा बनाई गई आचार संहिता का आप कितना पालन करते है।
   ............................................................................................
26 आप के अनुसार मीडियाकर्मी को सरकार की तरफ से कौन सी सुविधाएं मिलती है।
   ............................................................................................
27 आप के अनुसार मीडियाकर्मी को कौन कौन सी सुविधाएं  मिलनी चाहिए ।
   ............................................................................................
28 मीडियाकर्मियों से जुडे आप के क्ष़्ोत्र मेें कितने संगठन है और आप किस संगठन से जुडे हैं।
  .............................................................................................

 मैं कुछ व्यक्तव्य पढूंगा कोई भी व्यक्तव्य गलत या ठीक नहीं है केवल अपनी सोच की बात है।

मीडिया समाज में हर व्यक्ति को जोडने का काम करता है  सहमत   असहमत   पता नही
ंमीडियाकर्मी सच पर कायम रहता है                   सहमत   असहमत   पता नहीं

आजकल मीडियाकर्मी निष्पक्ष नहीं रहे                  सहमत   असहमत   पता नहीं

समाचारों में यथार्थ प्रस्तुतीकरण नहीं होता               सहमत   असहमत   पता नहीं

आजकल पाठकों की रुचि का कम ध्यान रखा जाता है।     सहमत   असहमत   पता नहीं
 
मीडियाकर्मी को संयम से काम करना चाहिए।             सहमत   असहमत   पता नहीं

अधिकतर मीडियाकर्मी अपने कार्य से संतुष्ट है ।          सहमत   असहमत   पता नहीं

अधिकतर मीडियाकर्मी अपने वेतन से अंसतुष्ट है।         सहमत   असहमत   पता नहीं

आज का मीडिया मिषन नहीं व्यापार है।                सहमत   असहमत   पता नहीं

मीडियाकर्मी विषम परिस्थितियों मंे काम करते है।।         सहमत   असहमत   पता नहीं

पूंजीपतियों के हाथ में मीडिया की कमान  ठीक नहीं।       सहमत   असहमत   पता नहीं

मीडिया प्रसिद्वि पाने का अहम साधन है।                 सहमत   असहमत   पता नहीं

काम के अनुसार मीडियाकर्मियों को पदोन्नति मिलनी चाहिए।  सहमत   असहमत   पता नहीं

कुछ मीडियाकर्मी केवल प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए आते है।   सहमत   असहमत   पता नहीं

हर मीडियाकर्मी के लिए साप्ताहिक अवकाष अनिवार्य हो।    सहमत    असहमत   पता नहीं

मीडियाकर्मी अन्य की तुलना में अधिक मेहनत करते है।      सहमत   असहमत   पता नहीं